Sanjeev
= संजीव() (sanjeev)
संजीव ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सञ्जीव]
१. मरे हुए को फिर से जिलाना । पुनः जीवन देना ।
२. वह जो मरे हुए को जिलावे । फिर से जीवन दान करनेवाला ।
३. बौद्धों के अनुसार एक नरक का नाम । यौ॰—संजीवकरण = फिर से जीवित करना । पुनर्जीवन देना । संजीवकरणी । संजीव ^२ वि॰ जीवित । प्राणवान् [को॰] ।
संजीव ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सञ्जीव]
१. मरे हुए को फिर से जिलाना । पुनः जीवन देना ।
२. वह जो मरे हुए को जिलावे । फिर से जीवन दान करनेवाला ।
३. बौद्धों के अनुसार एक नरक का नाम । यौ॰—संजीवकरण = फिर से जीवित करना । पुनर्जीवन देना । संजीवकरणी ।
38 वर्षों तक एक रासायनिक प्रयोगशाला में रसायनज्ञ के रूप में कार्य तथा 7 वर्षों तक 'हंस' समेत कई पत्रिकाओं के सम्पादन और स्तम्भ-लेखन से जुड़े संजीव का अनुभव संसार विविधता से भरा हुआ है। संजीव हिन्दी साहित्य में साठोत्तरी दौर के बाद जनवादी कथान्दोलन के प्रायः साथ-साथ विकसित पीढ़ी के सर्वप्रमुख हस्ताक्षरों में से एक हैं। उनका लेखन पूरी तरह प्रतिबद्ध लेखन है। 'कला कला के लिए' का उनके लिए कोई महत्त्व नहीं है। 'कला जीवन के लिए' को वे मानते ही नहीं बल्कि जीते भी हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि 'कला' को वे महत्त्व नहीं देते। उनकी रचनाओं में कथ्य एवं शिल्प का अपूर्व संयोजन हुआ है। एक नज़र में तथ्यों की बहुलता उन्हें आलोचकों की दृष्टि में समस्या उत्पन्न करती सी लगती है लेकिन जिस कौशल से वे तथ्यों के साथ स्थानीयता तथा वातावरण का भी सर्जनात्मक उपयोग करते हैं, वह उन्हें अद्वितीय बनाता है। एक-एक कहानी पर वर्षों परिश्रम के बावजूद पढ़ते समय उनकी श्रेष्ठतम ही नहीं, कम प्रसिद्ध कहानियाँ भी ऐसी सहज लगती है जैसे एक बैठक में सहजता से लिख दी गयी हो। उनके पास जन-सामान्य की समुचित उन्नति में बाधक कारकों के प्रति एक मर्मभेदी दृष्टि है, काफी हद तक सटीक पहचान है, जिसके कारण उनका कथ्य कभी हवाई नहीं होता। उनके बारे में कहा गया है कि कथ्य ही उनके लिए प्रधान है। ऐसा कहकर लोग यह साबित करना चाहते हैं कि वे शिल्प पर विशेष ध्यान नहीं देते। लेकिन ऐसे पूर्वाग्रहों को हटाकर उनकी प्रारम्भिक कहानियों को भी स्वयं पढ़कर देखें तो सहजता से अपनी ठोस भावधारा में बहा ले जाती कहानी अपने अंत तक पहुँचाकर खुद आपको अहसास कराएगी कि कथ्यानुरूप सहज शिल्प पर उनकी प
संजीव meaning in english