कुंवर सिंह मराठी माहिती
कुँवर सिंह के बारें में (kunwar singh biography) : कुंवर सिंह का जन्म सन 1777 में बिहार के भोजपुर जिले में जगदीशपुर गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम बाबू साहबजादा सिंह था। इनके पूर्वज मालवा के प्रसिद्ध शासक महाराजा भोज के वंशज थे। कुँवर सिंह के पास बड़ी जागीर थी। किन्तु उनकी जागीर ईस्ट इंडिया कम्पनी की गलत नीतियों के कारण छीन गयी थी।
गर्व की बात तो यह है की प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के समय कुँवर सिंह (kunwar singh in hindi) की उम्र 80 वर्ष की थी। वृद्धावस्था में भी उनमे अपूर्व साहस, बल और पराक्रम था। उन्होंने देश को पराधीनता से मुक्त कराने के लिए दृढ संकल्प के साथ संघर्ष किया।
अंग्रेजो की तुलना में कुँवर सिंह के पास साधन सीमित थे परन्तु वे निराश नहीं हुए। उन्होंने क्रांतकारियों को संगठित किया। अपने साधनों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने छापामार युद्ध की नीति अपनाई और अंग्रेजो को बार – बार हराया। उन्होंने अपनी युद्ध नीति से अंग्रेजो के जन – धन को बहुत हानि पहुंचाई।
कुँवर सिंह (kunwar singh freedom fighter) ने जगदीशपुर से आगे बढ़कर गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़ आदि जनपदों में छापामार युद्ध करके अंग्रेजो को खूब छकाया। वे युद्ध अभियान में बांदा, रीवां तथा कानपुर भी गये। इसी बीच अंग्रेजो को इंग्लैंड से नयी सहायता प्राप्त हुई। कुछ रियासतों के शासको ने अंग्रेजो का साथ दिया।
एक साथ एक निश्चित तिथि को युद्ध आरम्भ न होने से अंग्रेजो को विद्रोह के दमन का अवसर मिल गया। अंग्रेजो ने अनेक छावनियो में सेना के भारतीय जवानो को निःशस्त्र कर विद्रोह की आशंका में तोपों से भून दिया। और धीरे – धीरे लखनऊ, झाँसी, दिल्ली में भी विद्रोह का दमन कर दिया गया और वहां अंग्रेजो का पुनः अधिकार हो गया। ऐसी विषम परिस्थिति में भी कुँवर सिंह ने अदम्य शौर्य का परिचय देते हुए अंग्रेजी सेना से लोहा लिया। उन्हें अंग्रेजो की सैन्य शक्ति का ज्ञान था।
वे एक बार जिस रणनीति से शत्रुओ को पराजित करते थे दूसरी बार उससे अलग रणनीति अपनाते थे। इससे शत्रु सेना कुँवर सिंह की रणनीति का निश्चित अनुमान नहीं लगा पाती थी।
कुंवर सिंह बद्दल माहिती
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