sfdsf पेशोला की प्रतिध्वनि का भावार्थ - पेशोला Ki Pratidhwani Ka Bhavarth -70145

पेशोला Ki Pratidhwani Ka Bhavarth पेशोला की प्रतिध्वनि का भावार्थ

पेशोला की प्रतिध्वनि का भावार्थ



GkExams on 14-10-2022


पेशोला की प्रतिध्वनि का भावार्थ : यह कविता छायावादी काव्याधारा के प्रमुख आधार स्तम्भ जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गयी है। इस कविता में कवि ने महाराणा प्रताप सिंह की उत्तराधिकारी की आस का वर्णन किया गया है कि किस प्रकार वह अपने अंतिम समय में अपनी आस को पूरा होते देखना चाहते थे।


जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं :




यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा जयशंकर प्रसाद की प्रमुख कविताओं के नामों से अवगत करा रहे है, जिन्हें आप पढ़ सकते है...


  • पेशोला की प्रतिध्वनि
  • शेरसिंह का शस्त्र समर्पण
  • अंतरिक्ष में अभी सो रही है
  • मधुर माधवी संध्या में
  • ओ री मानस की गहराई
  • निधरक तूने ठुकराया तब
  • अरे!आ गई है भूली-सी
  • शशि-सी वह सुन्दर रूप विभा
  • अरे कहीं देखा है तुमने
  • काली आँखों का अंधकार
  • चिर तृषित कंठ से तृप्त-विधुर
  • जगती की मंगलमयी उषा बन
  • अपलक जगती हो एक रात
  • वसुधा के अंचल पर
  • जग की सजल कालिमा रजनी
  • मेरी आँखों की पुतली में
  • कितने दिन जीवन जल-निधि में
  • कोमल कुसुमों की मधुर रात
  • अब जागो जीवन के प्रभात
  • तुम्हारी आँखों का बचपन
  • आह रे,वह अधीर यौवन
  • आँखों से अलख जगाने को
  • उस दिन जब जीवन के पथ में
  • हे सागर संगम अरुण नील



  • Pradeep Chawla on 17-10-2018

    Check link below -

    http://www.hindisamay.com/content/3382/4/%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%A3-%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BE-ARUN-HOTA-%E0%A4%86%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%86%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A8-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AD-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%A8.cspx




    सम्बन्धित प्रश्न



    Comments Monika on 14-05-2022

    Mevard ka raja kon thhaa

    Dharmendra dhakad on 25-01-2022

    पेशोला की प्रतिध्वनि कविता का भावार्थ लिखिए

    Pashola ka mool bhav on 08-06-2020

    Pashola ka mool bhav


    Punam on 06-03-2020

    Pesola ka matlab

    surendra on 02-01-2020

    पेशोला की प्रति ध्वनि कविता का मुल भाव लिखिए।

    Jitendra masar on 23-12-2018

    Bio kdje



    BHOORA RAM DEWASI on 29-09-2018

    कवि ने उदयपुर की पिछोला झील के किनारे बने हुए मेवाड महाराणाओ के महलो और झील मे बने उनके प्रतिबिंबो के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना के भाव को स्मपुष्टता प्रदान करते हुए नवजागरण,देश-प्रेम,स्वतंत्रता के प्रबल भाव,जातीय अस्मिता तथा मानव मे छिपी वीरता को जाग्रत करने हेतु प्रबल राष्ट्रीयता के स्वरो की व्यंजना की है।


    Ameerhamaja on 13-10-2018

    Paishola ke prtidvani kavita ka saravsh hum ko chaheyai

    सुरेश डामोर on 14-10-2018

    Pesola ki pratidvani...kavita. कहाँ से ली गई है ?

    Varsha Kanwr alwar on 16-10-2018

    Jayshankar parshad ki pasola ki partidhvni kavita ki vyakhya



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