क्या पौधों और जंतुओं की संरचनाएं समान हैं? नहीं | दोनों में स्पष्ट अंतर है |
पौधे स्थिर होते हैं - विचरण नहीं करते | सो इनके अधिकाँश ऊतक सहारा देने वाले होते हैं | ये पौधे को संरचनात्मक शक्ति देते हैं | ऐसे अधिकाँश ऊतक मृत होते हैं | ये मृत ऊतक जीवित ऊतकों के ही सामान यांत्रिक शक्ति (mechanical strength ) देते हैं, और इन्हें संरक्षण की आवश्यकता कम है |
जंतु विचरण करते हैं इसलिए उनकी ऊर्जा उतनी अधिक व्यय होती है जितना भार अधिक हो | तो मृत ऊतकों को ढोना अतिरिक्त ऊर्जा व्यय करेगा - सो अधिकतर जीवित ऊतक हैं | " किस किस तरह की ऊतक हैं पौधों और जंतुओं में ? इनमे भी classes हैं |
1 पेशीय कोशिका (muscle ) - फैलने सिकुड़ने का काम - विचरण के लिए | जाहिर है कि पौधों को विचरण नहीं करना, सो पेशियों की आवश्यकता नहीं है | इसलिए इस तरह के ऊतक जंतुओं में होते हैं, किन्तु पौधों में नहीं होते ।
2. तंत्रिका कोशिका (nerves ) सन्देश ले जाने के लिए - दो तरह के सन्देश - एक शरीर के विभिन्न अंगों से मस्तिष्क की ओर, ओर दूसरे मस्तिष्क से अंगों की ओर | {जैसे आपने कहीं जलते तवे पर हाथ रखा - तो पहले तरह की nerves यह सन्देश ले जायेंगी कि दर्द हुआ, और फिर दूसरी nerves दिमाग से हाथ को यह सन्देश लायेंगी कि पेशियाँ सिकुडें और हाथ तुरंत हटाया जाए |} |
शोध चल रही है कि पौधों में भी दर्द आदि के अनुभव करने के लिए तंत्रिका ऊतक हैं - परन्तु शोध अधूरी ही है | मस्तिष्क की खोज तो हुई ही नहीं है | किन्तु वैज्ञानिकों का मानना है कि इलेक्ट्रोनिक यंत्रों में जिस प्रकार "सेंसर" और "फीडबैक" होता है, सिस्टम को असामान्य स्थिति में स्वयं को विनष्ट होने से बचाने के लिए (जैसे यदि स्टील बनाने के लिए आयरन ओर पिघलाने वाली फर्नेस का तापमान अधिक हो रहा है तो सेंसर यह फीडबैक माइक्रो कंट्रोलर को देंगे, जो तुरंत यंत्र को बचने के लिए बिजली बंद करेगा आदि) इसी तरह हमारे शरीर में nervous system दर्द की अनुभूति करता कराता है हमें चोट से बचाने के लिए | जब तंत्रिकाएँ दर्द के स्त्रोत का अनुभव करती हैं , वे मस्तिष्क तक यह खबर ले जाती हैं, और मस्तिष्क पेशियों को आदेश देता है कि चोट की जगह से दूर हटा जाए |
क्योंकि पौधे हट तो सकते नहीं (पेशियाँ नहीं हैं ) तो सिर्फ एकतरफा दर्द का अनुभव उनकी फीडबैक लूपको पूर्ण नहीं होने देता । और अधूरा लूप - सिर्फ सेंसर्स का होना, मस्तिष्क और पेशियों का अभाव कुछ लोजीकल नहीं लगता | फिर से कहूँगी - शोध चकल रही है - नतीजे नहीं हैं - किन्तु लोजिकल दृष्टि से यही प्रतीत होता है ।
3. वाहक/संयोजक कोशिकाएं - जंतुओं के शरीर में रक्त ओर धमनियां ओर दिल - ये शरीर में हजम हुआ भोजन, ओक्सिजन, आदि इधर से उधर ले जाने लाने का काम करते हैं । दिल रक्त को पम्प करता है - और धमनियों में बहता हुआ रक्त, फेफड़ों (lungs) से ऑक्सीजन , अंतड़ियों से पचा हुआ भोजन आदि शरीर में प्रवाहित करता है । धमनियों जैसी कोशिकाएं पौधों में भी हैं | जैसे हमारे शरीर में रक्त धमनियां (arteries and veins ) हैं, पौधों में xylem (जाइलेम) ओर phloem (फ्लोएम ) हैं | ये दो काम करती हैं । एक तो ये (जाइलेम) जड़ों द्वारा जमीन से सोखा हुआ पानी और खनिज (minerals ) ऊपर को ले जाती हैं, दूसरा (फ्लोएम ) पत्तियों में बना भोजन पौधे के अन्य भागो को ले जाती हैं । इनमे अधिकतर मृत कोशिकाओं के रेशे हैं ।
