पैन एक ऐसी चीज होती है. जो कि हमें लिखने में बहुत मदद करती है. पैन के
अंदर शाही होती है.. जब हम उसे किसी कागज के ऊपर चलाते हैं तो वह शाही पैन
से निकलकर कागज के ऊपर लिखने में हमारी मदद करती है. और जिस तरह भी हम
लिखना चाहते हैं उस तरह पेन से लिख सकते हैं पैन के आगे एक नोक होती है. जो
कि किसी भी धातु की बनी होती है. जैसे पीतल लोहा आई से बनी होती है. और
उसके अंदर में बहुत ही बारीक छेद होता है. जिसमें से बहुत ही धीरे-धीरे
शाही निकल कर बाहर आती है.
किसी भी आदमी के जीवन में पेन का बहुत महत्व होता है. क्योंकि पेन के
कारण ही पढ़ लिखकर आदमी बहुत बड़ा बनता है. पैन के कारण हम किसी भी तरह की
चीजों को लिख सकते हैं अगर पेन नहीं होता तो शायद हम आज के समय में इतने
ज्यादा पढ़े लिखे नहीं होते क्योंकि पैन हमें अच्छी तरह से लिख कर समझाने
में बहुत काम आता है. हमने आपको पहले एक पोस्ट में बताया था कि पेंसिल के
कारण हम पढ़ लिख सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं है. कि सिर्फ पेंसिल के कारण ही
पढ़ कर हम बड़े आदमी बन सकते हैं इसमें पेन का भी बहुत बड़ा हाथ होता है.
और पेंसिल की अगर बात करें तो पेंसिल से लिखा हुआ ज्यादा लंबे समय तक नहीं
चल पाता है. क्योंकि पेंसिल का लिखा हुआ जल्दी ही मिट जाता है. और यदि हम
किसी ऐसी चीज के बारे में एक बार लिख देते कि आने वाले समय में बहुत लंबे
समय तक चले या यह हमेशा के लिए ऐसे ही बनी रहे तो हम पेन से लिखते हैं
क्योंकि पेन से लिखा हुआ मिटता नहीं है. और ना ही जल्दी ही खराब होता है..
आज के समय में हम जिस पेन का इस्तेमाल करते हैं वह बॉल पेन कहलाते हैं
दूसरा पेन फाउन्टेन होता है., जिसमें रिफिल की जगह निब से लिखते हैं
वैसे तो किसी भी लिखे जाने वाली वस्तु आज से बहुत समय पहले आ चुकी थे
लेकिन उस समय सिर्फ पेन की तरह किसी चीज का डिजाइन ही तैयार किया गया था
लेकिन पैन बाद में आया था आज से लगभग 24000 साल पहले इस तरह की वस्तु का
डिजाइन तैयार किया गया था जिससे कि किसी भी तरह की चीज को बनाने या लिखने
में मदद मिले. आज से लगभग 24000 साल पहले समय के लोग अपनी खेती अपनी फसल और
शिकार किए गए जानवरों के चित्र दीवार पर बनाने के लिए पत्थर से बनाए गए
औजार का इस्तेमाल करते जिससे कि वह दीवार पर आसानी से उनके चित्र बना सकते
थे. 4000 BC में इस मिस्र के लोगों ने जब तक पेड़ पौधे का इस्तेमाल कर के
कागज बनाया तो इस पर लिखने के लिए बांस के पौधे का एक बंबू से पैन बनाया
गया. कई सालों बाद, मिस्र ने मोटी कैलामास / बांस रीड्स को रोजगार के
द्वारा पेन में आगे बढ़ाया. इसी तरह से रूम में मोम की टेबल के ऊपर लिखने
के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था 700 AD में परिंदे के पैर का इस्तेमाल
करके लिखा जाता था इन तरीकों से लिखना तो बहुत ज्यादा मुश्किल था फिर इसके
बाद अलग अलग तरीकों से पेन बनाने के लिए लिए बहुत से लोग इस काम में लग गए
लेकिन अलग अलग तरीकों से बनाए जाने के बाद भी हर पैन में कुछ ना कुछ कमी
जरूर होती थी.
