Dairy Development In Rajasthan डेयरी डेवलपमेंट इन राजस्थान

डेयरी डेवलपमेंट इन राजस्थान

GkExams on 26-07-2022


डेयरी डेवलपमेंट इन राजस्थान : सबसे पहले तो ज्ञात हो की राजस्थान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि कार्यों एव पशुपालन पर ही निर्भर करती है, तथा कृषि के उपरान्त पशुपालन को ही जीविका का प्रमुख साधन माना जा सकता है।


राजस्थान राज्य के पशुपालकों को दुग्ध का उचित मूल्य दिलाने एवं उपभोक्ताओं द्वारा शुद्ध व स्वास्थ्यवर्धक दुग्ध उत्पाद उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से डेयरी सहकारिता की त्रिस्तरीय व्यवस्था लागू है। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दें की यहाँ वर्ष 1975 में पंजीकृत राजस्थान राज्य डेयरी विकास निगम (RSDDC) के तत्वावधान में राज्य सरकार द्वारा सत्तर के दशक में डेयरी विकास शुरू किया गया था।


डेयरी डेवलपमेंट में राज्य की सरकार अपनी तरफ से भरपूर कोशिश कर रही है इसी कड़ी में प्रदेश के किसानों द्वारा पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए 20 लाख रुपए तक का लोन देने का निर्णय भी लिया है। ये ऋण सरकार राज्य में किसानों के माध्यम से डेयरी विकास को सुदृढ़ करने के लिए दिया जाएगा। जिससे पशुपालक—किसान दुधारू पशुओं की खरीद कर सकते हैं।


इसके अलावा यहाँ हम आपको और भी कई पशुधन व डेयरी विकास योजनाएं (Livestock and Dairy Development Plans) बता रहे है, जो राज्य की सरकार पशुपालकों के हित के लिए चला रही है...


पशुधन निःशुल्क दवा योजना :




राज्य के 5.67 करोड़ पशुधन (1.21 करोड़ गाएं, 1.11 करोड़ भैंसें, 2.15 करोड़ बकरियां, 1.11 करोड़ भेड़ें, 4.22 लाख ऊंट आदि) हेतु 110 आवश्यक औषधियों (पहले 87) व 13 सर्जिकल मेटेरियल की निःशुल्क उपलब्धता सुनिश्चित करना।


राजस्थान दुग्ध उत्पादक संबल योजना :




राज्य सरकार के सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों में दूध की आपूर्ति करने वाले पशुपालकों को राज्य सरकार द्वारा 2 रू. प्रति लीटर की दर सं अनुदान उपलब्ध करवाना।


अविका क्रेडिट कार्ड योजना :




केंद्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से वर्ष 2004-05 में प्रारंभ भेंडपालकों को ऋण प्रदान करने की योजना


गोपाल योजना :




विश्व बैंक की सहायता से 2 अक्टूबर 1990 से दक्षिण पूर्वी राजस्थान के 10 जिलों में प्रारंभ गोपाल योजना के तहत पशुधन नस्ल सुधार के माध्यम से पशुपालकों के आर्थिक स्तर में सुधार लाया जाता है।


कामधेनु योजना :




गौशालाओं को उन्नत नस्ल के दुधारू पशुओं के प्रजनन केंद्र बनाने हेतु वर्ष 1997-98 में कामधेनु योजना प्रारंभ की गई।

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