ध्यान देने वाली बात है कि पौधे में दिल नहीं होता - न रक्त होता है । इनमे ऊपर जाने वाला द्रव्य ऊपर जाने की प्रक्रिया कुछ लम्बी है - साधारण शब्दों में यह (जाइलेम) ऐसे काम करती है : capilary action का अर्थ है - बहुत ही पतली ट्यूबों में द्रव्य का खुद बी खुद प्रवाहित होंना - यह surface tension से होता है । कुछ वैसा ही जैसे कपडा एक जगह पानी में या स्याही में छू जाए - तो वह स्याही/ पानी खुद ही ऊपर को चढ़ता है - उसे पम्प करने की आवश्यकता नहीं होती । तो इस प्रक्रिया से पानी जड़ों से ऊपर को चढ़ने लगता है । इसके अलावा एक और phenomenon इसमें योगदान करता है - जिसे कहते हैं transpiration । इसका अर्थ है - पत्तियों के बेहद महीन छेदों से पानी का भाप बन कर सूखना - जिससे ऋणात्मक दबाव बनता है और पानी नीचे की तरफ से ऊपर की और खिंचता है ।
और बने हुए भोजन को दुसरे भागों तक ले जाने का काम करती है फ्लोएम - जो osmosis (जैसे की आजकल reverse osmosis वाले water purifiers में होता है ) से काम करती हैं ।
4. वृद्धि (growth / merismatic) कोशिकाएं जहां एक ओर पादपों के शरीर की कुछ ही कोशिकाएं वृद्धि करती हैं (जैसे टहनी का अंतिम भाग, जड़ का अंतिम भाग ) इसे merismatic tissue (विभज्योतक ऊतक ) कहते हैं | वहीँ जंतुओं के शरीर की हर कोशिका जीवित है ओर बढती है (cell division ) | नीचे कोशिकाओं के चित्र हैं - ncert से साभार |
__________________________________________ आप देख सकते हैं कि पादप कोशिका का अधिक भाग vacuole (रिक्तिका) है - जो पौधे द्वारा बनाए अतिरिक्त भोजन को सहेज कर रखने का स्थान देता है |
जैसा पहले भी कहा गया है - क्योंकि पौधे विचरण नहीं करते - उनके अधिकाँश ऊतक मृत हैं - जो उसे यांत्रिक शक्ति तो देते हैं - किन्तु उन्हें संरक्षण की आवश्यकता नहीं होती ।
5. फिर जंतुओं के शरीरों की कई अंग प्रणालियाँ हैं - जैसे digestive system (पाचन तंत्र) , respiratory system (श्वसन प्रणाली) , excretary system (उत्सर्जन संबंधी) आदि | इनमे से हर प्रणाली पादपों में नहीं होती क्योंकि उन्हें इसकी आवश्यकता ही नहीं होती | हाँ प्रजनन तंत्र (reproductory system पादपों और जंतुओं दोनों में है, और करीब करीब एक सा ही है - जिसके हिस्से हैं पादपों के बीज (जिनमे अन्न भी हैं ) , फल और फूल | जिन पौधों से फल लिया जाता है - उनके बारे में भी कहा जाता है कि हम फल लेकर पौधे को "दर्द" दे रहे हैं, क्रूरता या हिंसा कर रहे हैं | इस विषय में इस तीन पोस्ट्स की शृंखला की आगे की पोस्टस में विस्तार से बात करूंगी | यहाँ इस सिलसिले में इतना ही कहूँगी : अन्न देने वाले पौधे अन्न के तैयार होने तक अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर चुके होते हैं | पौधे को काटने में कोई हिंसा नहीं होती क्योंकि वह जीवन विहीन हो ही चुका होता है (याद दिला दूं कि पौधों में सिर्फ बढ़ते स्थान पर जीवित merismatic tissue है, बाकी की कोशिकाएं पहले ही मृत कोशिकाएं हैं - सो जो पौधा काटा जा रहा है अन्न लेने के लिए - वह पहले ही मृत है )
Parivartan mein kya antar hai
Padap or jantu me antar
पौधौ तथा जंतुओं की प्रतिकिया मे अंतर क्या है
पौधे और जंतु में क्या अंतर है
Jantu aur paudhon mein Char antar
जंतु और पौधो मे कया अंतर है?
जंतु और पौधों में क्या अंतर है?
Padho or jantu me antar alge alge
Bod pheesh kitni ho gai
पौधों तथा जंतु में क्या अंतर है
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पौधों और जन्तु में अन्तर 5 5