Khejdi Aushadhiy Upyog खेजड़ी औषधीय उपयोग

खेजड़ी औषधीय उपयोग



GkExams on 12-05-2019

शमी के आयुर्वेदिक गुण और कर्म

शमी के पत्ते स्वाद में कटु, तिक्त, कषाय व गुण में लघु,-रुक्ष है। स्वभाव से पत्ते शीत (फल उष्ण) और कटु विपाक है। यह शीत है। का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। शीत औषधि के सेवन से मन प्रसन्न होता है। यह जीवनीय होती हैं। यह स्तम्भनकारक और रक्त तथा पित्त को साफ़ / निर्मल करने वाली होती हैं।


शमी का फल भारी, पित्तकारक, रूखे माने गए हैं। इनका सेवन मेधा और केशों का नाश करने वाला बताया गया है।

  1. रस (taste on tongue): कटु, तिक्त, कषाय
  2. गुण (Pharmacological Action): लघु, रुक्ष
  3. वीर्य (Potency): शीत
  4. विपाक (transformed state after digestion):कटु

प्रधान कर्म

  1. पित्तहर: द्रव्य जो पित्तदोष पित्तदोषनिवारक हो। antibilious
  2. कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  3. विरेचन: द्रव्य जो पक्व अथवा अपक्व मल को पतला बनाकर अधोमार्ग से बाहर निकाल दे।
  4. कुष्ठघ्न: द्रव्य जो त्वचा रोगों में लाभप्रद हो।
  5. अर्शोघं: द्रव्य जो अर्श में लाभप्रद हो।
  6. कृमिघ्न: द्रव्य जो कृमि को नष्ट कर दे।

शमी के पत्तों का चूर्ण 3-5 ग्राम की मात्रा में अकेले ही इन रोगों में लाभप्रद है:

  1. अर्श (piles)
  2. अतिसार (diarrhoea)
  3. बालगृह (psychotic syndrome of children)
  4. भ्रम (vertigo)
  5. कृमि (worm infestation)
  6. कास (cough)
  7. कुष्ठ (Leprosy /diseases of skin)
  8. नेत्ररोग (diseases of the eye)
  9. रक्तपित्त (bleeding disorder)
  10. श्वास (Asthma)
  11. विषविकार (disorders due to poison)

शमी की छाल के काढ़े को 50-100 ml की मात्रा में फलों के चूर्ण को 3-6 ग्राम की मात्रा में लेते हैं।

शमी के औषधीय उपयोग Medicinal Uses of Shami Tree in Hindi

शमी के वृक्ष का धार्मिक महत्व तो है ही परन्तु यह एक औषधीय वृक्ष भी है। इसके काढ़े को बुखार में प्रयोग किया जाता है। इसके पत्तों को बाह्य रूप से पेस्ट रूप में लगाया जाता है। इसकी छाल कड़वी, कसैली, और कृमिनाशक होती है। इसे बुखार, त्वचा रोग, प्रमेह, उच्च रक्तचाप, कृमि और वात-पित्त के प्रकोप से होने वाले रोगों में प्रयोग किया जाता है।


दाद-खाज, एक्जीमा


शमी की पत्तियों को गो मूत्र अथवा धि में पीस कर प्रभावित स्थानों पर बाह्य रूप से लेप किया जाता है। ऐसा 3-4 दिन तक लगातार किया जाता है।


पीलिया


वृक्ष की छाल का काढ़ा पीलिया में दिया जाता है।


मवाद वाला फोड़ा


शमी की छाल का चूर्ण अथवा पेस्ट प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ होता है।


प्रमेह रोग


शमी की कोपल को पांच ग्राम की मात्रा में चबा कर खाने के बाद गाय का दूध पीने से लाभ होता है। ऐसा 2-4 दिन तक किया जाता है।


गर्भपात रोकने के लिए


इसके फूलों और चीनी के पेस्ट को गर्भावस्था में खाया जाता है।


सफ़ेद पानी (श्वेत प्रदर / लिकोरिया)


जड़ों की छाल का चूर्ण 1-3 ग्राम की मात्रा में 100 ml बकरी के दूध के अट्टह लिया जाता है।


धातु रोग, धातुपौष्टिक, स्तम्भन बढ़ाने के लिए


शमी की कोपलें 5-10 ग्राम की मात्रा में, बराबर मात्रा में मिश्री के साथ पानी डाल कर पीसकर लेने से लाभ होता है।


पित्त प्रकोप के रोग


शमी की कोपलें 5-10 ग्राम की मात्रा में, खांड के साथ लेकर ऊपर से गाय का दूध पियें।


आँखों के लिए ड्रॉप्स


पत्तों के रस को आँखों में डाला जाता है।


अपच


ताज़ा पत्तों को पीस कर, नींबू के रस के साथ खाया जाता है।


दांतों में दर्द


पत्तों को चबाने से दांत मजबूत होते हैं और दर्द में लाभ होता है।


बिच्छू के काटने पर


छाल का पेस्ट प्रभावित स्थान पर लगाते हैं।



Comments Jeet on 19-02-2023

इंदौर मे खेजड़ी का पेड़ पाया जाता है या नही

Sanju on 28-12-2022

Kya khejadi ke ped ki chhal se davai banti he

Lok pal sharma on 13-08-2022

Kya Sami tree ka hi nam hai khejdi


Khejdi Ki chhal kya use on 10-06-2022

kkhejdi Ki chhal kya use

Riya on 14-11-2020

खेजड़ी पेड़ की छाल ककस काम आती है ?

kuldeep on 25-06-2020

मसङो को मजबुत करना

BEERA RAWAT DHOLPUR on 25-03-2020

खेजड़ी वृक्ष मेला राजस्थान में प्रत्येक वर्ष–— भाद्रपद शुक्ल दशमी·· को लगता है


Laxman on 13-02-2020

Khejri tree is related to





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