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Vivah Paddhati Kitab विवाह पद्धति किताब

विवाह पद्धति किताब



GkExams on 11-02-2023


विवाह क्या है : शादी या पाणिग्रहण हमारी संस्कृति में सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र घटनाओं में से एक है। शादी का असली मतलब वेद में लिखा गया हैं। हिन्दू शास्त्रों में प्रमुख 16 संस्कारों में विवाह भी है।

Vivah-Paddhati-Kitab


यदि कोई मनुष्य संन्यास नहीं लेता है तो प्रत्येक व्यक्ति को विवाह करना जरूरी है। विवाह करने के बाद ही पितृऋण चुकाया जा सकता है। वि + वाह = विवाह अर्थात अत: इसका शाब्दिक अर्थ है- विशेष रूप से (उत्तरदायित्व का) वहन करना। विवाह को पाणिग्रहण कहा जाता है।




विवाह पद्धति किताब :




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हिन्दू विवाह मंत्र :




यहाँ हम आपको हिन्दू विवाह के 7 मंत्रों (vivah mantra in sanskrit) से अवगत करायेंगे जो इस प्रकार है....


1. इहेमाविन्द्र सं नुद चक्रवाकेव दम्पती। प्रजयौनौ स्वस्तकौ विस्वमायुर्व्यऽशनुताम् ॥


अर्थ - हे भगवान इंद्र ! आप इस नवविवाहित जोड़े को इस तरह साथ लाये जैसे चक्रवका पक्षियों की जोड़ी रहती है, वे वैवाहिक जीवन का आनंद लें, और ये संतान की प्राप्ति के साथ - साथ एक पूर्ण जीवन जिए।


2. धर्मेच अर्थेच कामेच इमां नातिचरामि।धर्मेच अर्थेच कामेच इमं नातिचरामि॥


अर्थ - में अपने कर्तव्य में, अपने धन संबंधी मामलो में, अपनी जरूरतों में, मैं हर बात पर जीवन साथी से सलाह लूंगा ।


3. गृभ्णामि ते सुप्रजास्त्वाय हस्तं मया पत्या जरदष्टिर्यथासः।भगो अर्यमा सविता पुरन्धिर्मह्यांत्वादुःगार्हपत्याय देवाः ॥


अर्थ - मैं तुम्हारा हाथ पकडे रखूंगा ताकि हम योग्य बच्चों के माँ-बाप बन सके और हम कभी अलग न हो। मैं इंद्र, वरुण और सवितृ देवताओं से एक अच्छे ग्रहस्थ जीवन का आशीर्वाद मांगता हूं।


4. सखा सप्तपदा भव।सखायौ सप्तपदा बभूव। सख्यं ते गमेयम्। सख्यात् ते मायोषम्। सख्यान्मे मयोष्ठाः


अर्थ - तुम मेरे साथ सात कदम चल चुके हो, अब हम दोस्त बन गए हैं।


5. धैरहं पृथिवीत्वम्। रेतोऽहं रेतोभृत्त्वम्। मनोऽहमस्मि वाक्त्वम्। सामाहमस्मि ऋकृत्वम्। सा मां अनुव्रता भव


अर्थ - मैं आकाश हूँ और तुम पृथ्वी हों । मैं ऊर्जा देता हूँ और तुम ऊर्जा लो। मैं मन हूँ और तुम शब्द हो। मैं संगीत हूँ और तुम गीत हो। तुम और मैं एक दूसरे का पालन करें।


6. चित्तिरा उपबर्हणं चक्षुरा अभ्यञ्जनम् ।ध्यौर्भूमिः कोश आसीद्यदयात्सूर्या पतिम् ॥


अर्थ - इस मंत्र का मतलब है जब सोमा सूर्या को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लेता हैं।


7. गृभ्णामि ते सौभगत्वाय हस्तं मया पत्या जरदष्टिर्थासः। भगो अर्यमा सविता पुरंधिर्मह्यं त्वादुर्गार्हपत्याय देवाः ॥


अर्थ - इस मंत्र में सोमा सूर्या को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हुए लम्बे जीवन की कामना करता हैं।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Deepak Kumar Chaubey on 02-05-2021

Vivah paddhati hindi me

Harsh mishra on 25-11-2020

Saat fere Kon Kon se hote h

shivam mishra on 12-05-2019

kasoudo kaise karaye




shivam mishra on 12-05-2019

kasoudo kaise karaye



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