फूल-पौधे द्विछिद्रन्विय होते हैं जो कि दो प्रकार के छिद्रों (spore) का सृजन करते हैं। पराग (pollen) (पुरूष छिद्र) और बीजांड (ovule) (महिला छिद्र) का निर्माण अलग-अलग अंगों में होता है, पर एक विशिष्ट फूल बईस्पोरिंगिएट स्ट्रोबईलुस धारण किए हुए रहता है जिसमे दोनों अंग होते हैं
फूल को एक संशोधित तना (stem) कहा जाता है, छोटे इंटरनोडों और बेयरिंग के साथ, इसके नोड्स (nodes) ऐसे संरचित होते हैं जो की अति संसोधित पत्ते (leaves) हो सकते हैं। संक्षेप में, एक फूल की संरचना एक संशोधित तने पर एक अग्र मेरीस्टेम (meristem) पर होती है, जो की लगातार बढ़ते नहीं रहता (वृद्धि नियत होती है) फूल कुछ तरीकों से पौधे से जुड़े रहते हैं। यदि फूल तने से जुड़े नहीं होते और उनका निर्माण पतों पर होता है तो उन्हें अव्रिंत कहा जाता है जब फूल का पुष्पण होता है, तो उसे एक फूलीय पुष्पण (peduncle) कहा जाता है। यदि फुलीय पुष्पण (pedicel) फूलों के समूहों में ख़त्म होता है, तो प्रत्येक ताना जो फूल को ग्रहण किए रहता है उसे पेडीसेल कहते हैं। पुष्पण वाला तना एक अन्तक रूप सृजित करता हैं जिसे फूल की कुर्सी या उसका पत्र कहते हैं फूल के हिस्से पत्र के ऊपर वोर्ल (whorl) में व्यवस्थित होते हैं। वोर्ल के चार मुख्य भाग (जड़ से प्रारम्भ करके या न्यूनतम आसंथी से लेकर ऊपर तक चलते हुए) इस प्रकार हैं:
रेखा चित्र एक परिपक्व फूल के भागों को दिखाते हुए
सार्रसीनिया (Sarracenia) जाति के
छत्री के शैली में फूल
पूर्ण पुष्प का एक उदहारण, क्रेटेवा रेलीजिओसा (Crateva religiosa) फूल में पुंकेसर (बाह्य वृताकार में) और एक जायांग (केन्द्र में).
बाह्यदलपुंज (Calyx) :सेपल (sepal) का बाह्य वोर्ल आदर्श रूप में ये हरे होते हैं, पर कुछ नस्लों में पंखुडी रूपी भी होते हैं।
Corolla: पंखुडी का वोर्ल दलपुंज (petal), जो कि ज्यादातर पतले, कोमल और रंगीन होते हैं ताकि परगन (pollination) की प्रक्रिया की मदद के लिए कीटों को आकर्षित कर सकें.
ऍनड्रोसियम (Androecium) (यूनानी ऍनड्रोस ओइकिया : मनुष्य के घर): पुंकेसर (stamen) के एक या दो वोर्ल, प्रत्येक एक रेशा (filament) होता है जिसके ऊपर परागाशय (anther) होता है जो जिसमें पराग (pollen) का उत्पादन होता है। पराग में पुरूष जननकोश (gamete) विद्यमान होते हैं
जैनाइसियम (Gynoecium) स्त्रीकेसर (यूनानी से जैनायीकोश ओइकिया : महिला का घर): जो कि एक या उससे ज्यादा गर्भकेसर (pistil) होते हैं। स्त्रीकेसर (carpel) मादा प्रजनन अंग हैं, जिसमे अंडाशय के साथ पूर्वबीज (जिनमें मादा जननकोष होते हैं) भी होते हैं। एक जायांग में कई कार्पेल एक दुसर में सलग्न हो सकते हैं, ऐसे मामलो में प्रत्येक फूल का एक स्त्रीकेसर, या एक व्यक्तिक कार्पेल (तब फूल को एपोकार्पस कहा जाता है) स्त्रीकेसर का लसलसा अग्र भाग- स्त्रीकेसर (stigma) पराग का ग्राही होता है सहायक डंठल, यह शैली पराग नली (pollen tube) के लिए रास्ता बन जाती है ताकि वे पराग के दानो से के लिए प्रजनन के सामान को ले जाते हुए निर्मित हो सकें.
