अण्ड (Und) = Egg
अंड संज्ञा पुं॰ [सं॰ अण्ड]
१. अंडा । उ॰—अललपच्छ का अंड ज्यों उलटी चले अस्मान । —रत्न॰, पृ॰ ६१ ।
२. 'अंडकोश' । फोता ।
२. ब्रह्मांड । लोकपिंड । लोकमंडल । विश्व । उ॰— जिअन मरन फल दसरथ पावा । अंड अनेक अमल जस छाव । —मानस, २ । १५६ ।
४. वीर्य । शुक्र ।
५. कस्तूरी का नाफा । मृगनाभि । नाफा ।
६. पंच आवरण । दे॰, 'कोश' ।
७. क मदव । उ॰—अति प्रचंड यह अंडमहाभट जहि सबै जग जानत । सो मव्हीन दीन ह्वौ बपुरो कोपि धनुष शर तानत । —सूर (शब्द॰) ।
८. मकानों की छाजन के ऊपर के गोलकलश जो शोभा के लिये बनाए जाते हैं । उ॰—(क) अंड टूक जाके भस्मती सौ ऐसा राजा त्रिभुवनपति । — दक्खिनी, पृ॰ ३० । (ख) वटेबर षग्ग क्मद्ध निसार । तुटै बर देवल अंड अधार । —पृ॰ रा॰, २४ । २३९ ।
१०. शिव का एक नाम (को॰) ।
अण्डा गोल या अण्डाकार जीवित वस्तु है जो बहुत से प्राणियों के मादा द्वारा पैदा की जाती है। अधिकांश जानवरों के अंडों के ऊपर एक कठोर आवरण होता है जो अण्डे की सुरक्षा करता है। यद्यपि अण्डा जीवधारियों द्वारा अपनी संताने पैदा करने का मार्ग है, किन्तु अण्डा खाने के काम भी आता है। पोषक तत्वों की दृष्टि से इसमें प्रोटीन एवं चोलाइन भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं। प्रत्येक जाति की चिड़ियों के अंडों में, थोड़ी बहुत भिन्नता भले ही हो, पर इनकी अपनी एक विशेषता होती है। प्रत्येक जाति के पक्षियों के अंडों का आकार, माप और रंग अनूठा होता है। पक्षियों के जीवन और उनके अंगों के आकार, माप, सतह की रचना (texture) और रंग में एक संबंध है। उसी प्रकार एक थोक या समूह (clutch) के अंतर्गत अंडों की संख्या और किसी ऋतु में थोकों की संख्या में एक संबंध होता है। अंडे की माप मुख्यत: अंडा देनेवाली चिड़िया के डीलडौल पर निर्भर करती है, किंतु यह आवश्यक नहीं है कि अनुपात हमेशा एक हो। इसके दो कारण हैं :मुर्गी के अंडे का जो आकार होता है, वही आकार प्राय: अन्य चिड़ियों के अंडों का होता है। अंडा एक दिशा में लंबा होता है और उसका एक छोर गोलाकार और दूसरा छोर थोड़ा नुकीला होता है। अंडे एक छोर पर गोल और दूसरे छोर पर नुकीले होने से सरलता से लुढ़क नहीं पाते। साथ साथ अंडों के नुकीले भाग घोंसले के मध्य में केंद्रित हो जाने और उनका गोलाकार भाग बाहर की ओर होने से, यदि घोंसले में तीन चार अंडे हों तो वे सभी आ
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