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मलेरिया परजीवी प्लाज्मोडियम अपना जीवन चक्र दो पोषकों में पुरा करता है।
प्लाज्मोडियम का प्राथमिक पोषक मनुष्य हैं
ओर मनुष्य में केवल प्लाज्मोडियम का अलेन्गिक चक्र होता हैं
प्लाज्मोडियम का द्वितीयक पोषक मादा एनोफिलिज हैं जिसमें प्लाज्मोडियम का लेंगिक चक्र एवं अलेंगिक गुणन होता हैं
प्लाज्मोडियम का संग्रह पोषक बन्दर होता है। प्लाज्मोडियम कि बन्दर में वही अवस्थाये पाई जाती हैं जो मनुष्य में पाई जाती हैं लेकिन बंदर में मलेरिया रोग नहीं होता ऒर बंदर मरता नहीं है।
प्लाज्मोडियम के अनेक पोषक होने के कारण मलेरिया का उन्मूलन आसान नहीं हैं क्योंकि इसका कोइ टिका नहीं हैं व टिका नहीं बनने का कारण प्लाज्मोडियम मनुष्य के शरीर में एन्टिबोडी निर्माण को उद्दोपित नहीं करता व शरीर मे प्रतिरक्षी पदार्थ नहीं बन पाते।
मनुष्य में प्लाज्मोडियम का जीवन चक्र .....
मनुष्य में प्लाज्मोडियम की जीवन क्रियाएँ दो स्थानों पर सम्पन्न होती हैं
(1) लीवर. (2)RBC
लीवर मे सम्पन्न होने वाली सभी कियाऒ को exoerythrocytic cycle तथा RBC में सम्पन्न होने वाली क्रियाओं को erythrocytic cycle कहते है।
1 मनुष्य में प्लाज्मोडियम का संक्रमण..
-मनुष्य में प्लाज्मोडियम कि संक्रमण अवस्था स्पोरोजोइट हैं जो मादा एनाफिलिज कि लार ग्रंथियो में लगभग दो लाख भरे होते हैं
-स्पोरोजोइट आक्रूति में हन्सियाकार होते है इनके शरीर पर पेलिकल का आवरण पाया जाता है जो 11से15 माइक्रोट्युबुल्स का बना होता है।
-स्पोरोजोइट के अग्र शिरे पर एक छिद्र होता हैं जिसे माइक्रोपाइल कहते है इसको एक सरचना घेरे रहती है। जिसे apical cap कहते है।apical cap तीन संकेन्द्री सुक्ष्म नलिकाओं कि बनी होती है जिन्हें microtubuls कहते है।
-माइक्रोपाइल से एक जोडी स्त्रावण अन्गक सम्बन्धित होते हैं जिसमें अपघटनिय एन्जाइम भरे होते है जिसकी सहायता से स्पोरोजोइट मनुष्य कि लीवर कोशिकाओं का भेदन करके उसमें प्रवेश करते है।
-स्पोरोजोइट के मध्य एक बडा अन्डाकार केन्द्रक होता है। इसके ठिक नीचे एक माइटोकोन्ड्रीया उपस्थित होती है।
मच्छर जब काटता है तो प्रतिस्कन्दन पदार्थ स्त्रावित करता है ताकि रक्त चूसने में कठिनाई न हो मच्छर की लार के साथ अनेक स्पोरोजोइट मनुष्य के रक्त मे प्रवेश कर जाते हैं तथा 30 मिनट मे यह सभी लीवर में पहुँच जाते हैं अब यह रक्त मे दिखाई नहीं देते
लीवर में प्लाज्मोडियम का प्रथम चक्र-पूर्व रक्ताणु चक्र ओर preerythrocytic cycle होता है।
प्लाज्मोडियम अपना जीवन चक्र लीवर से प्रारम्भ करते है। क्योंकि
1 wbc से सुरक्षा के लिये
2 भोजन प्राप्ति के लिये क्योंकि प्लाज्मोडियम का प्रिय भोजन ग्लाइकोजन होता है। जो लीवर में अधिता मे पाया जाता है।
3 गुणन करने के लिये
-स्पोरोजोइट लीवर कोशिकाओं में प्रवेश करते है। तथा उनके कोशिकाद्रव्य का भक्षण कर बडे व गोल हो जाते हैं अब यह क्रिप्टोजोइट कहलाते है।
-क्रिप्टोजोइट में बहुविभाजन होता है अब इस अवस्था को शाइजोगोनि कहते है। जिसके परिणामस्वरूप इसमें 1000 से1500 छोटी छोटी सरचनाए बन जाती है। इनको क्रिप्टोमिरोजोइट कहते है। अब क्रिप्टोजोइट को शाइजोन्ट कहते है।
-अन्त में लीवर कोशिका एवं शाइजोन्ट कि भिति फट्ट जाती हैं तथा क्रिप्टोमिरोजोइट लीवर के रक्त पात्रो मे स्वतंत्र हो जाते है।
-इनमें से कुछ क्रिप्टोमिरोजोइटस RBC को सन्क्रमित करते है तथा रक्ताणु चक्र चलाते है।
शेष क्रिप्टोमिरोजोइट पुन: लीवर की कोशिकाओं में चले जाते है। तथा पश्च बाह्य रक्ताणु चक्र चलाते हैं लीवर में प्रथम चक्र के बाद सभी चक्रो को पश्च बाह्य रक्ताणु चक्र कहा जाता है।
-पूर्व रक्ताणु चक्र को पुरा होने में लगा समय पूर्व व्यक्त काल कहलाता है इस काल के दोरान प्लाज्मोडियम को रक्त मे नहीं देखा जा सकता
Plasmodium life cycle samjhayie
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प्लास्मोडियम पर फाइल कैसे और उस फाइल में क्या क्या लिखे बताए my whats no 7900772703 par answer baj de plz
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Plasmodium lifecycle को समझाइए
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