पर्यावरण संरक्षण (environmental conservation essay) : पर्यावरण संरक्षण एक प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत न केवल पर्यावरण की गुणवत्ता को बनाये रखने का प्रयास किया जाता है बल्कि उसमे सुधार की भी कोशिश की जाती है।
इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण का मतलब होता है की हम अपने चारों ओर के वातावरण को संरक्षित करें तथा उसे जीवन के अनुकूल बनाए रखें। ध्यान रहे की पर्यावरण और प्राणी एक-दूसरे पर आश्रित हैं।
इस लेख के जरिये हम आपको प्रदूषण कारण और निवारण पर निबंध (short essay on pollution) से सब कुछ प्रदुषण को लेकर हो रहे घातक कार्यों से अवगत कराने वाले है जैसे ये क्या है, क्या इसका निवारण है....
प्रदूषण क्या है?
जैसा की हम सब जानते है वर्तमान समय में सन्तुलित वातावरण में ही जीवन का विकास सम्भव है। पर्यावरण का निर्माण प्रकृति के द्वारा किया गया है। प्रकृति के द्वारा प्रदान किया गया पर्यावरण जीवधारियों के अनुकूल होता है जब वातावरण में कुछ हनिकारक घटक आ जाते हैं तो वे वातावरण का सन्तुलन बिगाड़कर उसको दूषित कर देते हैं। यह गन्दा वातावरण जीवधारियों के लिए अनेक प्रकार से हनिकारक होता है। इस प्रकार वातावरण के दूषित हो जाने को ही प्रदूषण कहते हैं।
आपको बता दे की प्रदूषण
(essay on pollution in 150 words) का अर्थ है - प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना।
प्रदूषण के प्रकार (Types of pollution) :
यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको प्रदूषण के प्रकारों
(pollution essay) से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...
भूमि प्रदुषण :
जैसा की हम सब जानते है की भूमि के बिना तो हमारा अस्तित्व ही नही है लेकिन विषाक्त पदार्थों से भरी हुई भूमि मच्छरों, मक्खियों, चूहों, कृन्तकों और ऐसे अन्य प्राणियों के लिए एक प्रजनन भूमि के तौर पर उबर कर सामने आती है। इन छोटे जीवों के कारण लोगों को किन किन रोगों का सामना करना पडता है यह सभी को पता है। और इससे विभिन्न प्रकार के बुखार और बीमारियाँ इनकी वजह से बढ़ रही हैं।
आपको बता दे की यह ठोस कचरे के कारण बढ़ रहा है। इसके अलावा यह बढ़ती आबादी के कारण दिन के साथ-साथ उद्योगों में वृद्धि के कारण बढ़ रहा है।
वायु प्रदूषण :
वायु जीवन का अनिवार्य स्त्रोत है। प्रत्येक प्राणी को स्वस्थ रूप से जीने के लिए शुद्ध वायु अर्थात् ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जिस कारण वायुमण्डल में इसकी विशेष अनुपात में उपस्थिति आवश्यक है। जीवधारी साँस द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करता है और कार्बन डाई-ऑक्साइड ग्रहण कर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। इससे वायुमण्डल में शुद्धता बनी रहती है। आजकल वायुमण्डल में ऑक्सीजन गैस का सन्तुलन बिगड़ गया है और वायु अनेक हानिकारक गैसों से प्रदूषित हो गयी है।
जल प्रदूषण :
जल को जीवन कहा जाता है और यह भी माना जाता है कि जल में ही सभी देवता निवास करते हैं। इसके बिना जीव-जन्तु और पेड़-पौधों का भी अस्तित्व नहीं है। फिर भी बड़-बड़े नगरों के गन्दे नाले और सीवर नदियों के जल में आकर मिला दिये जाते हैं। कारखानों का सारा मैला बहकर नदियों के जल में आकर मिलता है। इससे जल प्रदूषित हो गया है और उससे भयानक बीमारियाँ उत्पन्न हो रही हैं जिससे लोगों का जीवन ही खतरे में पड़ गया है।
ध्वनि प्रदुषण :
ध्वनि प्रदूषण भी आज की नयी समस्या है। इसे वैज्ञानिक प्रगति ने पैदा किया है। मोटर¸कार¸ट्रैक्टर¸जेट विमान¸कारखानों के सायरन¸मशीनें तथा लाउडस्पीकर ध्वनि के सन्तुलन को बिगाड़कर ध्वनि-प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। अत्यधिक ध्वनि-प्रदुषण से मानसिक विकृति¸तीव्र क्रोध¸ अनिद्रा एवं चिड़चिड़ापन जैसी मानसिक समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
रेडियोधर्मी प्रदुषण :
आज के .युग में वैज्ञानिक परीक्षणों का जोर है। परमाणु परीक्षण निरन्तर होते ही रहते हैं। इसके विस्फोट से रेडियोधर्मी पदार्थ सम्पूर्ण वायुमण्डल फैल जाते हैं और अनेक प्रकार से जीवन को क्षति पहुँचाते हैं।
रासायनिक प्रदुषण :
कारखानों से बहते हुए अपशिष्ट द्रव्यों के अलावा रोगनाशक तथा कीटनाशक दवाइयों से और रासायनिक खादों से भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ये पदार्थ पानी के साथ बहकर जीवन को अनेक प्रकार से हानि पहुँचाते हैं।
प्रदूषण का निवारण (Pollution effects) :
यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको प्रदुषण के निवारण के उपायों से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...
वक्षों की कटाई पर नियंत्रण करके। औद्योगिक प्रतिष्ठानों को नगरों से दूर स्थापित करके। फसलों पर छिड़कने वाली विषैली दवाओं के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाकर। कृत्रिम उर्वरकों के स्थान पर परंपरागत खाद का प्रयोग करके। अधिक वृक्ष लगाकर। प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय करके।
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