sfdsf स्वावलंबन पर निबंध - Swavalamban Par Nibandh -68389

Swavalamban Par Nibandh स्वावलंबन पर निबंध

स्वावलंबन पर निबंध



GkExams on 06-11-2022


आत्मनिर्भरता के बारें में : आत्मनिर्भरता या स्वावलंबन दोनों शब्द एक ही है इस प्रकार आत्मनिर्भरता तीन शब्दों से मिलकर बना हुआ है आत्म + निर्भर + ता इन सबका मतलब हुआ "स्वयं पर निर्भर होने की स्थिति"। देश के लिए आत्मनिर्भर होने का अर्थ यह है कि देश के लिए आवश्यक किसी भी वस्तु का निर्माण देश के भीतर ही हो एवं उस वस्तु के लिए देश किसी और बाहरी देश पर निर्भर ना हो।

Swavalamban-Par-Nibandh

इस प्रकार हम समझ सकते है की आत्मनिर्भर बनने का मतलब हुआ की हर क्षेत्र मे खुद पर ही निर्भर होना होगा। जैसा की हमने कोरोना काल (Covid-19) में देखा केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए एक अभियान चलाया है।


इस अभियान का मुख्य उद्देश्य दुसरे देशों से अपनी जरूरत को बिलकुल खत्म (key features of atmanirbhar bharat mission) करना है। और हर चीज जिसकी एक आम आदमी को जरूरत है उसे भारत देश में ही बनाना है। ये एक आत्मनिर्भरता का बेहतर उदाहरण है।

आत्मनिर्भरता पर कहानी :




एक समय की बात है एक बहुत भोला-भाला खरगोश था। उसके बहुत से जानवर मित्र थे। उसे आशा थी कि वक्त पड़ने पर मेरे काम आएँगे। एक दिन शिकारी कुत्ते उसके पीछे पड़ गए।


वह दौड़ता हुआ गाय के पास पहुँचा और कहा-आप हमारी मित्र है, कृपा कर अपने पैने सींगों से इन कुत्तों को मार दीजिए। गाय ने उपेक्षा से कहा-मेरा घर जाने का समय हो गया। बच्चे इन्तजार कर रहे होंगे, अब मैं ठहर नहीं सकती।


तब वह घोड़े के पास पहुँचा और कहा-मित्र घोड़े! मुझे अपनी पीठ पर बिठाकर इन कुत्तों से बचा लो। घोड़े ने कहा-मैं बैठना भूल गया हूँ, तुम मेरी ऊँची पीठ चढ़ कैसे पाओगे?


अब वह गधे के पास पहुँचा और कहा-भाई, मैं मुसीबत में हूँ, तुम दुलत्ती झाड़ने में प्रसिद्ध हो, इन कुत्तों को लाते मारकर भगा दो। गधे ने कहा घर पहुँचने में देरी हो जाने से मेरा मालिक मुझे मारेगा। अब तो घर जा रहा हूँ। यह काम किसी फुरसत के वक्त करा लेना।


फिर वह बकरी के पास पहुँचा और उससे भी वही प्रार्थना की। बकरी ने कहा जल्दी भाग यहाँ से, मैं भी मुसीबत में फँस जाऊँगी।


तब खरगोश को समझ आई कि दूसरों का आसरा तकने से नहीं, अपने बल-बूते से ही अपनी मुसीबत पार होती है, तब वह पूरी तेजी से दौड़ा और एक घनी झाड़ी में छिपकर उसने अपने प्राण बचा लिये।


निष्कर्ष : इस कहानी से दोस्तों यह सीख मिलती है की हमको अपने आप को किसी भी कार्य के लिए आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा। वरना आज नही तो कल जो लोग आपको अपने लगते है वहीँ लोग आप से दूर होते जाएंगे और आप एक बड़ी मुसीबत में फंस सकते है।




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Comments Khagesh on 18-12-2020

स्वावलंबन पर निबंध



Khagesh on 18-12-2020

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