लार्ड कर्जन Lord Curzon (6 जनवरी 1899 से 18 नवम्बर 1905)
लार्ड मिन्टो द्वितीय के बाद 1910 ई. में
लार्ड हार्डिंग द्वितीय भारत का वायसरॉय बना.
हार्डिंग के समय में
दिल्ली में 12 दिसम्बर 1911 ई. को एक भव्य दरबार का आयोजन हुआ जिसमे ब्रिटेन के राजा ज़ोर्ज पंचम भारत आए थे. यह पर भारत की राजधानी कोलकत्ता से दिल्ली स्थान्तरित करने की घोषणा की गयी.
1912 ई. को भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थान्तरित की गई,
दिल्ली भारत की राजधानी बनी.
23 दिसम्बर, 1912 ई. को जिस समय लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय दिल्ली में प्रवेश कर रहे थे, उन पर एक बम फेंका गया, जिसमें वे घायल हुए।
4 अगस्त, 1914 ई. को हार्डिंग के काल में ही
'प्रथम विश्वयुद्ध' प्रारम्भ हुआ।
इसके समय में 1913 ई. में फिरोजशाह मेहता ने
'बाम्बे क्रानिकल' एवं गणेश शंकर विद्यार्थी ने
'प्रताप' का प्रकाशन किया।
लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय समय में ही तिलक तथा एनी बेसेन्ट ने क्रमशः अप्रैल व सितम्बर 1915 ई. में
होमरूल लीग की स्थापना की।1916 ई. में लॉर्ड हार्डिंग को
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्त किया गया।
लार्ड चेम्सफोर्ड Lord Chelmsford (4 अप्रैल 1916 से 2 अप्रैल 1921)
1916 ई. में कोंग्रेस के
लखनऊ अधिवेशन में कोंग्रेस का एकीकरण हुआ एंव
मुस्लिम लीग के साथ के साथ समझोता हुआ.
इस महायुद्ध में भारतीय सेनाओं को भेजने के कारण वह काफ़ी चर्चित रहा।
इसके समय में 1919 ई. का
रौलट एक्ट पास हुआ था।
प्रसिद्ध
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड, लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड के समय में ही 13 अप्रैल, 1919 ई. को हुआ।
इसके समय में भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. व
मॉण्टेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड सुधार लाया गया।
1916 ई. में पूना में
'महिला विश्वविद्यालय' की स्थापना तथा 1917 ई. में शिक्षा पर
'सैडलर आयोग' की नियुक्ति लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड के समय में ही की गई।
'ख़िलाफ़त आंदोलन' 1920-21 ई. में एवं गाँधी जी के
सत्याग्रह आन्दोलन की शुरुआत, '
तृतीय अफ़ग़ान युद्ध'आदि महत्त्वपूर्ण घटनायें लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड के समय में ही हुईं।
लार्ड रीडिंग Lord Reading (1921 ई. - 1926 ई.)-
लार्ड रीडिंग के काल में 1921 ई. में
मोपला विद्रोह हुआ.
1921 ई. में
एम. एन. राय द्वारा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया गया.
रीडिंग के काल में इलाहाबाद में सिविल सेवा परीक्षा की शुरुवात 1922 ई. में हुई.
5, फरवरी 1922 ई. को
चोरी-चोरी हत्या कांड के बाद महात्मा गाँधी ने अपना
असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया.
लार्ड इरविन Lord Irwin (1926 ई. - 1931 ई. )
इरविन का पूरा नाम 'लॉर्ड एडवर्ड फ़्रेडरिक लिन्डले वुड इरविन' था।
1926 ई. से 1931 ई. तक वह भारत का वायसराय तथा गवर्नर-जनरल रहा। भारत के वायसराय के रूप में उसका कार्यकाल अत्यन्त तूफ़ानी कहा गया। 1920 ई. में आरम्भ किया गया असहयोग आन्दोलन उस समय भी जारी था। 1919 ई. के
'गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट' की कार्यविधि का मूल्यांकन करने के लिए, जो
साइमन कमीशननियुक्त किया गया था, उसके सभी सदस्य अंग्रेज़ थे।
कांग्रेस ने 1930 ई. में महात्मा गांधी के नेतृत्व में
सत्याग्रह आन्दोलन शुरू किया। गांधी जी ने अपने कुछ अनुयायियों के साथ
'दांडी यात्रा' की ओर कूच किया और जानबूझकर सरकार का 'नमक क़ानून' तोड़ा।
12 नवम्बर, 1930 ई. में लंदन में
प्रथम गोलमेज सम्मेलन हुआ, जिसमे कोंग्रेस ने भाग नहीं लिया. 4 मार्च, 1931 ई. को
गाँधी इरविन समझोते पर हस्ताक्षर किया गया और साथ ही
सविनय अवज्ञा आन्दोलन को स्थगित किया गया.
लॉर्ड विलिंगडन Lord Willingdon (1931 ई. - 1936 ई.)
