Gayatri Mantra Ke Niyam गायत्री मंत्र के नियम

गायत्री मंत्र के नियम

GkExams on 19-01-2023


गायत्री मंत्र के बारें में : यह वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्ता ॐ के लगभग बराबर मानी जाती है। यह यजुर्वेद के मन्त्र 'ॐ भूर्भुवः स्वः' और ऋग्वेद के छन्द 3.62.10 के मेल से बना है। इस मंत्र में सवितृ देव की उपासना है इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है।


Gayatri Mantra lyrics in hindi :




ॐ भूर्भुवः स्वः । तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात् ।।


यहाँ हम गायत्री मंत्र लिरिक्स के एक एक शब्द का हिंदी अनुवाद कर रहे है, जो इस प्रकार है....


ॐ = भगवान को याद


भूर = प्राण प्रदाण करने वाला


भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला


स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला


तत = वह


सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल


वरेण्यं = सबसे उत्तम


भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला


देवस्य = प्रभु


धीमहि = ध्यान (आत्म चिंतन के योग्य)


धियो = बुद्धि


यो = जो


नः = हमारी


प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें


गायत्री साधना के चमत्कार :




गायत्री मंत्र के जप से उत्साह एवं सकारात्मकता, त्वचा में चमक आती है, तामसिकता से घृणा होती है, परमार्थ में रूचि जागती है, पूर्वाभास होने लगता है, आर्शीवाद देने की शक्ति बढ़ती है, नेत्रों में तेज आता है, स्वप्र सिद्धि प्राप्त होती है, क्रोध शांत होता है, ज्ञान की वृद्धि होती है।


यह तो हम सभी मानते है की गायत्री मंत्र का जप सभी के लिए उपयोगी है किंतु विद्यार्थियों के लिए तो यह मंत्र बहुत लाभदायक है। रोजाना इस मंत्र का एक सौ आठ बार जप करने से विद्यार्थी को सभी प्रकार की विद्या प्राप्त करने में आसानी होती है। विद्यार्थियों को पढऩे में मन नहीं लगना, याद किया हुआ भूल जाना, शीघ्रता से याद न होना आदि समस्याओं से निजात मिल जाती है।

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