बाघ के बारे में जानकारी
बाघ एक ऐसा जीव है जो देखने में सुंदर तो होता है मगर बहुत ही खतरनाक होता है। इसकी एक वार से किसी की भी जान जा सकती है, प्रकृति ने तो इन्हीं कई गुण दी है मगर यह कई गुणो से वंचित भी हैं। लगतार शिकार होने की वजह की वजह से उनकी जनसंख्या में भारी मात्रा में कमी आ गई है। आज यह हाल है कि ने बचाने के लिए कई प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं और इन्हें सुरक्षा दी जा रही है। इनके खाल का उपयोग होने के कारण ही मार दिया जाता था और सकॆस का सॉन्ग में उपयोग किया जाता था पर इन सभी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और बहुत ही कडा कानून बनाया गया है।
भारत एक ऐसा देश है जो बाघो के लिए प्रचलित है यहां पर कई तरह के बाघ पाए जाते हैं खासकर बंगाल के बाघों के लिए।
वैसे तो यह दुनिया के हर कोने में पाए जाने वाले जानवर है मगर एशिया की हम बात करें तो यह भारत नेपाल भूटान चाइना और म्यांमार में पाए जाते हैं। भारत में कई सारे नेशनल पार्क है जहां यह मौजूद हैं और यह उन्हीं के लिए बनाए गए हैं जहां इनकी बड़ी जनसंख्या मौजूद है। इससे उनकी सुरक्षा भी हो जाती है यह खास्कर मध्यप्रदेश राजस्थान महाराष्ट्र उत्तराखंड पश्चिम बंगाल कर्नाटका और केरला में मौजूद है।।
बाघ एक ऐसा जीव है जिसे बचाने की हमें सख्त जरूरत है, अगर हम कुछ उपाय करें तो हम इन्हें आसानी से बचा सकते हैं। यह कुछ उपाय हैं जिनसे हम उन्हें बचा सकते हैं |
इनके एरिया में इंसानों पर प्रतिबंध लगाना, इनके प्रजाति को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना, इनके ऊपर हमेशा नजर बनाए रखना और उनका खयाल रखना, यह बोल तो नहीं सकते इसीलिए इनके लिए आवाज उठाना और उनकी जरूरतों को पूरा करना, जो कुछ इनके लिए हो रहा है उसका हिस्सा बन कर उसे प्रमोट करना और खासकर जंगलों को कटाई से बचानाा और जलाशयों को सुरक्षित रखना।
आमतौर पर सारे जानवर अपना पेट भरने के लिए दिन में ही शिकार करते हैं मगर बाघ सबसे अलग है यह अपना पेट भरने के लिए रात में ही शिकार करना पसंद करते हैं यह रात में अपने शिकार को आसानी से देख सकते हैं और उन पर अच्छी तरह से घात लगा सकते हैं जिससे इन्हें अपने शिकार को दबोच ने में बहुत आसानी होती है इसलिए यह रात को शिकार करना पसंद करते हैं।।
बाघो पर हो रहे अत्याचार और इनकी दिन-ब-दिन घटती जनसंख्या के चलते हैं यह प्रोजेक्ट स्टार्ट किया क्या। यह एक कीमती प्रोजेक्ट है जिसकी शुरुआत 7 अप्रैल 1973 को हुई थी इसके अंतर्गत बाघों के लिए बहुत कुछ किया गया, बाघ आवरण बनाए गय, बाघो को मारने वालों की सजा और कड़ी कर दी गई उसके साथ उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई उनके अवैध व्यापार को रोका गया और बाद में इनके लिए कई टेक्नोलॉजीज जोड़ी गई जो इनके लिए काफी लाभकारी रहे और इन पर नजर रखने में सहायता करने में काफी मदद मिली।।
बाघों की क्षमता और उनके बल को देखते हुए हमें लगता है कि इनकी आयु बहुत ज्यादा होती होगी। मगर यह सुंदर और खतरनाक जीव लंबा जीवन नही व्यतीत कर पाते इनकी आयु मात्र 25 वर्ष की ही होती है और यह इतने ही जीवन काल के मालिक होते हैं।।
