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राज्य की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक
राज्य की अक्षांशीय स्थिति: कर्क रेखा राज्य के दक्षिणी भाग से हो कर गुजरती है। अतः राज्य का अधिकांश भाग उपोष्ण कटिबंध में आने के कारण यहॉ तापान्तर अधिक पाये जाते हैं
समुद्र तट से दूरी समुद्र तट से दूरी: समुद्र तट से दूरी अधिक होने के कारण यहॉ की जलवायु पर समुद्र की समकारी जलवायु का प्रभाव नहीं पडता अतः तापमान में महाद्वीपीय जलवायु की तरह विषमताएं पाई जाती है।
धरातल राज्य का लगभग 60-61 प्रतिशत भू-भाग मरूस्थलीय है। जहां रेतीली मिट्टी होने के कारण दैनिक व मौसमी तापांतर अत्यधिक पाये जाते है। गर्मी में गर्म व शुष्क ‘लू’ व धूलभरी हवाएं चलती है। तथा सर्दी में शुष्क व ठण्डी हवाएँ चलती है। जो रात के तापमान को हिमांक बिन्दु से नीचे ले जाती है।
अरावली पर्वत श्रेणी की स्थिति अरावली पर्वतमाला की स्थिति दक्षिणी पश्चिमी मानूसनी पवनों के समानान्तर होने के कारण पवनें यहॉ बिना वर्षा किए आगे उतरी भाग में बढ जाती है। फलत: राज्य का पश्चिमी भाग प्राय: शुष्क रहता है। जहाँ बहुत कम वर्षा होती है।
समुद्र तल से ऊँचाई राज्य के दक्षिणी एवं दक्षिणी पश्चिमी भाग की ऊँचाई समुद्र तल से अधिक है। अतः इस भू-भाग में गर्मियों में भी शेष भागों की तुलना में तापमान कम पाया जाता है। माउण्ट आबू पर ऊँचाई के कारण गर्मी में भी तापमान अधिक नहीं हो पाता तथा सर्दी में जमाव बिन्दु से भी नीचे पहुँच जाता है। इसके विपरीत मैदानी भागों की समुद्र तल से ऊँचाई कम होने के कारण वहाँ तापमान में अंतर अधिक पाये जाते है।


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