ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती एंड पृथ्वीराज चौहान हिस्ट्री इन हिंदी
यह एक अजीब तथ्य है कि भारत भू पर आने वाले अधिकांश पाकिस्तानीराजनैतिक व्यक्ति अजमेर शरीफ जाने की इच्छा जरूर रखते हैं, सातवींशताब्दी के मुहम्मद बिन कासिम और उसके बाद महमूद गजनवी और फिर मुहम्मदगौरी तक मध्य एशिया के किसी भी आक्रमणकारी का भारत भू को कब्जाने कास्वप्न पूरा नही हुआ.
ख्वाजा मुइउद्दीन चिश्ती के खंड काल पर दृष्टि डालें और तथ्यों कोदेखें तो पता चलता है कि चिश्ती वह संत थे, जो मुहम्मद गौरी के साथभारत आये थे, यह बिना किसी शंका के मान्य है कि भारत भू पर हुएअनेकों आक्रमण और अत्याचारों के बाद भी भारतीय धर्म और संस्कृति लोपनही किये जा सके, किंतु इस को नष्ट करने हेतु जिस सांस्कृतिक आक्रमणका सहारा आज लिया जा रहा है (जिसमे मीडिया, चर्च, राजनैतिक पार्टियां,लव जिहाद इत्यादि), चिश्ती इन आक्रमणो के प्रथम उपयोगकर्ता थे.
मुहम्मद गौरी जैसे एक दुर्दांत व्यक्ति के साथ संत माने जानेवाले व्यक्ति का होना कुछ शंकाओं को जन्म देता है. आखिर एक संत (यदिवह संत है ) एक दुर्दांत रक्त पिपासु के साथ लंबी यात्रा कर के लाहौरसे अजमेर तक पहुंचे और रास्ते मे हुए कत्ल ए आम से उसका संतत्व उसेजरा भी ना कटोचे, यह कैसे संभव है. हिंदुत्व सदा से ही ऐसे व्यक्तियोंको जो परोपकार हेतु जीते हैं, सम्मान देता आया है. इसी मानसिकता कालाभ उठा कर चिश्ती ने अजमेर मे अपना आश्रम खोला जहां प्रत्येक व्यक्तिको भोजन की व्यवस्था की गई.
अपनी संस्कृति मे पले बढे हिंदू सदा ही परोपकारी व्यक्ति को आस्था औरश्रद्धा की दृष्टि से देखते आये हैं. इसी मानसिकता का लाभ सर्वप्रथमचिश्ती ने उठाया, ( इस मानसिकता का लाभ ईसाई मिशनरियां आज भी उठा रहीहैं, और परोपकार की आड मे धर्म परिवर्तन का कार्य कर रही हैं), अपनेप्रसिद्ध होने और लोगो की आस्था का उपयोग चिश्ती ने भारत मे मुस्लिमोंके लिये बेस बनाने के लिये किया.
वह जानता था कि जब तक भारतीय अपनी संस्कृति से जुडे रहेंगे तब तकउन्हे पराजित करना असंभव है, अतः उसने सर्वप्रथम यह किया कि हिंदू औरमुस्लिमों के बीच मे एक कडी के रूप मे जुड गया, यह तभी संभव था जब वहहिंदुओं के बीच मे मान्यता प्राप्त कर लेता, इसी हेतु उसने अपने को एकचमत्कारी सूफी संत के रूप मे प्रचारित करना आरंभ किया. ध्यान रहे,अजमेर तत्कालीन राजपूतों की राजधानी था, और राजपूत वह जाति थी जो कभीभी विधर्मियों को स्वीकार नही करती थी. इस प्रकार हिंदू समाज मे अपनीलोकप्रियता का लाभ उसने मुहम्मद गौरी को दिया.
पृथ्वीराज चौहान से तिरस्कृत हो कर उसने कहा कि मैने अजमेर की चाबीकहीं और सौंप दी है, और शायद यह एक संकेत था, जिसे पा कर मुहम्मद गौरीने पुनः आक्रमण किया, और उस समय तक जयचंद गौरी के साथ मिल चुका था, यहभी पूरी तरह संभव है कि इस मिलाप के पीछे चिश्ती का ही हाथ हो,क्योंकि राजपूत एक ऐसी जाति थी जो किसी भी प्रकार से विधर्मियों केसाथ गठ बंधन नही बनाती थी, इसके स्थान पर वह अकेले ही लड कर वीरगति कोप्राप्त हो जाना ज्यादा पसंद करते थे. और अपनी विजय का श्रेय भीमुहम्मद गौरी ने चिश्ती को ही दिया, और अपने गुलाम कुतुबुद्दीन एबक कोनिर्देश दिया कि वहां मंदिरों को तोड कर ढाई दिन मे मस्जिद बनाई जाये,जिसने यह कार्य किया वह मस्जिद आज भी अढाई दिन का झोपडा नाम सेप्रचलित है.
