शमी के पत्ते स्वाद में कटु, तिक्त, कषाय व गुण में लघु,-रुक्ष है। स्वभाव से पत्ते शीत (फल उष्ण) और कटु विपाक है। यह शीत है। का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। शीत औषधि के सेवन से मन प्रसन्न होता है। यह जीवनीय होती हैं। यह स्तम्भनकारक और रक्त तथा पित्त को साफ़ / निर्मल करने वाली होती हैं।
शमी का फल भारी, पित्तकारक, रूखे माने गए हैं। इनका सेवन मेधा और केशों का नाश करने वाला बताया गया है।
प्रधान कर्म
शमी के पत्तों का चूर्ण 3-5 ग्राम की मात्रा में अकेले ही इन रोगों में लाभप्रद है:
शमी की छाल के काढ़े को 50-100 ml की मात्रा में फलों के चूर्ण को 3-6 ग्राम की मात्रा में लेते हैं।
शमी के वृक्ष का धार्मिक महत्व तो है ही परन्तु यह एक औषधीय वृक्ष भी है। इसके काढ़े को बुखार में प्रयोग किया जाता है। इसके पत्तों को बाह्य रूप से पेस्ट रूप में लगाया जाता है। इसकी छाल कड़वी, कसैली, और कृमिनाशक होती है। इसे बुखार, त्वचा रोग, प्रमेह, उच्च रक्तचाप, कृमि और वात-पित्त के प्रकोप से होने वाले रोगों में प्रयोग किया जाता है।
दाद-खाज, एक्जीमा
शमी की पत्तियों को गो मूत्र अथवा धि में पीस कर प्रभावित स्थानों पर बाह्य रूप से लेप किया जाता है। ऐसा 3-4 दिन तक लगातार किया जाता है।
पीलिया
वृक्ष की छाल का काढ़ा पीलिया में दिया जाता है।
मवाद वाला फोड़ा
शमी की छाल का चूर्ण अथवा पेस्ट प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ होता है।
प्रमेह रोग
शमी की कोपल को पांच ग्राम की मात्रा में चबा कर खाने के बाद गाय का दूध पीने से लाभ होता है। ऐसा 2-4 दिन तक किया जाता है।
गर्भपात रोकने के लिए
इसके फूलों और चीनी के पेस्ट को गर्भावस्था में खाया जाता है।
सफ़ेद पानी (श्वेत प्रदर / लिकोरिया)
जड़ों की छाल का चूर्ण 1-3 ग्राम की मात्रा में 100 ml बकरी के दूध के अट्टह लिया जाता है।
धातु रोग, धातुपौष्टिक, स्तम्भन बढ़ाने के लिए
शमी की कोपलें 5-10 ग्राम की मात्रा में, बराबर मात्रा में मिश्री के साथ पानी डाल कर पीसकर लेने से लाभ होता है।
पित्त प्रकोप के रोग
शमी की कोपलें 5-10 ग्राम की मात्रा में, खांड के साथ लेकर ऊपर से गाय का दूध पियें।
आँखों के लिए ड्रॉप्स
पत्तों के रस को आँखों में डाला जाता है।
अपच
ताज़ा पत्तों को पीस कर, नींबू के रस के साथ खाया जाता है।
दांतों में दर्द
पत्तों को चबाने से दांत मजबूत होते हैं और दर्द में लाभ होता है।
बिच्छू के काटने पर
छाल का पेस्ट प्रभावित स्थान पर लगाते हैं।
Kya khejadi ke ped ki chhal se davai banti he
Kya Sami tree ka hi nam hai khejdi
kkhejdi Ki chhal kya use
खेजड़ी पेड़ की छाल ककस काम आती है ?
मसङो को मजबुत करना
खेजड़ी वृक्ष मेला राजस्थान में प्रत्येक वर्ष–— भाद्रपद शुक्ल दशमी·· को लगता है
Khejri tree is related to
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