1. पराश्रव्य आवृत्तिदर्शी - पराश्रव्य तरंगों द्वारा माध्यम में
जो ग्रेटिंग (grating) बनता है, उसमें से जानेवाले एकवर्ण प्रकाश की
तीव्रता विभिन्न दिशाओं में विभिन्न परिमाण की हो जाती है। इस तीव्रता
वितरण के द्वारा आवृत्ति की नाप हो जाती है।
2. दूरवीक्षण (Television) - दूरवीक्षण की स्कोफोनी व्यवस्था में इस ध्वनि का उपयोग होता है।
3. पदार्थों का परीक्षण - साधारणतया शुद्ध धातुओं में पराश्रव्य
तरंगों का संचरण विकारहीन होता है, किंतु उनमें यदि कहीं टूट फूट हो, अथवा
सम्मांगिता न हो, तो वहाँ पर इन तरंगों का परावर्तन अथवा अवशोषण हो जाता
है। इस प्रकार संचरण में गड़बड़ी होने से त्रुटि का पता चल जाता है। इसी
विधि का उपयोग मस्तिष्क के ट्यूमर, अथवा कैंसर, जैसी बीमारी का पता लगाने
में भी होने लगा है।
4. प्रतिध्वनि परासन - इनसे प्रतिध्वनि परासन का काम भी लिया
जाता है। पनडुब्बियों द्वारा कुहरे एवं धुंध में प्लावी हिमशैल का ज्ञान
इसी के द्वारा प्राप्त किया जाता है। समुद्र की गहराई की तथा अन्य जहाजों
की दूरी की नाप भी इसी विधि से होती है।
5. व्यासारण एवं कलिलीकरण - पराश्रव्य तरंगों द्वारा एक दूसरे
में पन घुलनेवाले द्रवों का पायस बन जाता है। यहाँ तक कि इन तरंगों के
प्रभाव से धातु भी द्रव में अपना पायस बनाती हैं। फोटोग्राफी के काम में
आनेवाला चाँदी का हैलाइड भी इसी विधि से बनता है। इन तरंगों के प्रभाव से
उच्चबहुलक (polymer) अणु टूट जाते हैं और इस प्रकार स्टार्च से शर्करा बनती
है। पराश्रव्य ध्वनि की पायसीकरण क्रिया का उपयोग अच्छी धातु बनाने के काम
में भी होता है। लोहे में नाइट्रोजन का निवेशन भी इससे सुगमतापूर्वक होता
है।
6. अपक्षेपण (coagulating) क्रिया - गैस माध्यम में ठोस एवं द्रव
के छोटे छोटे कण पराश्रव्य ध्वनि से अपक्षेपित होकर जमा हो जाते हैं। इस
प्रकार बड़े नगरों के कल कारखानों से निकलनेवाला हानिकारक धुआँ नगर के बाहर
जाने से रोका जाता है। ठीक इसी प्रकार कुहरा तथा धुंध भी दूर किए जाते
हैं।
7. रासायनिक प्रभाव - कई रासायनिक अभिक्रियाओं का वेग इन तंरगों के कारण बढ़ जाता है। लंबी श्रृंखला वाले बहुलकों को इससे तोड़ा भी जा सकता है।
8. उष्मीय प्रभाव - पराश्रव्य तरंगों द्वारा उष्मा का उपयोग
डायाथर्मी (diathermy) में होता है। इससे हड्डी की मज्जा को बिना हड्डी पर
प्रभाव डाले गरम किया जाता है।
9. जैविक प्रभाव - छोटे प्राणी, जैसे मछली, मेढक, प्रोटोज़ोआ
इत्यादि इन तरंगों द्वारा मर जाते है। जीवाणुओं में इनके प्रभाव से
परिवर्तन हो जाता है। इनसे दूध को जीवाणुरहित कर सकते है। इससे मांस को
अधिक दिनों तक ताजा रख सकते हैं तथा शराब का जीर्णन बढ़ाया जा सकता है।
10. कुछ अन्य उपयोग - पराश्रव्य ध्वनि से हीरे को काटने एवं पेषण
का काम होता है। कुत्तों को बुलाने के लिए ऐसी सीटियाँ हैं जिन्हें उनकी
पराश्रव्य ध्वनि के कारण हम सुन नहीं पाते हैं।
इस प्रकार इन विविध उपयोगों के कारण इस आणविक युग में भी पराश्रव्य ध्वनिकी का भौतिक विज्ञान में महत्वपूर्ण स्थान है।
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Ultra sound has frequency of vibration_.