Lok Sahitya Ki Visheshta लोक साहित्य की विशेषता

लोक साहित्य की विशेषता

GkExams on 03-03-2023


लोक साहित्य के बारें में (Oral literature in hindi) : यह एक ऐसा विषय है जिसके अध्ययन से किसी भी देश की सभ्यता एवं संस्कृति, धर्म, रीति-रिवाजों तथा कला और साहित्य के अभ्युदय को जाना जा सकता है।


इस प्रकार हम समझ सकते है की किसी भी क्षेत्र के निवासियों पर उनके प्रादेशिक पर्यावरण, सामाजिक रहन - सहन तथा संस्कृति का गहरा प्रभाव पड़ता है और ये सभी चीजें जीवन के विविध पक्षों को प्रभावित करती हैं।


लोक साहित्य का क्षेत्र :




अगर लोक-संस्कृति शरीर है तो लोक-साहित्य उसका एक अवयव है। लोक-संस्कृति का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है तो लोक-साहित्य का विस्तार संकुचित है। लोक-संस्कृति की व्यापकता जन-जीवन के समस्त व्यापारों में उपलब्ध होती है तो लोक-साहित्य जनता के गीतों, कथाओं, गाथाओं, मुहावरों तक ही सीमित है।


इसके अलावा लोक-साहित्य अंग है तो लोक-संस्कृति अंगी है। लोक-साहित्य लोक-संस्कृति का एक भाग मात्र है। लोक-गीत, लोक-कथाएँ, लोक-गाथाएँ, कथा-गीत, धर्म-गाथाएँ, लोक-नाट्य, नौटंगी, रास-लीला आदि लोक-साहित्य से संबद्ध विषय हैं।

लोक साहित्य की विशेषता :




यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको लोक साहित्य की विशेषताओं से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • लोक-साहित्य की भाषा शिष्ट और साहित्यिक भाषा न होकर साधारण जन की भाषा है और उसकी वर्ण्य-वस्तु लोक-जीवन में गृहीत चरित्रों, भावों और प्रभावों तक सीमित है।
  • यह ग्रामीण साहित्य है इस साहित्य पर समस्त जनसमूह का अधिकार है।
  • इस साहित्य में समस्त लोक के राग-विराग, हर्ष-विषाद, सुख-दुख, जीवन-मरण की सहज एवं सरस अभिव्यक्ति है।
  • यह साहित्य सर्व व्यापक है।
  • यह है उससे अधिक राष्ट्रव्यापी है और जितना राष्ट्रव्यापी है उससे भी कहीं अधिक अंतरराष्ट्रीय है।
  • इसमें किसी व्यक्ति विशेष की नहीं अभी तो समस्त जगत के कल्याण की भावना समाहित होती है।


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    Pradeep Chawla on 10-10-2018


    Check link below -

    http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/111884/6/06_chapter%203.pdf


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    Comments Priya on 06-07-2021

    लोक साहित्य की पहली रचना और अन्य सभी रचना और उनके रचनाकार

    ishajoshi on 14-04-2021

    Lok sahitay

    Isha joshi on 14-04-2021

    Lok sahitay mcq question

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    Sanjib on 28-08-2018

    Lokosahitya Kay bishesatta


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