प्रकाशन स्थान के आधार पर
प्रकाशन के आधार पर चार प्रकार में बांटा जा सकता है-
स्थानीय समाचार,
प्रादेशिक या
क्षेत्रीय,
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय
1. स्थानीय समाचार-संचार क्रांति के बाद परिवहन के विकास के साथ ही समाचार पत्रो द्वारा एक ही साथ कर्इ संस्करणो का प्रकाशन हो रहा है। यह सभी गांव या कस्बे, जहां से समाचार पत्र का प्रकाशन होता हो, स्थानीय समाचार, जो कि स्थानीय महत्व आरै क्षेत्रीय समाचार पत्रो की लोकप्रियता को बढाने में सहायक हो को स्थान दिया जा रहा है। यह कवायद स्थानीय बाजार मे अपनी पैठ बनाने की भी है, ताकि स्थानीय छोटे-छोटे विज्ञापन भी आसानी से प्राप्त किये जा सके। इसी तरह समाचार चैनलो में भी स्थानीयता को महत्व दिया जाने लगा है। कर्इ समाचार चैनल समाचार पत्रो की ही तरह अपने समाचारों को स्थानीय स्तर पर तैयार करके प्रसारित कर रहे हैं। वे छोटे-छोटे आयोजन या घटनाक्रम, जो समाचारो के राष्ट्रीय चैनल पर बमुश्किल स्थान पाते थ,े अब सरलता से टीवी स्क्रीन पर प्रसारित होते दिख जाते हैं। यह कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में स्थानीय स्तर पर समाचार चैनल संचालित करने की होड़ मचने वाली है।
2. प्रादेशिक या क्षेत्रीय समाचार-जैसे-जैसे समाचार पत्र व चैनलो का दायरा बढता जा रहा है, वैसे-वैसे प्रादेशिक व क्षेत्रीय समाचारो का महत्व भी बढ रहा है। एक समय था कि समाचार पत्रो के राष्ट्रीय संस्करण ही प्रकाशित हुआ करते थे धीरे-धीरे प्रांतीय संस्करण निकलने लगे और अब क्षेत्रीय व स्थानीय संस्करण निकाले जा रहे हैं। किसी प्रदेश के समाचार पत्रो पर ध्यान दे ताे उसके मुख्य पृष्ठ पर प्रांतीय समाचारों की अधिकता रहती है। प्रांतीय समाचारो के लिये प्रदेश शीर्षक नाम से पृष्ठ भी प्रकाशित किये जाते हैं। इसी तरह से पश्चिमांचल, पूवार्ंचल, मारवाड़ या फिर बिहार, झाडखंड, राजस्थान, कोलकत्ता, उत्तरप्रदेष शीर्षक से पृष्ठ तैयार करके क्षेत्रीय समाचारो को प्रकाशित किया जाने लगा है। प्रदेश व क्षेत्रीय स्तर के एसे समाचारो को प्रमुखता से प्रकाशित करना आवश्यक होता है, जो उस प्रदेश व क्षेत्र की अधिसंख्य जनता को प्रभावित करते हों। कुछ समाचार चैनलो ने भी क्षेत्रीय व प्रादेशिक समाचारो को अलग से प्रस्तुत करना शुरू कर दिया है।
3. राष्ट्रीय समाचार-देश मे हो रहे आम चुनाव, रेल या विमान दुर्घटना, प्रा‟तिक आपदा- बाढ, अकाल, महामारी, भूकम्प आदि, रेल बजट, वित्तीय बजट से संबंधित समाचार, जिनका प्रभाव अखिल देशीय हो राष्ट्रीय समाचार कहलाते हैं। राष्ट्रीय समाचार स्थानीय आरै प्रांतीय समाचार पत्रो में भी विशेष स्थान पाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर घट रही हर घटना, दुर्घटना समाचार पत्रो व चैनलो पर महत्वपूर्ण स्थान पाती है। देश के दूर-दराज इलाके में रहने वाला सामान्य सा आदमी भी यह जानना चाहता है कि राष्ट्रीय राजनीति कौन सी करवट ले रही है, केन्द्र सरकार का कौन सा फैसला उसके जीवन को प्रभावित करने जा रहा है, देश के किसी भी कोने में घटने वाली हर वह घटना जो उसके जैसे करोड़ों को हिलाकर