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Guru गोबिन्द Singh The fatehnama Of guru gobind singh गुरु गोबिन्द सिंह the fatehnama of guru gobind singh

गुरु गोबिन्द सिंह the fatehnama of guru gobind singh



GkExams on 07-02-2023


गुरु गोविन्द सिंह के बारें में (Guru Govind Singh Ji Biography In Hindi) : गुरु गोबिंद सिंह दस सिख गुरुओं में अंतिम थे। इनका जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना में हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह अपने पिता, गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बाद 24 नवंबर 1675 को 9 साल की उम्र में गुरु बन गए थे। इन्होने सिख योद्धा समुदाय खालसा की स्थापना की थी।

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इसके अलावा उन्होंने महत्वपूर्ण ग्रंथ भी लिखे और सिख धर्म के पांच "क" को पेश किया था। गुरु गोविन्द (guru gobind singh real photo) के जीवनकाल में चार पुत्र हुए थे जिनमे से दो की मृत्यु युद्द में हो गई थी और बाकी दो पुत्रो को मुग़ल सेना द्वारा मार दिया गया था।


गुरु गोविन्द जी ने अपने जीवनकाल में गरीबो की रक्षा एवं पाप का खात्मा करने के लिए 14 युद्द लड़े थे। जिसमे से 13 युद्द मुग़ल साम्राज्य के खिलाफ लड़े थे।


गुरु गोबिंद सिंह का बचपन :




गुरु गोविंद सिंह के बचपन (Guru Gobind Singh Childhood) का नाम 'गोविंद राय' था। बचपन से ही गोविंद राय का स्वभाव अपने हम उम्र बच्चों अलग थे। जब बच्चे खिलौनों से खेला करते थे, उस समय गोविंद राय तलवार, कटार और धनुष चलाना सीख रहे थे।


पटना में जिस घर में उनका जन्म हुआ था उस जगह अब तखत श्री पटना साहिब स्थित है कहा जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी के शुरुआती जीवन के चार साल वही बीते थे। वर्ष 1670 में उनका परिवार पंजाब में वापस आ गया और मार्च 1672 में उनका परिवार हिमालय के शिवालिक पहाड़ियों में चक्क नानकी नामक जगह पर आ गया जो आजकल आनंदपुर साहिब कहलाता है और गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षा यहीं पर आरम्भ हुई थी।


गुरु गोविन्द सिंह के युद्द :




यहाँ हम आपको निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा गुरु गोविन्द सिंह द्वारा लड़े गए युद्दों (wars fought by Guru Gobind Singh ji) से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • भंगानी की लड़ाई (1688)
  • नादौन की लड़ाई (1691)
  • गुलेर की लड़ाई (1696)
  • आनंदपुर की लड़ाई (1700)
  • आनंदपुर (1701) की लड़ाई
  • निर्मोहगढ़ (1702) की लड़ाई
  • बसोली की लड़ाई (1702)
  • चमकौर का प्रथम युद्ध (1702)
  • आनंदपुर की पहली लड़ाई (1704)
  • आनंदपुर की दूसरी लड़ाई
  • सरसा की लड़ाई (1704)
  • चमकौर की लड़ाई (1704)
  • मुक्तसर की लड़ाई (1705)



  • मृत्यु (guru gobind singh death) :




    पठानों ने गुरुजी पर धोखे से घातक वार किया, जिससे 7 अक्टूबर 1708 में गुरु गोबिन्द सिंह जी नांदेड साहिब में दिव्य ज्योति में लीन हो गए और इस दुनिया को छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए चले गए। अपने अंत समय में गुरु गोविन्द जी ने सिखो को गुरु ग्रंथ साहिब को अपना गुरु मानने को कहा व खुद भी माथा टेका।




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