सर्प दंश हो
जाने पर काटे हुए स्थान से काला सा रक्त कुछ लसीलापन लिये हुये बहने लगता
है. दंश स्थान पर जलन, चुभन तथा शोथ हो जाती है. रोगी कमजोर एवं
तंद्रायुक्त और सुस्त हो जाता है. रोगी का सिर नीचे की ओर झुक जाता है.
चक्कर आने लगते है तथा रोगी भयभीत हो जाता है. श्वासवरोध भी पाया जाता है.
मुख से कफ तथा झाग निकलने लगते है. किसी के विभिन्न अंगों से रक्त स्राव भी
होता है. रोगी का रस ज्ञान प्रायः नष्ट हो जाता है. जैसे नीम के पत्ते,
लहसुन, मिर्च आदि का वास्तविक स्वाद न अनुभव होना. यहाँ यह स्मरण रहे कि
जैसा सर्प होगा वैसे ही वातज, पित्तज, कफज लक्षणों की अधिकता होगी. यह
निश्चय हो जाने के बाद कि रोगी को सर्प ने ही काटा है हमे चाहिये कि-
उपर्युक्त
व्यवस्थाओं को करने के पश्चात रोगी को पकड़कर उसके दंश स्थान के ऊपर एक
मजबूत बंधन कस कर बांध दें. बंधन में रस्सी, रूमाल या किसी कपड़े का प्रयोग
किया जा सकता है. प्रथम बंधन के थोड़ा ऊपर दूसरा बंधन और बांध दें.
तत्पश्चात रूग्ण स्थल को मूलत्र अथवा स्वच्छ जल से प्रक्षालन करें. घाव को
साफ करने के बाद किसी चाकू, ब्लेड या धारधार शस्त्र से आधा इंच लंबा तथा
पाव इंच गहरा चीरा लगा दें. चीरा देने पर रक्त बहना लगेगा तथा उस स्थान का
संचित सर्प विष भी उसके साथ बह जायेगा. कदाचित चीरा देने पर रक्त न निकलें,
तो बंधनों को एक या दो मिनट के लिये ढीलें कर दें, रक्त बहना आरंभ होने पर
पुनः बंधनों को सख्त कर दें. ऐसा करने के पश्चात घाव पर साधारण पट्टी
बांधकर रोगी के निकटस्थ औषधालय में ले जायें और योग्य चिकित्सक की सेवाएं
उपलब्ध करें. बंधन बांधते समय इस बात पर पूरा ध्यान रखे कि प्रति आधे घंटे
के बाद बंधनों को एक एक मिनट के लिए खोले दिया करें.
किसी
किसी सर्प दंशित रोगी को कुछ वर्षो तक दंश स्थान पर दर्द या मूंह से रक्त
निर्हरण होता है ऐसे रोगियो को प्रवाल पिष्टी 2 रत्ती तथा सत्व गिलोय 4
रत्ती मधु के साथ दिन में दो बार पान करावें. खट्टे और गर्म पदार्थ खाने को
न दें.
आवश्यक बात
– साँप के काटते हि जहाँ तक जहर चढ़ चूका हो उसके ऊपर से मजबूत रस्सी से
खूब कस –कर बाँध दें और नौसादर बारीक पीसकर दोनों आँखों में भर दें जिससे
आँखों ख़राब न हों क्योकि जहर का असर सबसे पहले आँखों पर होता है | इसके बाद
तुरन्त आधा शेर घी अथवा कडुवा तेल पिला दें और घाव को तेज औजार से काटकर
(चोरकर) खून दबा-दबा कर निकाल दें | आग में लोहा गरम करके उससे घाव को जला
दें और इसके बाद दूसरी दवा शुरू करें |
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