केतकी (Ketki) = Ketaki
केतकी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. एक प्रकार का छोटा झाड़ या पौधा । केवड़ा । उ॰—गमक रहा था केतकी का गंध चारों ओर । — साकेत, पृ॰ २७४ । विशेष—इसकी पत्तियाँ लंबी, नूकीली, चिपटी, कोमल और चिकनी होती हैं और जिनके किनारे और पीठ पर छोटे छोटे काँटे होते हैं । केतकी दे प्रकार की होती है—एक सफेद और दूसरी पीली । सफेद केतकी को हिंदी में केवड़ा और पीली या सुवर्ण केतकी को केतकी कहते हैं । इसकी पत्तियों से चटाइयाँ, छाते और टोपियाँ बनता हैं । इसका तना नरम होता है और बोतलों में डाट लगाने के काम में आता है । कहीं कहीं इसकी नरम पकत्तियों का साग भी बनाया जाता है । बरसात में इसमें फूल लगते हैं जो लंबे सफेद रंग के और बहुत सुगंधित होते हैं । इसका फूल बाल की तरह होकता है और ऊपर से लंबी लंबी पत्तियों से ढका हुआ होता है । फूल से अतर और सूगंधित जल बनाया जाता है और उससे कत्था भी बसाया जाता है । ऐसा प्रसिद्ध है कि इस फूल पर भौंरा नहीं बैठता । पूराणों के अनुसार यह फूल शिव जी को नहीं चढ़ाया जाता । वैद्यक में सफेद केतकी बालों की दुर्गंधि दूर करनेवाली मानी गई है । और इसका शाक या मूल स्वाद में कडुवापन लिये हुए मीठा और गुण में कफनाशक ता लघुपाक कहा गया है । पर्या॰—शूचीपत्र । हलीन । जंबूल । जंबूक । तीक्ष्ण पुष्पा । विफला । धूलिपुष्पा । मेध्या । इंदुकलिका । शिवदिष्टा । क्रकचा । दीर्घपत्रा । स्थिरगंधा । कटकदला । दलपुष्पा । केवढ़ा । एक रागिनी का नाम । उ॰—रामकली, गुनकली, कैतकी, सुर सघराई गायो । जैजैवंती, जगतमोहिनी, सुर सों बीन बजाओ । —सूर (शब्द॰) ।
केतकी एक छोटा सुवासित झाड़। इसकी पत्तियाँ लंबी, नुकीली, चपटी, कोमल और चिकनी होती हैं जिसके किनारे और पीठ पर छोटे छोटे काँटे होते हैं। यह दो प्रकार की होती है। एक सफेद, दूसरी पीली। सफेद केतकी को लोग प्राय: 'केवड़ा' के नाम से जानते और पहचानते हैं और पीली अर्थात् सुवर्ण केतकी को ही केतकी कहते हैं। बरसात में इसमें फूल लगते हैं जो लंबे और सफेद होते है और उसमें तीव्र सुगंध होती है। इसका फूल बाल की तरह होता है और ऊपर से लंबी पत्तियों से ढका रहता है। इसके फूल से इत्र बनाया और जल सुगंधित किया जाता है। इससे कत्थे को भी सुवासित करते हैं। केवड़े का प्रयोग केशों के दुर्गंध दूर करने के लिए किया जाता है। प्रवाद है कि इसके फूल पर भ्र
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