यहाँ हम आपको मुगलों की धार्मिक नीतियों (Religious policy of mughals) के बारें में अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...
अकबर की धार्मिक नीति :
बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों का बराबर प्यार और सम्मान मिला। अकबर एक मुसलमान था लेकिन दूसरे धर्म एवं सम्प्रदायों के लिए भी उसके मन में आदर था। जैसे-जैसे अकबर की आयु बढ़ती गई वैसे-वैसे उसकी धर्म के प्रति रुचि बढ़ने लगी। उसे विशेषकर हिंदू धर्म के प्रति अपने लगाव के लिए जाना जाता हैं। इसका नतीजा ये हुआ की अकबर ने अपने पूर्वजो से विपरीत कई हिंदू राजकुमारियों से शादी की।
इसके अलावा अकबर ने अपने राज्य में हिन्दुओ को विभिन्न राजसी पदों पर भी आसीन किया जो कि किसी भी भूतपूर्व मुस्लिम शासक ने नही किया था। वह यह जान गया था कि भारत में लम्बे समय तक राज करने के लिए उसे यहाँ के मूल निवासियों को उचित एवं बराबरी का स्थान देना चाहिये।
उसकी धार्मिक नीति ने देश में शांति समृद्धि और एकता के नए युग का सूत्रपात किया। उसने हिंदू मुस्लिम जनता को एक सामान्य रंगमंच प्रदान करने के लिए "दीन ए इलाही" नामक संघ या धर्म की स्थापना की थी। अकबर के धार्मिक विचारों का विकास एकाएक नहीं हुआ। निसंदेह हुआ प्रारंभ में अकबर कट्टर परंपरावादी मुसलमान रहा। 1562 ई. से 1582 ई. तक उसके धार्मिक विचारों में निरंतर परिवर्तन आता रहा।
बाबर की धार्मिक नीति :
इतिहास के अनुसार बाबर पक्का सुन्नी मुसलमान था लेकिन वह धर्मान्ध नहीं था। उसने राणा सांगा के विरुद्ध जिहाद की घोषणा की, लेकिन उसका मतलब राजनीतिक था, न कि धार्मिक।
हुमायूँ की धार्मिक नीति :
बाबर की तरह हुमायूँ भी सुन्नी मुसलमान था, तथा अपने व्यक्तिगत जीवन में धार्मिक नियमों का पालन करता था। लेकिन उसने सहनशील धार्मिक नीति अपनायी। आपको बता दे की वह शिया मुसलमानों के प्रति भी सहनशील था।
उसकी पत्नी हमीदा बानो बेगम और उसका स्वामिभक्त और योग्य अधिकारी बैरम खां शिया मुसलमान थे। कहा जाता है की वह सूफी आन्दोलन से भी बहुत प्रभावित था।
जहांगीर की धार्मिक निति :
जहांगीर अपने पिता की भांति धार्मिक सहनशील था। जहांगीर ने एक कुशल राजनीतिज्ञ की भांति अपने पिता की राजपूत-नीति का अनुशरण किया, उन्हें ऊंचे पदों पर नियुक्त किया तथा उनके साथ विवाह सम्बन्ध स्थापित किया।
राजा मानसिंह ने राजसिंहासन प्राप्त करते समय जहांगीर का विरोध किया था, परन्तु उन्हें क्षमा करके जहांगीर ने उन्हें सदा के लिए अपना मित्र बना लिया।
शाहजहाँ की धार्मिक नीति :
शाहजहाँ की बहुत बैटन में औरंगजेब का पूर्वगामी था। शाहजहाँ ने सिजदा की पद्धति को छोड़ दिया। उसने इलाही संवत के बदले हिजरी संवत को प्रारंभ किया। उसने हिन्दुओं पर इस बात के लिए भी पाबन्दी लगायी की वे मुस्लिम दास नहीं रख सकते थे।
बताया जाता है की उसने हिन्दुओं को मुस्लिम स्त्रियों के साथ शादी करने पर रोक लगाई और जो हिन्दू ऐसा कर चुके थे उन्हें यह आदेश दिया गया की या तो वे उन स्त्रियों को मुक्त करें या फिर मुस्लिम रीति से शादी करें।