लॉर्ड विलिंगडन 1931 ई. से 1936 ई. तक भारत का वाइसराय रहा। 1931 ई. में लॉर्ड इरविन के बाद विलिंगडन को वाइसराय बनाकर भारत भेजा गया था। इसके समय में 7 सितम्बर से 2 दिसम्बर, 1931 ई. तक
'द्वितीय गोलमेज सम्मेलन' का आयोजन लन्दन में हुआ। इस सम्मेलन में गाँधी जी ने कांग्रेस (राष्ट्रीय) का प्रतिनिधित्व किया था।
महात्मा गाँधी एवं अम्बेडकर के बीच 24 सितम्बर, 1932 ई. को
पूना समझोता हुआ। अगस्त 1932 ई. में
'रैम्जे मैकडानल्ड' ने प्रसिद्ध साम्प्रदायिक निर्णय की घोषणा की थी।
दिसम्बर, 1932 ई. में लॉर्ड विलिंगडन के समय में ही
'तृतीय गोलमेज सम्मेलन' का आयोजन लन्दन में हुआ।
1 अगस्त, 1933 ई. को गाँधी जी ने दोबारा
सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया।
5 जनवरी, 1934 ई. को बिहार में आये भूकम्प के झटके से काफ़ी नुकसान हुआ।
'भारत सरकार अधिनियम 1935' इसी समय पास किया गया।
लार्ड लिनलिथगो Lord Linlithgow (1936 ई. - 1941 ई.)
लॉर्ड लिनलिथगो के समय में पहले चुनाव कराये गये। चुनाव के परिणाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पक्ष में रहे। कांग्रेस ने 11 में से 8 प्रान्तों में सरकार बनाई।
1 सितम्बर, 1939 ई. को
द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ हुआ। इस युद्ध में भारतीयों का सक्रिय सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से लॉर्ड लिनलिथगो ने भारतीय नेताओं के समक्ष
'अगस्त प्रस्ताव' (8 अगस्त, 1940 ई.) रखा, जिसमें भारतीयों को प्रलोभित करने वाले अनेक प्रस्ताव थे। ' भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के
'हरिपुरा अधिवेशन' में 19 फ़रवरी, 1938 ई. को सुभाषचन्द्र बोस को अध्यक्ष चुना गया। कांग्रेस के
'त्रिपुरा अधिवेशन' में सुभाषचन्द्र बोस पुनः कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये, परन्तु गाँधी जी के विरोध के चलते उन्होंने त्यागपत्र दे दिया तथा अप्रैल, 1939 ई. मे सुभाषचन्द्र बोस ने
'फ़ारवर्ड ब्लॉक' नाम की एक नई पार्टी का गठन किया, सुभाषचन्द्र बोस के त्याग पत्र के पश्चात्
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।
'द्वितीय विश्व युद्ध' में भारतीयों को सम्मिलित किये जाने के विरोधस्वरुप ही कांग्रेसी मंत्रिमण्डल ने 22 दिसम्बर, 1939 ई. को त्यागपत्र दे दिया। इसी दिन अर्थात् 22 दिसम्बर, 1939 ई. को
मुस्लिम लीग द्वारा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया गया। लिनलिथगो के समय में पहली बार 1940 ई. में
पाकिस्तान की मांग की गई। 8 अगस्त 1940 ई. को अगस्त प्रस्ताव अंग्रेजो द्वारा लाया गया.
1942 ई. में क्रिप्स मिशन भारत आया। 9 अगस्त ,1942 ई. को कोंग्रेस ने
भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारंभ किया. 1943 ई. में बंगाल में भयानक अकाल पड़ा.
लार्ड वेवेल Lord Wavell (1943 ई. - 1947 ई.)
लॉर्ड वेवेल 1944 ई. से 1947 ई. तक भारत में वाइसराय के पद पर रहा।
उसके समय में 1945 ई. में
'शिमला समझौता' हुआ था।
'लॉर्ड पैथ्रिक लारेन्स' के नेतृत्व में
कैबिनेट मिशन, जिसके सदस्य
'स्टेफर्ड क्रिप्स' और 'ए. वी. अलेक्ज़ेण्डर' थे, भारतीय नेताओं से राजनीतिक मामलों पर बातचीत करने के उद्देश्य से मार्च, 1946 ई. को दिल्ली आया।
तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री
क्लीमण्ट एटली ने भारत को जून, 1948 ई. के पहले स्वतन्त्र करने की घोषणा की।
गवर्नर जनरल | काल |
लार्ड माउंटबेटेन Lord Mountbatten | 15 अगस्त 1947 से 21 जून 1948 |
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी Chakravarti Rajagopalachari | 21 जून 1948 से 26 जनवरी 1950 |
लार्ड माउंटबेटेन Lord Mountbatten (1947 ई. - 1948 ई.)
सत्ता हस्तान्तरण के लिए 24 मार्च, 1947 को भारत का
गवर्नर जनरल लार्ड माउन्ट बेटन को बनाया गया. 3 जून 1947 को माउन्ट बेटन आयोग घोषित किया गया, जिसमे
भारत विभाजन भी सामिल था. 4 जुलाई, 1947 ई. को ब्रिटिश संसद में एटली द्वारा भारतीय स्वतंत्रता विधेयक प्रस्तुत किया गया. जिसे 18 जुलाई, को स्वीकरतीं मिली. 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ,
स्वतन्त्र भारत का प्रथम गवर्नर - जनरल लार्ड माउन्ट बेटन बने.
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