राजस्थानी भाषा व्याकरण : जिया की आपां सब जाणा हां की भासा अर व्याकरण में लूठो संबंध है। भासा हुवै जइ ई उण री व्याकरण बणीजै। थाने बता दया की जटै भासा नीं तो व्याकरण कांई री।
भासा नैं साचै अर सही रूप मांय ढालणो अर नियमां मांय बांधणै रो काम व्याकरण रो है-जिण सूं भासा में अनुशासन आवै। सब्दां में अनुशासन रैवै। भासा री एकरूपता अर सबद रै सही अरथ सारू व्याकरण आधार है।
थांकी बेहतर जानकारी खातर बता दया की राजस्थानी भासा री वर्णमाला में 49 वर्ण ध्वनियां है जिणा मांय 11 स्वर अर 38 व्यंजन है।
राजस्थानी भाषा के स्वर :
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ ऋ
राजस्थानी भाषा के व्यंजन :
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व व्
श ष स ह
ल ड़
राजस्थानी भाषा के बारें में :
राजस्थान की मातृभाषा/मूलभाषा राजस्थानी है, जबकि राजस्थान की राजभाषा हिन्दी
(rajasthani language in hindi) है। राजस्थानी भाषा दिवस 21 फरवरी को मनाया जाता है। बता दे की राजस्थानी भाषा की लिपि 'देवनागरी महाजनी' हैं। यह भी ध्यान रहे की राजस्थान में सर्वाधिक मारवाड़ी भाषा बोली जाती है।
इसमें कोई शंका वाली बात नही है की राजस्थान की भाषा
(Rajasthani languages) साहित्य, संस्कृति इतिहास की दृष्टि से समृद्धता ने विश्व में अपनी अलग एवं विशिष्ठ छवि बनाई हुई है। विश्वभर की बात करे तो शोधार्थी इन विषयों पर शोध कर राजस्थानी भाषा साहित्य की समृद्ध परम्परा से समाज को अवगत करवाकर गौरवांन्वित हो रहे है।
राजस्थान की पूर्व रियासतो की एवं मालवा की अमझेरा, सैलाना, रतलाम, सीतामाऊ, झाबुआ, उमरकोट पाकिस्तान रियासतो की राजभाषा राजस्थानी थी जिनके रियासती दस्तावेज अभिलेखागार में सुरक्षित है। और राजस्थानी राज, जन, धर्म, सभी क्षेत्रों में शताब्दियों से करोडों लोंगों के भाव, विचार, संवाद, राज्यादेश, पत्राचार का माध्यम रही है।
राजस्थानी भाषा का महत्व :
कई विद्वानों का मानना है की "मातृभाषा से दूर जाने का मतलब समाज से कट जाना है। इसलिए वर्तमान समय में राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने की लड़ाई जारी है। जानकारी के लिए बता दें की राजस्थान की बोलियों का संबंध राजस्थानी पहचान से आज से सौ साल पहले ही समझा दिया गया था।
इसलिए सभी बोलियों की बजाय एक राजस्थानी भाषा, जो कई बोलियों की इकहरी पहचान है, उसकी संवैधानिक मंज़ूरी की संभावना बहुत अधिक है। साहित्य के स्तर पर और बोल-चाल के स्तर पर भी राजस्थान में भाषाई एकता देखी जा सकती है। राजस्थान की बोलियों में आपस में गहरा रिश्ता है और राजस्थानी भाषी उसके अलग-अलग स्वरूपों को भी आसानी से समझते हैं।
राजस्थान की भाषाएँ :
राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार से राजस्थानी भाषाएँ
(rajasthani language learning) बोली जाती है, जो निम्नलिखित है...
पश्चिमी राजस्थानी ( मारवाड़ी, मेवाड़ी, शेखावाटी एवं बागड़ी) उत्तरी-पूर्वी राजस्थानी (मेवाती एवं अहीरवाटी) मध्य-पूर्वी राजस्थानी (ढूंढाड़ी एवं हाड़ौती) दक्षिणी-पूर्वी राजस्थानी (मालवी एवं नीमाड़ी)