यदि चिश्ती संत ही थे, तो कैसे यह बर्दाश्त कर सके कि कोई किसी दूसरेके आस्था के स्थानों को तोड कर वहां अपनी मस्जिदों का निर्माण करे? इससंतत्व के पीछे किसी सुनियोजित योजना की शंका होती है. आज के युग मेदेखे, तो इसी प्रकार की योजना ईसाई मिशनरी सभी स्थानों पर अपने धर्मके प्रचार के लिये कर रही हैं. यह चिश्ती की के उस प्रथम प्रयोग का हीअगला चरण प्रतीत होता है जिसकी ने नींव कई शताब्दी पहले चिश्ती ने रखीथी. और शायद यही कारण है कि प्रत्येक पाकिस्तानी वहां जाने को अत्यंतउत्सुक रहता है. शायद ऐसा कर के वह अपने पूर्वजों को भारत मे मुस्लिमसंप्रदाय की नींव रखने के लिये धन्यवाद देता है.
पहले तोलो फिर बोलो,,,,सब बकवास लिखा हुआ है
साध का निंदक कैसे तरे,,
यह लेख गलत मानसिकता से लिखी गई है इसका इतिहास में चर्चा नही है
जो भी इतिहास यहाँ लिखा है वो पुर्ण रुप से साम्प्रदायिकता और संकीर्णता से भरा हुआ है इस लेख के सारे तथ्य गलत हैं
Rahul
Fake news by RSS
उस समय पर लोग मुस्लिम शासक के डर के कारण पीर पैगम्बर को पूजते थे जो कि हिंदु लोगो ने अब इसको प्रथा मान लिया है जो कि गलत है उस समय पर लोगो को जबरन धर्म परिवर्तन भी कराये गए
786 जय ख्वाजा साहेब जय श्री राम 786
ख्वाजा साहेब को नीचा दिखाने की कोशिश करना,
अर्थात ईश्वर को नीचा दिखाना।
Ye bilkul galt uebki kwaja garib nawab Gori ke sath aye the .
अब हम का कहे हम तो यही जानते है की हमें हमारी मां ने जन्म दिया है अब इतने मूर्ख तो हो नहीं कि जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो अपने साथ धर्म का चिन्ह तो लाता नहीं है बेचारा बिल्कुल नग्न अवस्था में आता है न उसके आगे पीछे ऊपर नीचे धर्म का चिन्ह कहीं कुछ नहीं होता सब कुछ यही दिया गया है नाम कपड़े धर्म सब यही दिया है में आप सब से पूछता हूं कोई एक व्यक्ति मुझे ये बता दें जन्म लेने के छः महीने बाद बच्चा मां बोलना शुरू कर देता है इसका मतलब यह हुआ कि वह मां को पहचानें लगा है पर कभी बच्चा ये नहीं कहता की में इस धर्म से हूं जब तक उसे ये बताया नहीं जाता यहां आकर तुम्हे तुम्हारे ब्रांड दे दिए हैं तू इस कंपनी की पैरासिटामोल है तू इस कंपनी की पैरासिटामोल है काम सबका एक ही है बुखार उतारना मैं तो यही कहना चाहता हूं कि जो जहां रहता है जिस देश में रहता है वहा उस देश की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि उस देश की मिट्टी से हम पले बढ़े हैं और अपने कर्म को याद रखना चाहिए क्योंकि बिना कर्म के मालिक भी कुछ नहीं देता है चाहें मन्दिर या मस्जिद रोज हाजरी देने जाओ
हम इंसान हैं हमें
हमें ईसानियत दिखानी चाहिए हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं जो बीत गया सो बीत गया जो हमारे सामने हो रहा है वही सत्य है हम नहीं जानते हमारे पीछे 100,200 साल पहले क्या हुआ अब जो होगा हमारी जनरेशन स्पष्ट देखेगी पहले जो जैसे लिख दिया उसी को मानने लगे उन्ही को ज्ञात नहीं है पूरी घटना क्या सत्य और क्या असत्य/धन्यवाद
अगर कोई गलती हो गई हो तो छमा कर देना आप भाई लोग मैं तो साधारण इंसान हूं तो मैंने इंसानियत को ज्यादा महत्व दिया
Syogita or khawaja moinuddin chishti
Now I know the reality of moinuddin Christy the bloody killer of Hinduism and now Im thinking to convert to Hinduism because this is the reality and we have to accept it ,we distroy our temples only ,take the eg of Ayodhya , Mathura, ajmer, Jaipur or Kashi and infinite examples where ever we go we distroy there culture whether its afganistan or Pakistan or turkey or France or America or Syria or Iran or and just spread terrorism and violence I dont want to live with them this is the reality I want you to accept the fact and follow the right thing no matter what
मुइदीन chisti ki dargah ka nirman kisne करवाया
Why is Naseer Khan the best motivational speaker for live events in India?
