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1950 में , के सांसदों ने अपने संविधान को गठित करने के प्रयास तेज़ कर दिए। मोहम्मद अली और उनकी सरकार के अधिकारियों ने देश में विपक्षी दलों के सहयोग के साथ पाकिस्तान के लिए एक संविधान तैयार करने के लिए काम किया।
अंत में, इस संयुक्त कार्य के कारण, संविधान के पहले समूच्चय को लागू किया गया। यह घटना 23 मार्च 1956 को हुई थी,इस दिन को आज भी (या ) मनाता है। इस संविधान ने पाकिस्तान को "एकसदनीय विधायिका" के साथ की प्रदान की। साथ ही, इसने आधिकारिक तौर पर को एक घोषित भी किया(इसी के साथ विश्व की पहली बन गई)। इसके अलावा, इसमें, समता के सिद्धांत को भी पहली बार पेश किया गया था।
संविधान द्वारा, ने अध्यक्ष पद ग्रहण किया, लेकिन राष्ट्रीय मामलों में उनकी लगातार असंवैधानिक भागीदारी के कारण, चार निर्वाचित को मात्र दो सालों में ही बर्खास्त कर दिया गया। जनता के दबाव के तहत, राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने 1958 में तख्तापलट को वैध ठहराया; और इस प्रकार यह संविधान लगभग निलंबित हो गया। शीघ्र ही बाद में जनरल ने इस्कंदर मिर्जा अपदस्थ और खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। और इसलिए इस यह संविधान केवल 3 साल के लिए ही चल पाया।
17 फरवरी 1960, को ने देश के भविष्य के राजनीतिक ढांचे पर रिपोर्ट करने के लिए एक आयोग की नियुक्ति की। आयोग पाकिस्तान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, की अध्यक्षता में दस अन्य सदस्यों के साथ गठित की गई थी। इसमें पूर्वी पाकिस्तान से पांच सदस्य और पांच पश्चिमी पाकिस्तान से भी पाँच सदस्य थे। यह पूर्णतः सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, वकीलों, उद्योगपतियों और जमींदारों से बना था। इस संविधान आयोग की रिपोर्ट को 6 मई 1961 को राष्ट्रपति अयूब के समक्ष प्रस्तुत की गई और राष्ट्रपति और उनके मंत्रिमंडल द्वारा जांच के पश्चात जनवरी 1962 में, कैबिनेट अंत में नए संविधान के मूल पाठ को मंजूरी दे दी गई। इसे राष्ट्रपति अयूब द्वारा 1 मार्च 1962 को लागू किया गया था और अंत में 8 जून 1962 को यह प्रभाव में आया। यह संविधान निहित 250 लेख बारह भागों और तीन कार्यक्रम में बांटा गया था।
पिछले संविधान की तरह ही इसमें भी को इस्लामिक मूल्यों पर बनाने की बात की गई थी और एकसदनीय विधायिका को तथस्त रखा गया था। परंतु 1956 के संविधान के मुकाबले इस संविधान की परियोजनाओं के मुताबिक को अनेक कर्याधिकार दिये गए थे, और मूलतः एक अध्यक्षीय व्यवस्था गठित की गई थी।
की तरह ही 1962 का भी अधिक समय तक नहीं रह पाया। में दूसरा मार्शल लॉ(सैन्यशासन), 26 मार्च 1969 को लगाया गया था जब राष्ट्रपति ने 1962 में संविधान निराकृत किया और सेना के कमांडर-इन-चीफ को सत्ता सौंप दिया। राष्ट्रपति पद संभालने पर, जनरल याह्या खान पश्चिम पाकिस्तान में लोकप्रिय मांग पर को खत्म कर दिया और एक आदमी एक वोट के सिद्धांत पर का आदेश दिया।
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Pakistan ka sabhidhan kisne likh
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पाकिस्तान का संविधान किसने लिखा?