प्रकृति ने ने बहुत सारे गुन दिए हैं मगर सबसे तेज दौड़ने वाले जानवर यह नहीं है। हां यह सच है हमें लगता है कि बाघ सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर है मगर ये नहीं है। उनके पांव बहुत ही ज्यादा मजबूत होते हैं अगर यह एक बार किसी को मार दे तो वह ढेर हो जाए, पर इनकी रफ्तार 60 किलोमीटर प्रति घंटे की िलोमीटर प्रति घंटे की होने के बावजूद यह सबसे ज्यादा तेज दौड़ने वाले जानवर नहीं है मगर यह अपने शिकार को आसानी से चेज करके उसे दबोच लेते हैं।।
बाघो का बच्चा जब पैदा होता हैं तो नाही देख सकते हैं और नहीं चल सकते हैं। सबसे अजीब बात है कि जब बच्चे पैदा होते हैं तब उन्हीं के ग्रुप का नर उन बच्चों को खा जाता है जिससे मादा को रिझाया जा सके। अंधे होने और नर के खा जाने के चलते कुछ ही मां के बच्चे जीवित रह पाते हैं या भी एक फैक्ते हैं या भी एक फैक्टर हैं उनकी कम जनसंख्या की।
क्या इतने खतरनाक जानवर दयालु भी हो सकते हैं, हां अगर इनकी तुलना शेर या फिर चीते से की जाए तो यह दयालु होते हैं। शेर अपनी ताकत दिखाने के लिए हमेशा गर्जना करता रहता है मगर बाघ अपनी ताकत दिखाने के लिए कभी गर्जना नहीं करता और खास बात यह है कि यह जब शिकार करके लाता है तो पहले अपने बच्चों और मादा को देता है फिर बाद में खाता है जिससे उसकी दयालुता झलकती है।।
यह बिल्लियों की प्रजाति के जानवरों की बनावट भी अलग तरह की है। ज्यादातर जानवरों के रोए पर ही कुछ आकृति बनी होती है मगर यह बाघ के मामले में अलग है। इनके रोई पर ना होते हुए यह इनकी त्वचा पर होती है। और सभी बाघों की अलग-अलग तरह की तरह के निशान होते हैं जैसे अगर हम भारत के बाघों की बात करें तो उनके कभी उजले चक दे या फिर उंगलियों के निशान होते हैं यह अपने आप में ही एक अद्भुत बात है।।
यह बाल घने जंगलो और मैंगो के अंदर दलों में पाए जाते हैं। उनकी पहचान उनकी त्वचा पर बने धारियों से हो जाती है जो पूरे शरीर पर मौजूद रहती है यह त्वचा पर मौजूद धारियां उंगलियों के निशान जैसे दिखते हैं और इनकी खासियत है कि दो धारियां कभी एक जैसी नहीं होती हैं व्हाइट बंगाल टाइगर्स के शरीर पर उजले चकते के बने होते हैं जो उनके कानों पर मौजूद होते हैं जो बिल्कुल आंखों की जैसे दिखते हैं यह सभी बाघो से बहुत ही अलग और खूबसूरत दिखते हैं इनकी पहचान आसानी से हो जाती है।
इन्हें संरक्षित करना बहुत जरूरी है और उनके लाभ बहुत हैं जैसे
# जंगलों का बचाओ, जो मनुष्य के लिए जरूरी है पर दुख की बात है कि हम ही उन्हें काटते हैं मगर बाघ हो तो ये सुरक्षित रहता है
# हमारा शुद्ध जल आज भी हजारों लोग वहां के शुद्ध जल का इस्तेमाल करते हैं जहां पर ये रहते हैं
# अन्य जीवों का महत्व, बाघो के रहने से और भी जिवो का महत्व पता चलता है क्योंकि यह दुनिया एक सर्कल पर चलती है तो जैसे सभी जीव जरूरी है वैसे बाघ भी महत्वपूर्ण है
# सभ्यता को बढ़ावा, इनकी हमारे सभ्यता से एक अटूट नाता है जो हमारे सभ्यता को जीवितभ्यता को जीवित रखता है।।
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