यद्दपि ऊपर वर्णित फूलों की संरचना को आदर्श संरचनात्मक योजना माना जा सकता है, परन्तु पौधों की जाति इस योजना से हटकर बदलाव के व्यापक भिन्नता को दिखाते हैं। ये बदलाव फूल-पौधों के विकास में बहुत मायने रखते हैं और वनस्पतिज्ञ इसका गहन प्रयोग पौधों की नस्ल के संबंधों को स्थापित करने के लिए करते हैं। मसलन फूल-पौधों कि दो उपजातियां का भेद उनके प्रत्येक वोर्ल के फुलीय अंगो को लेकर हो सकता है: एक द्विबीपत्री (dicotyledon) के वोर्ल में आदर्श रूप में चार या पाँच अंग होते हैं (या चार या पाँच के गुणांक वाले) और मोनोकोटेलीडॉन (monocotyledon) में तीन या तीन के गुणांक वाले अंग होते हैं। एक सामूहिक स्त्रीकेसर में केवल दो कार्पेल हो सकते हैं, या फिर ऊपर दिए गए मोनोकोट और डाईकोट के सामान्यीकरण से सम्बंधित न हों.
जैसा कि ऊपर वर्णित किया गया है कि व्यक्तिक फूलों के ज्यादातर नस्लों में जायांग (pistil) और पुंकेसर दोना होते हैं। वनस्पतिज्ञ इन फूलों का वर्णन पूर्ण, उभयलैंगीय, हरमाफ्रोडाइट (hermaphrodite) के रूप में करते हैं। फिर भी कुछ पौधों कि नस्लों में फूल अपूर्ण या एक लिंगीय होते हैं: या तो केवल पुंकेसर या स्त्रीकेसर अंगों को धारण किया हुए.पहले मामले में अगर एक विशेष पौधा जो कि या तो मादा या पुरूष है तो ऐसी नस्ल को डायोइसिअस (dioecious) माना जाता है। लेकिन अगर एक लिंगीय पुरूष या मादा फूल एक ही पौधे पर दीखते हैं तो ऐसे नस्ल को मोनोइसिअस (monoecious) कहा जाता है।
मूल योजना से फूलों के बदलाव पर अतिरिक्त विचार-विमर्श का उल्लेख फूलों के मूल भागों वाले लेखों में किया गया है। उन प्रजातियों में जहाँ एक ही शिखर पर एक से ज्यादा फूल होते हैं जिसे तथाकथित रूप से सयुंक्त फुल भी कहा जाता हैं-ऐसे फूलों के संग्रह को इनफ्लोरोसेंस (inflorescence) भी कहा जाता है, इस शब्द को फूलों की तने पर एक विशिष्ट व्यवस्था को लेकर भी किया जा सकता है। इस सम्बन्ध में ध्यान देने का अभ्यास किया जाना चाहिए कि फूल क्या है। उदहारण के लिए वनस्पतिशास्त्र की शब्दावली में एक डेजी (daisy) या सूर्यमुखी (sunflower) एक फूल नहीं है पर एक फूल शीर्ष (head) है-एक पुष्पण जो कि कई छोटे फूलों को धारण किए हुए रहते हैं (कभी कभी इन्हें फ्लोरेट्स भी कहा जाता है) इनमे से प्रत्येक फूल का वर्णन शारीरिक रूप में वैसे ही होंगे जैसा कि इनका वर्णन ऊपर किया जा चुका है। बहुत से फूलों में अवयव संयोग होता है, अगर बाह्य भाग केंद्रीय शिखर से किसी भी बिन्दु पर विभाजीत होता है, तो दो सुमेल आधे हिस्से सृजित होते हैं- तो उन्हें नियत या समानधर्मी कहा जाता है। उदा गुलाब या ट्रीलियम. जब फूल विभाजित होते हैं और केवल एक रेखा का निर्माण करते हैं जो कि अवयव संयोंग का निर्माण करते हैं ऐसे फूलों को अनियमित या जाइगोमोर्फिक उदा स्नैपड्रैगन/माजुस या ज्यादातर ओर्किड्स
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