difference = अंतर(noun) (Antar)
अंतर अथवा अन्तर शब्द का उपयोग सामान्यतः किन्ही दो निकायों अथवा एक ही निकाय में भिन्न परिस्थितियों की तुलना करने का परिणाम होता है। यहाँ परिणाम का अन्तर उसे प्रदर्शित करने से होने वाले सामजिक परिणामों से नहीं है बल्कि उन निकायों की भौतिक परिस्थिति अलग-अलग है अथवा एक की सुन्दरता दूसरी से अधिक है। यदि दो वस्तुओं अथवा निकायों में अन्तर शून्य है तो दोनो को सर्वांगसम अथवा अभिन्न कहा जाता है, लेकिन यदि किन्हीं दो वस्तुओं के केवल दो गुणों में अन्तर शून्य हो तो दोनों का सर्वांगसम होना आवश्यक नहीं है। भिन्न, भीतरी मन, दूरी, भिन्न्ता, आत्माअंतरण, अंतरंग, अंतरात्मा, अंतरस्थ, अंतरा, अंतरतम, अंतराल, अंतिरक्ष। फ़ारसी - फ़र्कअंतर ^1 संज्ञा पुं॰ [सं॰ अन्तर]
1. फर्क । भेद । विभिन्नता । अलगाव । फेर । उ॰—(क) संत भगवंत अंतर निरंतर नहीं किमपि मति- मलिन कह दास तुलसी । —तुलसी ग्रं॰, भा॰ 2, पृ॰ 488 । (ख) इसके और उसके स्वाद में कुछ अंतर नहीं है (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—करना=फर्क या भेद करना । उ॰—मोहि चंद बरदाय सु अतर मति करयो । —पृ॰ रा॰ 58 । 126 । —देना । — पड़ना । —रखना=भेदभाव रखना । उ॰—ब्रजवासी लोगन सों मैं तो अंतर कछू न राख्यो । —सूर (शब्द॰) । —होना ।
2. बीच । मध्य । फासला । दूरी । अवकाश । उ॰—‘यह विचारो कि मथुरा और वृंदावन का अंतर ही क्या है’ । — प्रेमसागर (शब्द॰) ।
3. दो घटनाओ के बीच का समय । मध्य वर्ती काल । उ॰—(क) इहिं अंतर मधुकर इक आयौ । — सूर॰, 10 । 3497 । (ख) ‘इस अंतर में स्तन दूध से भर जाते हैं’ । —वनिताविनोद (शब्द॰) ।
4. दो वस्तुओं के बीच में पड़ी हुई चीज । ओट । आड़ । परदा । उ॰—कठिन बचन सुनि स्त्रवन जानकी सकी न हिये सँभारि । तृन अंतर दै दृष्टि तरौंधी दई नयन जल ढारि । —सूर॰, 9 । 79 । क्रि॰ प्र॰—करना=आड़ करना । उ॰—अपने कुल को कलह क्यों देखहिँ रबि भगवंत । यहै जानि अंतर कियो मानो मही अनंत । —केशब (शब्द॰) । —डालना । —देना=ओट करना । उ॰—पट अतर दै भोग लगायौ आरति करी बनाइ । —सूर॰, 10 । 261 । — पड़ना ।
5. छिद्र । छेद । रंध्र । दरार ।
6. भीतर का भाग । उ॰—‘दास’ अँगिराति जमुहाति तकि झुकि जाति, दीने पट, अंतर अनत आप झलकै । —भिखारी॰ ग्रं॰, भा॰ 1, पृ॰ 143 ।
7. प्रवेश । पहुँच (को॰) ।
8. शेष । बाकी । गणित मे शेषफल (को॰) ।
9. विशे
अंतर meaning in english