इस हिस्ट्री को सिर्फ और सिर्फ लोगो को गुमराह करने के लिए लिखा गया हैं सच्चाई इसमें दूर दूर तक नहीं दिख रहा हैं
Wi-Fi ka khoj kisne kiya
Moinuddin aur prThvi Raj Chauhan me kya.sambandh the
इतिहास बिल्कुल सत्य है यही इनका ईमान यही इनका धर्म यही इनका कृत्य रहा है
ये बिल्कुल गलत लिखा है गरीब नवाज सऊदी अरब से आये थे है लेख बिल्कुल गलत है
अब हम का कहे हम तो यही जानते है की हमें हमारी मां ने जन्म दिया है अब इतने मूर्ख तो हो नहीं कि जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो अपने साथ धर्म का चिन्ह तो लाता नहीं है बेचारा बिल्कुल नग्न अवस्था में आता है न उसके आगे पीछे ऊपर नीचे धर्म का चिन्ह कहीं कुछ नहीं होता सब कुछ यही दिया गया है नाम कपड़े धर्म सब यही दिया है में आप सब से पूछता हूं कोई एक व्यक्ति मुझे ये बता दें जन्म लेने के छः महीने बाद बच्चा मां बोलना शुरू कर देता है इसका मतलब यह हुआ कि वह मां को पहचानें लगा है पर कभी बच्चा ये नहीं कहता की में इस धर्म से हूं जब तक उसे ये बताया नहीं जाता यहां आकर तुम्हे तुम्हारे ब्रांड दे दिए हैं तू इस कंपनी की पैरासिटामोल है तू इस कंपनी की पैरासिटामोल है काम सबका एक ही है बुखार उतारना मैं तो यही कहना चाहता हूं कि जो जहां रहता है जिस देश में रहता है वहा उस देश की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि उस देश की मिट्टी से हम पले बढ़े हैं और अपने कर्म को याद रखना चाहिए क्योंकि बिना कर्म के मालिक भी कुछ नहीं देता है चाहें मन्दिर या मस्जिद रोज हाजरी देने जाओ
हम इंसान हैं हमें
हमें ईसानियत दिखानी चाहिए हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं जो बीत गया सो बीत गया जो हमारे सामने हो रहा है वही सत्य है हम नहीं जानते हमारे पीछे 100,200 साल पहले क्या हुआ अब जो होगा हमारी जनरेशन स्पष्ट देखेगी पहले जो जैसे लिख दिया उसी को मानने लगे उन्ही को ज्ञात नहीं है पूरी घटना क्या सत्य और क्या असत्य/धन्यवाद
अगर कोई गलती हो गई हो तो छमा कर देना आप भाई लोग मैं तो साधारण इंसान हूं तो मैंने इंसानियत को ज्यादा महत्व दिया
ये जो लिखा है ये पूरा ही गलत है ख्वाजा गरीब नवाज गरीबो को नवाजते थे वे अल्लाह के भेजे गये थे
100% true history.
यह बिल्कुल गलत हिस्ट्री बनाई गई है इसमें सीधी सीधी सांप्रदायिकता दिखती है ख्वाजा साहब का मुगलों से कोई लेना-देना नहीं था वह सूफी संत थे आज भारत के अंदर ख्वाजा साहब की दरगाह पर जिसने मुसलमान नहीं जाते उससे ज्यादा हिंदू भाई जाते हैं और यह इस बात का सबूत है कि वह इंसानियत के लिए पैगाम लेकर आए थे और इंसानियत ही उनका धर्म था
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