Prithvi Ki Utpatti Ke Sidhhant पृथ्वी की उत्पत्ति के सिद्धांत

पृथ्वी की उत्पत्ति के सिद्धांत



Pradeep Chawla on 13-10-2018

पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में विभिन्न सिद्धांतप्रस्तुत किए गए हैं, जिनकों मुख्यतः दो भागों में वर्गीकृत किया गया है-

1-धार्मिक विचारधारा
2-वैज्ञानिक विचारधारा

1-धार्मिक विचार धारा
धार्मिक विचारधारा के अंतर्गत Arch BishopUsher नामक वैज्ञानिक ने ये बताया कि पृथ्वी की उत्पत्ति 26 अक्टूबर4004 B.C में G.M.T समय सुबह 9:00 बजे हुई, परंतु इस विचारधारा का वैज्ञानिक आधार न होने के कारण इससिद्धांत को मान्यता प्राप्त नहीं हुई.

2-वैज्ञानिक विचारधारा
वैज्ञानिकविचारधारा के अंतर्गत वैज्ञानिकों का यह मत था कि पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों कीउत्पत्ति तारों से छुपी है. तारा ब्रह्मांण में स्थित एक ऐसा विशाल पिण्ड होता हैजिसके पास स्वयं की ऊर्जा विध्यमान होती है. जो नाभिकीय संलयन के कारण विकसित होतीहै. जिसमें H (हाइड्रोजन) के परमाणु मिलकर हिलियम परमाणु कोजन्म देते हैं तथा ऊर्जा ऊष्मा एवं प्रकाश के रूप में उत्सर्जित करते हैं.वैज्ञानिक विचारधारा को भी मुख्यतः दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है.—

A-एक तारा सिद्धांत (Monistic Theory)
B-दो तारा सिद्धांत (Dualistic Theory)


A-एक तारा सिद्धांतः-
एक तारा सिद्धांत के समर्थक ये मानते थे कि पृथ्वीतथा अन्य ग्रहों की उत्पत्ति एक तारे हुईहै. इसमें प्रमुख सिद्धांत ‘इमानुअल काण्ट’ तथा ‘प्लेप्लेस’ ने प्रस्तुतकिया है.

(a)-काण्ट की गैसीय विचारधाराः-
काण्ट ने 1756 में अपनी पुस्तक GeneralNatural History Of The World तथा Theory Of Heaven में पृथ्वी की उत्पत्ति की विचारधारा प्रस्तुत की है. इनके सिद्धांत केमुताबिक ब्रह्मांड में छोटे-छोटे गतिहीन कण उपस्थित थे. गुरुत्वाकर्षण बल के कारणये छोटे पिण्ड एक दूसरे की ओर आकर्षित होने लगे तथा एक दूसरे से टकराने लगे जिसकेपरिणामस्वरूप घर्षण बल की उत्पत्ति हुई तथा ऊष्मा उत्पन्न होने लगी. छोटे-छोटेपिण्ड मिलकर बड़े पिण्डों में तथा बड़े पिण्ड मिलकर विशाल पिण्ड में परिवर्तितहोने लगे. ये प्रक्रिया चलती गई जो नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया थी. अंततः एक विशालगैसी पिण्ड की उत्पत्ति हुई जो अपनी अक्ष पर घूर्णन गति कर रहा था. ऊष्मा कीवृद्धि के कारण इस पिण्ड की गति निरंतर बढ़ती जा रही थी जिसके कारण आप केंद्रीय बल(केंद्र से बाहर की ओर) अभिकेंद्रीय बल (केंद्र की ओर लगनेवाला बल) से अधिक होनेलगा जिसके परिणाम स्वरूप छल्ले के आकार का पदार्थ गैसीय पिण्ड से बाहर की ओरउत्सर्जित हुआ तथा यह प्रक्रिया 9 बार घटित हुई. उत्सर्जित होने वाले 9 छल्लेठण्डे होकर ग्रहों में परिवर्तित हो गए तथा गैसीय पिण्ड का शेष भाग वर्तमान कासूर्य हो गया.

(b)-लेप्लेस की नोबुला विचारधारा (नोबुलाविचारधारा):-
लेलेप्स ने काण्ट की विचारधारा का संशोधित रूप अपनीपुस्तक ExpositionOf The World System में प्रस्तुत किया. इनके सिद्धांत के अनुसारब्रह्मांड में एक विशाल गैसीय पिण्ड (नोबुला) विध्यमान था, जिसे लेप्लेस ने नोबुलानाम दिया. नोबुला अपनी अक्ष पर घुर्णन गति कर रहा था तथा ऊर्जा में वृद्धि के कारणइसकी घुर्णन गति में वृद्धि होती जा रही थी.अपकेंद्रीय बल (केंद्र से बाहर लगनेवाला बल) अभिकेंद्रीय बस से अधिक हो गया जिसके परिणाम स्वरूप छल्ले आकार का पदार्थबाहर की ओर उत्सर्जित हुआ तथा इसी प्रक्रिया के कारण उत्सर्जित छल्ला 9 छल्लों मेंपरिवर्तित हो गया जो नोबुला के चारों ओर चक्कर लगाने लगे. ठण्डे होने के पश्चात्उत्सर्जित 9 छल्ले वर्तमान के ग्रह हो गए तथा नोबुला का शेष भाग वर्तमान का सूर्यबन गया.

