Hvensang Chini Yatri ह्वेनसांग चीनी यात्री

ह्वेनसांग चीनी यात्री

Pradeep Chawla on 21-10-2018


ह्वेन त्सांग ( : 玄奘; : Xuán Zàng; : Hsüan-tsang) एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु था। वह के शासन काल में आया था। वह भारत में 15 वर्षों तक रहा। उसने अपनी पुस्तक में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत का विवरण दिया है। उसके वर्णनों से हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक अवस्था का परिचय मिलता है।

ग्रेट वाइल्ड गूज़ पगोडा मंदिर के बाहर त्सांग की मूर्ति, में

अपनी यात्रा के दौरान, वह अबेकों बौद्ध प्रवीणों से मिला। खासकर में, जहां वृहत बौद्ध शिक्षा केन्द्र था। लौटने पर, उसके साथ 657 संस्कृत पाठ्य थे। सम्राट के सहयोग से, उसने बड़ा अनुवाद संस्थान चआंग में खोला, जिसे वर्तमान में ज़ियांन कहते हैं। यहां पूरे पूर्वी एशिया से छात्र आते थे। उसने 1330 लेखों के अनुवाद चीनी भाषा में किये। उसका सर्वोत्तम योगदान योगकारा (瑜伽行派) के क्षेत्र में था।



त्सांग को उसके भारतीय बौद्ध पाठ्यों के यथार्थ और सटीक चीनी अनुवादों और बाद में खोये हुए भारतीय बौद्ध पाठ्यों की उसके द्वारा किये चीनी अनुवादों से पुनर्प्राप्ति के लिये सर्वदा स्मरण किया जायेगा। उसके द्वारा लिखे ”’चेंग वैशी लूं”’, इन पाठ्यों पर टीका के लिये भी चिरस्मरणीय रहेगा। उसका क अनुवाद अब तो मानक बन चुका है। उसने लघु काल के लिये ही सही, परन्तु चीनी फ़ाक्ज़ियान विद्यालय की स्थापना की थी। इस सबके साथ ही उसे हर्षवर्धन के कालीन भारत के वर्णन के लिये सन्दर्भित किया जाता है।

उसकी जीवनी और आत्मकथा

सन में सम्राट के निवेदन पर, त्सांग ने अपनी पुस्तक (大唐西域記), पूर्ण की। यह मध्य एशिया और भारत के मध्यकालीन इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान मानी जाती है। इसका में 1857 में अनुवाद स्टैनिस्लैस जूलियन द्वारा किया गया था। भिक्षु हुइलि द्वारा त्सांग की जीवनी भी लिखी गयी। .

उसकी पैतृक संपत्ति

त्संग की पर यात्रा और उसके साथ जुड़ी कथायें, चीनी को प्रेरित करती रहीं और उसका परिणाम था उपन्यास पश्चिम की यात्रा। यह एक महान चीनी साहित्य कहलाता है। इसमें पात्र ज़ुआंगज़ांग बुद्ध का पुनर्जन्म माना जाता है। इसकी यत्रा के दौरान उसकी रक्शा तीन शक्तिशाली चेलों द्वारा की जाती है। एक था सुन वुकोंग – एक बंदर, जो की सर्वप्रिय चीनी और जापानी पात्र रहा और अब कार्टून अनिमेशन में भी आता है।युआन वंश में, वु चांगलिंग का एक नाटक भी खेला गया, जिसमें ज़ुआंग ने लेख ढूंढे थे।

अवशेष

एक मानव खोपड़ी, जिसे त्सांग की बताया जता है, वह तियान्जिन के टेम्पल ऑफ ग्रेट कम्पैशन में सन 1956 तक थी और फिर द्वारा लाई गयी और को भेंट कर दी गयी। यह वर्तमान में संग्रहालय में सुरक्षित है।

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Comments Hyu ana tsang on 01-06-2023

Chini musafar hyu ana tsang ne Kaunsi book likhi hai??


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