लूनी नदी
नदी लूनी नदी का उद्गम अजमेर जिले के नाग की पहाडियों से होता है।।
बहाव क्षेत्र :- यह नदी अजमेर से निकलकर दक्षिणी पश्चिमी राजस्थान नागौर, जोधपुर, पाली, बाडमेर, जालौर जिलों से होकर बहती हुई गुजरात के कच्छ जिले में प्रवेश करती है। और कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है।।
उपनाम:- लवणवती, सागरमती/मरूआशा/साक्री
कुल लम्बाई:- 495 कि.मी.
राजस्थान में लम्बाई:- 330 कि.मी.
सहायक नदियां लूनी की सहायक नदियों में बंकडा, सूकली, मीठडी, जवाई, सागी, लीलडी पूर्व की ओर से ओर एकमात्र नदी जोजड़ी पश्चिम से जोधपुर से आकर मिलती है।।
पश्चिम राजस्थान की गंगा, रेगिस्तान की गंगा, आधी मीठी आधी खारी
पश्चिम राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है।।
पश्चिम राजस्थान की एकमात्र आरम्भ में इस नदी को सागरमति या सरस्वती कहते है।।
इस नदी की कुल लम्बाई 495 कि.मी. है।। राजस्थान में इसकी कुल लम्बाई 330 कि.मी. है।। राजस्थान में लूनी का प्रवाह गोड़वाड़ क्षेत्र को गौड़वाड प्रदेश कहा जाता है।। यह नदी बालोतरा (बाड़मेर) के पश्चात खारी हो जाती है। क्योंकि रेगिस्तान क्षेत्र से गुजरने पर रेत में सम्मिलित नमक के कण पानी में विलीन हो जाती है।। इससे इसका पानी खारा हो जाता है।। लूनी नदी पर जोधपुर में जसवन्त सागर बांध बना है।।