रख देगी या उसके जसै करोड़ों लोगो की जानकारी में आना जरूरी है। सच यह है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रचार प्रसार ने लोगो को समाचारो के प्रति अत्यधिक जागरुक बनाया है। हाल यह है कि किसी भी राष्ट्रीय महत्व की घटना-दुर्घटना या फिर समाचार बनने लायक बात को कोर्इ भी छोड़ देने को तैयार नहीं है, न इलेक्ट्रानिक मीडिया और न ही प्रिंट मीडिया। यही वजह है कि समाचार चैनल जहां राष्ट्रीय समाचारो को अलग से प्रस्तुत करने की कवायद में शामिल हो चुके हैं, वहीं बहुतेरे समाचार पत्र मुख्य व अंतिम कवर पृष्ठ के अतिरिक्त राष्ट्रीय समाचारो के दो-तीन पृष्ठ अलग से प्रकाशित कर रहे हैं।
4. अंतर्राष्ट्रीय समाचार-ग्लोबल गांव की कल्पना को साकार कर देने वाली सूचना क्रांति के बाद इस समय मे अंतर्राष्ट्रीय समाचारो को प्रकाशित या प्रसारित करना जरूरी हो गया है। साधारण से साधारण पाठक या दर्शक भी यह जानना चाहता है कि अमेरिका मे राष्ट्रपति के चुनाव का परिणाम क्या रहा या फिर हालीवुड मे इस माह कौन सी फिल्म रिलीज होने जा रही है या फिर आतंकवादी संगठन आर्इएसआर्इएस क्या क्या कर रहा है। विश्वभर के रोचक एवं रोमांचक घटनाओ को जानने के लिये अब हिदी आरै अन्य क्षेत्रीय भाषाओ के पाठको और दर्शको में ललक बढी है। यही कारण है कि यदि समाचार चैनल ‘दुनिया एक नजर’ में या फिर ‘अंतर्राष्ट्रीय समाचार’ प्रसारित कर रहे हैं तो हिन्दी के प्रमुख अखबारो ने ‘अराउण्ड द वल्र्ड’, ‘देश-विदेश’, ‘दुनिया’ आदि के शीर्षक से परू ा पृष्ठ देना शुरू कर दिया है। समाचार पत्रो व चैनलों के प्रमुख समाचारो की फेहरिस्त में कोर्इ न कोर्इ महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समाचार रहता ही है।
इटंरनेट पर तैरती ये वबे साइटें कर्इ मायने में अति महत्वपूर्ण होती है। सच यह है कि जैसे-जैसे देश मे साक्षरता बढ रही है, वैसे-वैसे अधिक से अधिक लोगो में विश्व भर को अपनी जानकारी के दायरे में लाने की हाडे़ मच गर्इ है। यही वजह है कि समाचार से जुड़ा व्यवसाय अब अंतर्राष्ट्रीय समाचारो को अधिक से अधिक आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करने की होड़ में शामिल हो गया है।
विषय विशेष के आधार पर
निरंतर बदलती दुनिया ने समाचारों के लिये विषयो की भरमार कर दी है। पहले जहां मात्र राजनीति के समाचार, अपराध के समाचार, खेल-कूद के समाचार, साहित्य-संस्‟ति के समाचार से ही समाचार पत्रो का काम चल जाया करता था, वहीं अब सूचना क्रांति, बदलते शैक्षिक परिवेश और बदलते सामाजिक ताने-बाने ने समाचारो के लिये ढेरों विषय पैदा कर दिये हैं। देश में बढ रही साक्षरता व जागरुकता ने भी समाचारों के वैविध्य को बढा दिया है। अब कोर्इ भी समाचार पत्र या चैनल समाचारो के वैविध्य को अपनाये बिना चल ही नहीं सकता। मल्टीप्लेक्स और मल्टी टेस्ट रेस्त्रां के इस समय में पाठक-दर्शक वह सब कुछ पढना-सुनना-देखना चाहता है, जो उसके इर्द-गिर्द घट रहा है। उसे हर उस विषय से जुड़ी ताजा जानकारी चाहिए, जो सीधे या फिर परोक्ष रूप से उससे जुड़ी हुर्इ है। जमाना मांग और आपूर्ति के बीच सही तालमेल बैठाकर चलने का है और यही वजह है कि कोर्इ भी समाचार पत्र या चैनल ऐसा कुछ भी छोड़ने को तैयार नहीं है, जो उसके पाठक या दर्शक की पसंद हो सकती है। दिख रहा है सब कुछ के इस समय में वे विषय भी समाचार बन रहे हैं, जिनकी चर्चा सभ्य समाज में करना वर्जित माना जाता रहा है।
