भारतवर्ष में प्राचीनकाल से ही गाय परम पूजनीय-वन्दनीय रही है. वेदों-शास्त्रों की मान्यता है कि गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास करते है. यथार्थ में गौ एक निरा दूध देने वाली प्राणी ही नहीं है, प्रत्युत वह सम्पूर्ण मानवजाति का पालन-पोषण और कल्याण करने में भी समर्थ है. प्राकृतिक संतुलन में भी गौ का हर आयाम से सर्वाधिक योगदान है. कृषि में तो गोवंश का महत्त्व सर्वविदित ही है. इसीलिए प्रत्येक देशवासी-ग्रामवासी के मन में गाय पालने की इच्छा बलवती रहती है. परन्तु हम लोगों में से बहुतों को इस बात का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ होगा कि उत्तम गाय की पहचान या जानकारी न होने से जैसी-तैसी गौ रखकर बाद में कष्ट ही होता है और आखिर में यही कहने के लिए बाध्य हो जाते है की बाज आयें इस झगड़े से ! वस्तुतः यह स्थिति उत्पन्न इसलिए होती है, क्योंकि गाय खरीदते समय हमें इस विषय की कोई जानकारी नहीं होती कि गौ दुधारू है या नहीं अथवा अच्छी नस्ल की है या नहीं. इस विषय में ग्वाले जानते है, परखते है लेकिन स्पष्टरूप से खुलकर सभी भेद नहीं बतलाते. इसीलिए यह नितांत आवश्यक है कि सभी देशवासियों को इस सन्दर्भ में आवश्यक जानकारी प्राप्त हो ताकि सब लोग गाय पाल सकें. जानकार लोगों ने दुधारू गौ के लक्षणों की पहचान की है. गाय की पहचान उसके अवयवों को देखकर की जाती है, जो इस प्रकार है :-
1. रंग – सर्वांग काली-श्याम एवं कपिला गाय सर्वोत्तम मानी जाती है. लाल, बादामी या चितकबरे रंगवाली गाय भी श्रेष्ठ मानी गई है. सफेद मोतिया या भूरे रंग की गायें भी अच्छी होती है.
2. चर्म – पतला, चिकना और रेशम-सा नर्म बलोंदार हो.
3. ऊंचाई – जाति के अनुसार बड़े कद की हो.
4. लम्बाई – शरीर लम्बा और छाती चौड़ी होनी चाहिए.
5. सिर – छोटा, मस्तक चौड़ा और गर्दन लम्बी व पतली हो, किन्तु साहिवाल आदि नस्ल के गोवंश भारी तथा छोटी गर्दन वाले होते है.
6. सींग – चिकने तथा जाति (नस्ल) के अनुसार आकार वाले हों. कपिला गाय के सींग हिलते तथा नीचे की ओर झुके हुए व चपटे होते है.
7. कान – उभरे हुए और बड़े हो. उनके भीतर की चमड़ी मुलायम तथा पीले रंग की हो.
8. ऑंखें – साफ, बड़ी, ममतामयी एवं स्निग्ध हो.
9. नाक – साफ हो और उससे पानी न बहता हो.
10. होंठ – कोमल, सटे हुए एवं ताम्बे के से लाल रंग के हो.
11. दांत – सफेद मजबूत तथा कीड़े- रहित हों.
12. जीभ – साधारण लम्बी, कुछ लाल-सी, मुलायम एवं कांटे रहित हो.
13. गला – साफ, सुरीला एवं ऊंचे स्वरवाला हो.
14. पूंछ – पतली, काली चौरी वाली और जाति के अनुसार लम्बी हो. सफेद चौरी वाली लक्षण अधिकतर नस्लों में दोष माना जाता है. किसी नस्ल का ही अच्छा होता है.
15. पुट्ठे – चौड़े, खुले हुए, स्थूल और ऊंचे हो.
16. धुन्नी (पेट के नीचे की चमड़ी) – बड़ी, फैली हुई और मुलायम हो.
17. जांघे – चौड़ी और फासले पर हो.
18. पैर – सुडौल, मजबूत एवं लम्बे हो, परंतु चलते समय आपस में न लगते हो.
19. खुर – सटे हुए, गोल एवं मजबूत हों और इनके भीतर की चमड़ी पीली व मुलायम हो.
20. ऐन – खुला, चौकोर, चौड़ा तथा बड़ा हो. अगले पैरों की तरफ से उभरी हुई रस्सी के आकार की दूध की नसें ऐन की ओर आती दिखाई पड़ती हो.
21. थन – लंबे, मुलायम और दूर-दूर हो. चारों थान एक-से तथा बड़े हों.
22. शरीर – नीरोग तथा भरा हुआ, किन्तु मोटा न हो. वस्तुतः मोटी गाय में केवल मांस ही ज्यादा बढ़ जाता है. जिससे उसकी दूध देने की शक्ति कम हो जाती है.
23. पसमाव (दूध का बहाव) – एक-सा और मोटी धार का हो एवं बर्तन से टकराकर घर-घर की-सी गंभीर ध्वनि करने वाला हो.
24. दूध – पीली झलक वाला और गाढ़ा हो.
25. स्वाभाव – गंभीर, सीधा, प्रेममय एवं उत्तेजना-रहित हो. वह ऐन के छूने पर क्रोध न करने वाली और सबसे सरलतापूर्वक दुहा लेने वाली हो.
26. चाल – मंद और सीधी हो.
27. ज्ञातवंशज – दुधारू गायों तथा बलिष्ठ सांडों के कुल की हो.
28. रूचि – सभी किस्म के अच्छे चारे-दाने को रुचिपूर्वक खाने वाली हो.
29. गलकम्बल एवं ककुंद – झालदार हो और ककुंद पूर्ण विकसित हो.
कहा गया है –
उदर, कुक्षि, कूल्हे दोऊ, माता, छाती, पीठ. ऊँचे उभरे अंग छै, यह शुभ लच्छन दीठ.
युगल नेत्र अरु कर्ण हों, विस्तृत और सामान. मस्तक ऊँचों लेखिये, सब विधि उत्तम जान.
गलकम्बल, गर्दन तथा, पूँछ रु थन दोऊ रान. लम्बे चौड़े अंग लखि, उत्तम कहत सुजान.
- गोसंपदा से
Pitero ko pani kyo diya jata hain
kapila cow dite
कपिला गाय के लक्षण वह कपिला गाय वेदों के अनुसार कैसे बनाई जाती थीं
Kapila गाय ka रंग किस तरह का होता हे
नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity
Kapila gaya Kaun hota hai