केप्लेर Law In Hindi केप्लेर लॉ इन हिंदी

केप्लेर लॉ इन हिंदी

Pradeep Chawla on 12-10-2018


चित्र 1: केप्लेर के तीनो नियमों का दो ग्रहीय कक्षाओं के माध्यम से प्रदर्शन (1) कक्षाएँ दीर्घवृत्ताकार हैं एवं उनकी नाभियाँ पहले ग्रह के लिये (focal points) ƒ1and ƒ2 पर हैं तथा दूसरे ग्रह के लिये ƒ1 and ƒ3 पर हैं। सूर्य नाभिक बिन्दु ƒ1 पर स्थित है। (2) ग्रह (1) के लिये दोनो छायांकित (shaded) सेक्टर A1 and A2 का क्षेत्रफल समान है तथा ग्रह (1) के लिये सेगमेन्ट A1 को पार करने में लगा समय उतना ही है जितना सेगमेन्ट A2को पार करने में लगता है। (3) ग्रह (1) एवं ग्रह (2) को अपनी-अपनी कक्षा की परिक्रमा करने में लगे कुल समय a13/2 : a23/2 के अनुपात में हैं।

में केप्लर के ग्रहीय गति के तीन नियम इस प्रकार हैं -

  1. सभी ग्रहों की कक्षा की कक्षा दीर्घवृत्ताकार होती है तथा सूर्य इस कक्षा के नाभिक (focus) पर होता है।
  2. ग्रह को सूर्य से जोड़ने वाली रेखा समान समयान्तराल में समान क्षेत्रफल तय करती है।
  3. ग्रह द्वारा सूर्य की परिक्रमा के कक्षीय अवधि का वर्ग, अर्ध-दीर्घ-अक्ष (semi-major axis) के घन के समानुपाती होता है।

इन तीन नियमों की खोज जर्मनी के गणितज्ञ एवं खगोलविद योहानेस केप्लर (Johannes Kepler 1571–1630) ने की थी। और सौर मंडल के ग्रहों की गति के लिये वह इनका उपयोग करते थे। वास्तव में ये नियम किन्ही भी दो आकाशीय पिण्डों की गति का वर्णन करते हैं जो एक-दूसरे का चक्कर काटते हैं।

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Comments yo mama on 09-07-2023

ligma balls

PRADEEP GUPTA on 09-08-2022

VERY NICE

Vikash on 14-12-2020

Kayplaer ke 3 niyam Hindi

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chachacha on 16-08-2020

knigger


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