विषय विशष के आधार पर हम समाचारो को निम्नलिखत प्रकारो में विभाजित कर सकते हैं -(1) राजनीतिक समाचार, (2) अपराध समाचार, (3) साहित्यिक-सांस्‟तिक समाचार, (4) खेल-कूद समाचार, (5) विधि समाचार, (6) विकास समाचार, (7) जन समस्यात्मक समाचार (8) शैक्षिक समाचार, (9) आर्थिक समाचार, (10) स्वास्थ्य समाचार, (11) विज्ञापन समाचार, (12) पर्यावरण समाचार, (13) फिल्म-टेलीविजन (मनोरंजन) समाचार, (14) फैशन समाचार, (15) समाचार, (16) खोजी समाचार आदि। उपरोक्त विषय विशेष के आधार समाचार के बारे में विस्तृत चर्चा इकार्इ-2 के पत्रकारिता के प्रकार में की गर्इ है।
घटना के महत्व के आधार पर
घटना के महत्व के आधार पर दो प्रकार के हो सकते हैं-
विशिष्ट समाचार,
व्यापी समाचार।
1. विशिष्ट समाचार-यह वह समाचार होते हैं जिनके बारे में पहले से कुछ भी मालूम नहीं होता है, परंतु वे समाचार गरमागरम और अद्यतन होते हैं। विशिष्ट समाचार अपनी विशिष्टता, विशेषता और खूबी के कारण ही समाचार पत्र के मख्य पृष्ठ पर स्थान पाने योग्य होते हैं। रेल या विमान की बड़ी दुर्घटना, किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के असामयिक निधन सम्बन्धी समाचार इसी कोटी मे आते हैं।
2. व्यापी समाचार-वे समाचार जिनका प्रभाव विस्तृत हो अर्थात जो बहुसंख्यक लोगो को प्रभावित करने वाले तथा आकार में भी विस्तृत हो, व्यापी समाचार कहलाते हैं। ये समाचार अपने आप में पूर्णहोते हैं और समाचार पत्र के प्रथम पृष्ठ पर छाये रहते हैं। इनके शीर्षक अत्यधिक आकर्षक और विशेष रूप से सुशोभित होते हैं, ताकि ये अधिकाधिक लोगो को अपनी आरे आकृष्ट कर सके। इसके अंतर्गत रेल बजट, वित्तीय बजट, आम चुनाव आदि से संबंधित समाचार आते हैं।
अपेक्षितता-अनपेक्षितता के आधार पर
अपेक्षित-अनपेक्षिता के आधर पर समाचार के दो प्रकार होते हैं-
डायरी समाचार और
सनसनीखेज समाचार।
1. डायरी समाचार-विविध समारोह गोष्ठियो, जन-सभाओ, विधानसभाओं, विधान परिषदो, लोकसभा, राज्यसभा आदि के समाचार जो अपेक्षित होते हैं और सुनियोजित ढंग से प्राप्त होते हैं, डायरी समाचार कहलाते हैं।
2. सनसनीखेज समाचार-हत्या, दुर्घटना, प्रा‟तिक विपदा, राजनीतिक अव्यवस्था आदि से संबंधित समाचार जो अनपेक्षित होते हैं और आकस्मिक रूप से घट जाते हैं, सनसनीखेज समाचार कहलाते हैं।
समाचार के महत्व के आधार पर
समाचार के महत्व के आधार पर समाचार के तीन प्रकार के हो सकते हैं-
महत्वपूर्ण,
कम महत्वपूर्ण और
सामान्य महत्व के समाचार
1. महत्वपूर्ण समाचार-बड़े पैमाने पर दंगा, अपराध, दुर्घटना, प्रा‟तिक विपदा, राजनीतिक उठापटक से संबंधित समाचार, जिनसे जन-जीवन प्रभावित होता हो और जिनमें शीघ्रता अपेक्षित हो, महत्वपूर्ण समाचार कहलाते हैं।
