राजपूत कौन होते है : राजपूत उत्तर भारत का एक क्षत्रिय कुल है, जो कि राजपुत्र का अपभ्रंश है। राजस्थान में राजपूतों के अनेक वंश हैं। राजस्थान को ब्रिटिशकाल मे राजपूताना भी कहा गया है। पुराने समय में आर्य जाति में केवल चार वर्णों की व्यवस्था थी, किन्तु बाद में इन वर्णों के अंतर्गत अनेक जातियाँ बन गईं।
क्षत्रिय वर्ण की अनेक जातियों और उनमें समाहित कई देशों की विदेशी जातियों को कालांतर में राजपूत जाति कहा जाने लगा। कवि चंदबरदाई के कथनानुसार राजपूतों की 36 जातियाँ थी। उस समय में क्षत्रिय वर्ण के अंतर्गत सूर्यवंश और चंद्रवंश के राजघरानों का बहुत विस्तार हुआ। राजपूतों में मेवाड़ के महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान का नाम सबसे ऊंचा है।
कछवाहा राजपूत गोत्र के बारें में :
आपको बता दे की कछवाहा हमारे देश में राजपूत जाति की उपजाति है। वैसे आधुनिक काल के कछवाहा आम तौर पर विष्णु के अवतार राम के पुत्र कुश के वंशज होने का दावा करते हैं। यह सूर्यवंश राजवंश के होने के उनके दावे को दिखाने के लिए है लेकिन यह बीसवीं शताब्दी में विकसित उत्पत्ति का मिथक है।
राजपूतों की उत्पत्ति :
राजपूत वंश की उत्पत्ति के विषय में विद्धानों के दो मत प्रचलित हैं - एक का मानना है कि राजपूतों की उत्पत्ति विदेशी है, जबकि दूसरे का मानना है कि राजपूतों की उत्पत्ति भारतीय है। 12वीं शताब्दी के बाद के उत्तर भारत के इतिहास को टॉड ने 'राजपूत काल' भी कहा है। कुछ इतिहासकारों ने प्राचीन काल एवं मध्य काल को 'संधि काल' भी कहा है। इस काल के महत्वपूर्ण राजपूत वंशों में राष्ट्रकूट वंश, दहिया वन्श, डांगी वंश, चालुक्य वंश, चौहान वंश, चंदेल वंश, सैनी, परमार वंश एवं गहड़वाल वंश आदि आते हैं।
सूर्य वन्श की शाखायें :
कछवाह राठौड मौर्य सिकरवार सिसोदिया गहलोत गौर गहलबार रेकबार बडगूजर कलहशचन्द्र वंश की शाखायें :
जादौन भाटी तन्वर चन्देल छोंकर होंड पुण्डीर कटैरिया दहियाअग्निवंश की शाखायें :
चौहान सोलंकी परिहार पमार बिष्टऋषिवंश की बारह शाखायें :
सेंगर दीक्षित दायमा गौतम अनवार (राजा जनक के वंशज) विसेन करछुल हय अबकू तबकू कठोक्स द्लेला