Prakash Ki Prakriti प्रकाश की प्रकृति

प्रकाश की प्रकृति

Pradeep Chawla on 18-10-2018


परावर्तन :-
प्रकाश का किसी सतह से टकराकर उसी माध्यम में वापस लौटना परावर्तन कहलाता है ।


परावर्तन के नियम:-
1- आपतन कोण का मान सदैव परावर्तन कोण के बराबर होता है ।
2- आपतित किरण, आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण सभी एक ही तल में स्थित होते हैं ।



दर्पण सूत्र:-
दर्पण की फोकस दूरी f , दर्पण से वस्तु की दूरी u और प्रतिबिंब की दूरी v के बीच संबंध बताने वाले सूत्र को दर्पण सूत्र कहते हैं ।


दृष्टि दोष :-
किसी व्यक्ति की आंखों में दृष्टि से संबंधित जो दोष उत्पन्न होते हैं उन्हें दृष्टिदोष कहते हैं ।
दृष्टि दोष चार प्रकार के होते हैं –
1 -निकट दृष्टि दोष
2- दूर दृष्टि दोष
3- जरा दृष्टि दोष
4- दृष्टिवैषम्य


1-निकट दृष्टि दोष:-
जब मनुष्य पास की वस्तु तो स्पष्ट देख सकता है लेकिन दूर की नहीं तो इसे निकट दृष्टि दोष कहते हैं ।


कारण-
1- लैंस से रेटिना की दूरी बढ़ जाए ।
2 -लैंस मोटा हो जाए।


निवारण:-
निकट दृष्टि दोष को दूर करने के लिए अवतल लेंस का उपयोग करते हैं ।



दूर दृष्टि दोष :-
जब मनुष्य दूर की वस्तुएं तो स्पष्ट देख सकता है लेकिन पास की नहीं तो इसे दूर दृष्टिदोष करते हैं ।


कारण:-
1- लेंस से रेटिना की दूरी कम हो जाए।
2- लेंस पतला हो जाए ।


निवारण :-
दूर दृष्टि दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का उपयोग करते हैं।



प्रकाश का अपवर्तन:-
जब प्रकाश की कोई किरण किसी एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में जाती है तो माध्यम बदलते समय वह अपने मार्ग से विचलित हो जाती है प्रकाश के व्यवहार से जुड़ी इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है तो वह अभिलंब की ओर झुक जाती है और जब सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है तो वह अभिलंब से दूर हट जाती है ।


लैंस :-
दो पृष्ठों से घिरा पारदर्शी माध्यम जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलीय हो लैंस कहलाता है।
लैंस दो प्रकार के होते हैं –
1- उत्तल लेंस
2- अवतल लेंस


लैंस की क्षमता का SI मात्रक डॉइप्टर है ।


तारों का टिमटिमाना :-
पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर वायु का घनत्व क्रमशः कम होने लगता है इसके साथ साथ पृथ्वी पर ताप परिवर्तन के कारण तथा वायु कणो की गतिशीलता के कारण विभिन्न परतों का घनत्व परिवर्तित होता है ।
अतः किसी तारे से आने वाली किरणें लगातार अपना मार्ग बदलती रहती है जिसके कारण पृथ्वी पर अवलोकन करते समय मनुष्य की आँखों में प्रवेश करने वाली किरणों की संख्या लगातार बदलती रहती है ।अतः तारे टिमटिमाते हुए दिखाई देते हैं ।


वास्तविक प्रतिबिंब:-
वह प्रतिबिंब है जिसे पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है उसे वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं ।
यह उल्टा बनता है ।


आभासी प्रतिबिंब:-
वह प्रतिदिन जिसे पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है, उसे आभासी प्रतिबिंब कहते हैं ।
यह सीधा बनता है।

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Comments Rajan kumar on 01-06-2022

Gass ka niyam bataiye

Rajan kumar on 23-05-2022

Gaus ka niyam

Ravi rathore on 20-01-2021

Prakash ki prakrti kesi hoti he

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Krishna kumar on 09-07-2020

Prakash ki prakriti kiya h

Santash on 01-06-2020

आकाश का रंग नीला क्यौ दिखाई देताहै


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