2. कम महत्वपूर्ण समाचार-जातीय, सामाजिक, व्यावसायिक एव राजनीतिक संस्थाओ, संगठनो तथा दलो की बैठके, सम्मले न, समारोह, प्रदर्शन, जुलूस, परिवहन तथा मार्ग दुर्घटनाएं आदि से संबंधित समाचार, जिनसे सामान्य जनजीवन न प्रभावित होता है और जिनमें अतिशीघ्रता अनपेक्षित हो, कम महत्वपूर्ण समाचार कहलाते हैं।
3. सामान्य महत्व के समाचार-आतंकवादियो व आततायियो के कुकर्म, छेड़छाड़, मारपीट, पाकटे मारी, चोरी, ठगी, डकैती, हत्या, अपहरण, बलात्कार के समाचार, जिनका महत्व सामान्य हो और जिनके अभाव में कोर्इ ज्यादा फर्क न पड़ता हो तथा जो सामान्य जनजीवन को प्रभावित न करते हों, सामान्य महत्व के समाचार कहलाते हैं।
सम्पादन के लिये प्रस्तुत समाचार के आधार पर
सम्पादन के लिये प्रस्तुत समाचार के आधार पर समाचार के पांच प्रकार के हो सकते हैं-
पूर्ण समाचार
अपूर्ण समाचार
अर्ध विकसित समाचार
परिवर्तनशील समाचार
बड़े अथवा व्यापी समाचार
1. पूर्ण समाचार-वे समाचार जिनके तथ्यों, सूचनाओं, विवरणो आदि मे दोबारा किसी परिवर्तन की गुंजाइश न हो, पूर्ण समाचार कहलाते हैं। पूर्ण समाचार होने के कारण ही इन्हें निश्चिंतता के साथ संपादित व प्रकाशित किया जाता है।
2. अपूर्ण समाचार-वे समाचार जो समाचार एजेंसियों से एक से अधिक हिस्सो में आते हैं और जिनमें जारी लिखा होता है, अपूर्ण समाचार कहलाते हैं। जब तक इन समाचारो का अंतिम भाग प्राप्त न हो जाये ये अपूर्ण रहते हैं।
3. अर्ध विकसित समाचार-दुर्घटना, हिंसा या किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति का निधन आदि के समाचार, जोकि जब और जितने प्राप्त होते हैं उतने ही, उसी रूप मे ही दे दिये जाते हैं तथा जैसे-जैसे सूचना प्राप्त होती है और समाचार संकलन किया जाता है वैसे-वैसे विकसित रूप में प्रकाशित किये जाते हैं, अर्ध विकसित समाचार कहलाते हैं।
4. परिवर्तनशील समाचार-प्रा‟तिक विपदा, आम चुनाव, बड़ी दुर्घटना, किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की हत्या जैसे समाचार, जिनके तथ्यो, सूचनाओं तथा विवरणो में निरंतर परिवर्तन व संशोधन की गुंजाइश हो, परिवर्तनशील समाचार कहलाते हैं।
5. बड़े अथवा व्यापी समाचार-आम चुनाव, केन्द्र सरकार का बजट, राष्ट्रपति का अभिभाषण जैसे समाचार, जो व्यापाक, असरकारी व प्रभावकारी होते हैं तथा जिनके विवरणो में विस्तार व विविधता होती है और जो लगभग समाचार पत्र के प्रथम पृष्ठ का पूरा ऊपरी भाग घेर लेते हैं, बड़े अथवा व्यापी समाचार कहलाते हैं।
समाचार प्रस्तुत करने के आधार पर
स्माचार प्रस्तुत करने के आधार पर समाचार के दो प्रकार होते हैं-
सीधे समाचार और
व्याख्याक्तक समाचार
1. सीधे समाचार-वे समाचार जिनमे तथ्यों की व्याख्या नहीं की जाती हो, उनके अर्थ नहीं बताये जाते हों तथा तथ्यों को सरल, स्पष्ट और सही रूप मे ज्यो का त्यो प्रस्तुत किया जाता हो, सीधे समाचार कहलाते हैं।
2. व्याख्यात्मक समाचार-वे समाचार जिनमें घटना के साथ ही साथ पाठकों को घटना के परिवेश, घटना के कारण और उसके विशेष परिणाम की पूरी जानकारी दी जाती हो, व्याख्यात्मक समाचार कहलाते हैं।
हिन्दी का पहला समाचार पत्र कब और कहां हुआ
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