झूम खेती कहा होती है
झूम कृषि (slash and burn farming) एक आदिम प्रकार की कृषि
है जिसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है
और साफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके
बीज बो दिये जाते हैं। फसल पूर्णतः प्रकृति पर निर्भर होती है और उत्पादन
बहुत कम हो पाता है। कुछ वर्षों तक (प्रायः दो या तीन वर्ष तक) जब तक
मिट्टी में उर्वरता विद्यमान रहती है इस भूमि पर खेती की जाती है। इसके
पश्चात् इस भूमि को छोड़ दिया जाता है जिस पर पुनः पेड़-पौधें उग आते हैं।
अब अन्यत्र जंगली भूमि को साफ करके कृषि के लिए नई भूमि प्राप्त की जाती है
और उस पर भी कुछ ही वर्ष तक खेती की जाती है। इस प्रकार यह एक
स्थानानंतरणशील कृषि (shifting cultivation) है जिसमें थोड़े-थोड़े समय के
अंतर पर खेत बदलते रहते हैं। भारत की पूर्वोत्तर पहाड़ियों में आदिम
जातियों द्वारा की जाने वाली इस प्रकार की कृषि को झूम कृषि कहते हैं। इस
प्रकार की स्थानांतरणशील कृषि को श्रीलंका में चेना, हिन्देसिया में लदांग और रोडेशिया में मिल्पा कहते हैं।
यह खेती मुख्यतः उष्णकटिबंधीय वन प्रदेशों में की जाती है।
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Nadya Pradesh may joom ki kheti ki kya Katey hai