फिर उसके बाद 1827 में Petrache Poenaru फाउंटेन पेन का आविष्कार किया
इस फाउंटेन पैन में भी एक कमी थी और वह कमी यह थी कि जब पेन से किसी तरह
लिखा जाता तो इसकी शाही बहुत देर बाद सूखती थी लेकिन इस दिक्कत को दूर करने
के लिए 1888 में John J Loud.ने बॉल पेन को बनाया इस पेन में भी एक और
दिक्कत थी और वह दिक्कत यह थी कि अगर इस पेन की स्याही पतली होती तो वह
अपने आप लीक हो जाती और यदि इसके इसकी स्याही ज्यादा मोटी होती तो इसके
अंदर ही अटक जाती .
इन दोनों आविष्कारों के बाद 50 साल बाद फिर एक हंगेरी के रहने वाले
Laszlo Biro ने अपने भाई George के साथ मिलकर बॉल पेन को बनाना शुरु किया
इस बॉल पेन को बनाने का तरीका प्रिंटिंग प्रेस में इस्तेमाल की जाने वाली
स्याहीको देख कर आया क्योंकि प्रिंटिंग प्रेस में इस्तेमाल की जाने वाली
स्याही बहुत जल्दी सूख जाती थी नजरों Laszlo Biro एक जर्नलिस्ट थे और उनको
फाउंटेन पेन से लिखने में बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही थी इसलिए उन्होंने बॉल
पेन का आविष्कार किया और 1938 में बॉल पेन का पैटर्न Laszlo Biro को दिया
गया और दूसरा विश्व युद्ध शुरू होने के पश्चात Laszlo Biro और उसके भाई
अर्जेंटीना में चले गए
और फाउंटेन पेन से पायलट को ऊंचाई पर लिखना मुश्किल हो रहा था जब पायलट
ने बॉल पेन से लिखना शुरू किया तो यह पेन फेमस हो गया उस समय में एक पेन
की कीमत लगभग $13 थी जो आज के हिसाब से अगर देखा जाए तो $130 है. और उसके
बाद धीरे-धीरे इसका रेट कम होने लगा. फिर उसके बाद1953 में माइकल बिच नामक
एक और निर्माता ने “Bic pens” के साथ Marketing की गहराई से उभरा 1950 के
दशक में उन्होंने अमेरिकन बाजार में नए बॉल पेन लगाए और 1960 के दशक में
अपने “Bic pens” पेन बेचने में सफल हो गए, जब उन्होंने अपने अभियान के
नारे, “द लिमिट्स द फर्स्ट टाइम, हर टाइम!” प्रकाशित किया। 1940 के
दशक-1960 के युग का समय इस अवधि में पेन के प्रत्येक निर्माण विनिर्माण के
लिए प्रतिस्पर्धी युग था।
फिर उसके बाद वर्ष 1962, वह समय था जब “मार्कर कलम” पर आधुनिक विकास
हुआ था। आधुनिक मार्कर पेन का आविष्कार टोक्यो स्टेशनरी कंपनी (जिसे अब
पेंटेल के रूप में जाना जाता है.) के जापानी युकियो हॉरी ने किया था।
मार्कर पेन, हाइलाइटर आज के समय में मार्कर पेन बहुत ही लोकप्रिय हो चुके
हैं कुछ समय बाद 1963 में, जापानी कंपनी, ओट्टो द्वारा 1963 में रोलरबॉल
पेन को आम लोगो के लिए पेश किया गया था। 1990 में कंपनी द्वारा पेन के ऊपर
रबड़ का कवर लगाया गया क्योंकि जब भी पेन को इस्तेमाल करने वाले लोग पेन से
कुछ लिखते तो उनकी पकड़ के कारण उन्हें दिक्कत होती तो उसको देखते हुए
कंपनी द्वारा बाद में पेन के ऊपर रबड़ का कवर लगाया गया.
First world war and Second world war kab hua tha
Gu
Pen ka avishkar kisne kiya
Hi
कलम का अविष्कार किसने किया th
Pen ka aviskar kinekiyatha
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