2-दो तारा सिद्धांतः-
दो तारा सिद्धांत के समर्थक यह मानते थे कि पृथ्वीतथा अन्य ग्रहों की उत्पत्ति दो तारे से हुई है जिस में बफ़न (BUFFON) नामक वैज्ञानिक ने “टकराव सिद्धांत” प्रस्तुत किया जिसे अत्यधिक प्रसिद्धि नहीं मिल पाई. दो तारा सिद्धांत मेंसबसे मान्य सिद्धांत “जेम्स जीन” नामकवैज्ञानिक ने प्रस्तुत किया है.

(a)-जेम्स जीन की ज्वारीय विचारधारा (TidalHypothesis Of James Jean):-
जेम्स जीन ने अपनी विचारधारा दो तारा सिद्धांत केरूप में प्रस्तुत की थी. जेम्स जीन की विचारधारा को 1929 में जेफरी नामक वैज्ञानिकने संशोधित किया. जेम्स जीन के अनुसार ब्रह्मांड में एक गैसीय पिण्ड विध्यमान थाजो अपनी अक्ष पर घूर्णन गति पर क रहा था. इसे जेम्स जीन ने प्राचीन सूर्य (ProtoSun) का नाम दिया. इस तारे के निकट से एक विशाल तारा गुजरा जिसेभेदता तारा कहा गया. ‘भेदता तारा’ जैसे-जैसेप्राचीन सूर्य के निकट आ गया था. प्राचीन सूर्य पर गुरूत्वाकर्षण बल कार्य करनेलगा जिसके कारण प्राचीन सूर्य से कुछ पदार्थ बाहर की ओर उत्सर्जित होने लगा.जैसे-जैसे भेदता तारा निकट आ रहा था बल का मान बढ़ता जा रहा था. जिसके कारण उत्सर्जित पदार्थ की मात्रा वृद्धि कर रही थी. जब दोनों तारे निकटतमदूरी पर विध्यमान थे उस समय सर्वाधिक मात्रा में प्राचीन सूर्य से पदार्थ काउत्सर्जन हुआ तथा जैसे-जैसे भेदता तारा दूर जा रहा था उत्सर्जित होने वालेपदार्थों की मात्रा घटने लगी. जब भेदता तारा प्रचीन सूर्य से अत्यधिक दूरी परपहुंच गया तो पदार्थ का उत्सर्जन समाप्तहो गया तथा उत्सर्जित होने वाला पदार्थ प्राचीन सूर्य के चारों ओर चक्कर लगानेलगा. उत्सर्जित पदार्थ ठंडा होकर 9 गोलों में परिवर्तित हो गया जिसे ग्रह कहा गया.जेम्स जीन के अनुसार उत्सर्जित पदार्थ का आकार वर्तमान में स्थित सौर्य परिवार केभांति है जिसके मध्य में सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति तथा दोनों किनारों पर सबसे छोटेग्रह बुद्ध तथा यम स्थित है.

नया कांसेप्ट- बिग बैंग सिद्धांत (विशाल विस्फोटसिद्धांत)—(Big Bang Theory)
इससिद्धांत का प्रतिपादन ‘जॉर्ज लेमेटियर’ नामक वैज्ञानिक ने की थी. ये सिद्धांत 1950 में प्रतिपातिद हुआ. 1960 मेंइसका संशोधन हुआ तथा मई 1992 में इसे मान्यता प्राप्त हुई. इनके सिद्धांत केअनुसार लगभग 15 बिलियन वर्ष पूर्व ब्रह्मांड में स्थित समस्त पदार्थ ब्रह्मांड केकेंद्र की ओर आकर्षित होने लगे तथा नाभिकी संलयन की प्रक्रिया के कारण ब्रह्मांडमें स्थित समस्त पदार्थ ब्रह्मांड के केंद्र पर केंद्रीत हो गया. नाभिकीय संलयनकी प्रक्रिया के कारण ऊर्जा तीव्रता सेवृद्धि कर रही थी जिसके परिणाम स्वरूप एक विशाल धमाका हुआ जिसे बिग बैंग कहा गया.इस धमाके के साथ ब्रह्मांड में केंद्रीत पदार्थ विखंडित होकर एक दूसरे से दूर जानेलगा अर्थात विखंडित पदार्थ का विस्तार होने लगा. विखंडित पदार्थ के भाग तारों मेंपरिवर्तित हो गए जो आज की फैलती हुई अवस्था में पाए जाते हैं.





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