दिल्ली अभी दूर है किसने कहा था
दिल्ली से जुडी एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है “दिल्ली अभी दूर है” जिसका अर्थ होता है “मंज़िल अभी दूर है”। जैसे की हर कहावत, लोकोक्ति या मुहावरे के पीछे कोई न कोई कहानी होती है, वैसे ही “दिल्ली अभी दूर है” के पीछे भी एक कहानी है जो की प्रसिद्ध सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया, उनके शागिर्द अमीर खुसरो और दिल्ली के तत्कालीन शासक गयासुद्दीन तुगलक से सम्बंधित है। आज इस लेख में हम आपको यह कहानी बताएँगे तथा साथ ही बताएँगे की आखिर दिल्ली का नाम दिल्ली कैसे पड़ा।
Dilli Abhi Dur Hai Story History in Hindi
जब औलिया ने कहा- ‘हनूज दिल्ली दूरअस्त’ और बन गई कहावत
1320 ईसवीं के आसपास दिल्ली में गयासुद्दीन तुगलक की सल्तनत चलती थी। लेकिन उस वक्त दिल्ली तुगलकों से ज्यादा सूफी हजरत निजामुद्दीन औलिया और उनके शागिर्द अमीर खुसरो के नाम से जानी जाती थी। तब खुसरो तुगलक के दरबारी थे। तुगलक खुसरो को तो चाहता था मगर औलिया से चिढ़ता था। उसे लगता था कि औलिया के इर्दगिर्द बैठे लोग उसके खिलाफ साजिशें रचते हैं।
एक बार तुगलक कहीं से लौट रहा था। बीच रास्ते से ही उसने सूफी हजरत निजामुद्दीन तक संदेश भिजवा दिया कि उसकी वापसी से पहले औलिया दिल्ली छोड़ दें। खुसरो को इस बात से तकलीफ हुई। वे औलिया के पास पहुंचे। तब औलिया ने उनसे कहा कि हनूज दिल्ली दूरस्त। यानी दिल्ली अभी दूर है। तुगलक के लिए दिल्ली दूर ही रह गई। रास्ते में उसके पड़ाव और स्वागत के लिए लकड़ी के पुल पर शाही खेमा बनवाया गया था। लेकिन रात को ही भयंकर अंधड़ से वह टूट कर गिर गया और तुगलक की वहीं दबकर मौत हो गई।
Dilli Abhi Dur Hai Story History in Hindi
दिल्ली स्थित हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह।
किल्ली तो ढिल्ली भई… और नाम पड़ गया दिल्ली
ईसा पूर्व 50 में मौर्य राजा थे जिनका नाम था धिल्लु। उन्हें दिलु भी कहा जाता था। माना जाता है कि यहीं से अपभ्रंश होकर नाम दिल्ली पड़ गया। लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि तोमरवंश के एक राजा धव ने इलाके का नाम ढीली रख दिया था क्योंकि किले के अंदर लोहे का खंभा ढीला था और उसे बदला गया था। यह ढीली शब्द बाद में दिल्ली हो गया। एक और तर्क यह है कि तोमरवंश के दौरान जो सिक्के बनाए जाते थे उन्हें देहलीवाल कहा करते थे। इसी से दिल्ली नाम पड़ा। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि इस शहर को हजार-डेढ़ हजार वर्ष पहले हिंदुस्तान की दहलीज़ माना था। दहलीज़ का अपभ्रंश दिल्ली हो गया।
हालांकि दावे मौर्य राजा दिलु को लेकर ही होते हैं। उनसे जुड़ी एक कहानी है। माना जाता है कि उनके सिंहासन के ठीक आगे एक कील ठोकी गई। कहा गया कि यह कील पाताल तक पहुंच गई है। ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की कि जब तक यह कील है, तब तक साम्राज्य कायम रहेगा। कील काफी छोटी थी इसलिए राजा को शक हुआ। उन्होंने कील उखड़वा ली। बाद में यह दोबारा गाड़ी गई, लेकिन फिर वह मजबूती से नहीं धंसी और ढीली रह गई। तब से कहावत बनी कि किल्ली तो ढिल्ली भई। कहावत मशहूर होती गई और किल्ली, ढिल्ली और दिलु मिलाकर दिल्ली बन गया।
Chandel bans ki sthapna kisne ki
Hii
एक व्यक्ति अपने मित्र को चांटा मारता है। तो व पाता है कि उसके मित्र का गाल विस्थापित हो गया है। इसका मतलब व्यक्ति कार्य करता है । (कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं) w = E मित्र के गाल पर किया गया कार्य व्यक्ति द्वारा लगाया गया उर्जा के बराबर होगा। ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार, उर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित हो सकती है ना तो इसे बनाया जा सकता है ना तो इसका विनाश किया जा सकता है। रूपांतरण के पहले व रूपांतरण के पश्चात कुल ऊर्जा सदैव निश्चित रहती है। अतः व्यक्ति जितनी उर्जा अपने मित्र को देगा मित्र का गाल उतना ही कार्य करेगा। न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार हर क्रिया के बराबर प्रक्रिया होती है। व्यक्ति द्वारा मित्र के गाल पर कार्य करके व्यर्थ किया गया ऊर्जा मित्र के गाल द्वारा भी कार्य करके उतनी ही ऊर्जा व्यक्ति के हाथ पर निरूपित कर देगा। अतः मित्र के गाल पर ऊर्जा की मात्रा शून्य होगा। तो मित्र का गाल विस्थापित क्यों हुआ ? जबकि कुछ भी बिना उर्जा लगाए विस्थापित नहीं हो सकता।
Same qu.....
Sadi lab hongi
Bharat ka India naam sabse pahle kisne prayog kiya tha
Dilli abhi dur hai kisne kaha tha
Dilli dur nahi Kiska Nara hai
Janab Delhi bahut dur he kesane kaha tha
DELHI ABHI DOOR HI KISKI BOOK HI .....
Dehli abhi dur h kiska nara h
एक व्यक्ति अपने मित्र को चांटा मारता है। तो व पाता है कि उसके मित्र का गाल विस्थापित हो गया है। इसका मतलब व्यक्ति कार्य करता है । (कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं) w = E मित्र के गाल पर किया गया कार्य व्यक्ति द्वारा लगाया गया उर्जा के बराबर होगा। ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार, उर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित हो सकती है ना तो इसे बनाया जा सकता है ना तो इसका विनाश किया जा सकता है। रूपांतरण के पहले व रूपांतरण के पश्चात कुल ऊर्जा सदैव निश्चित रहती है। अतः व्यक्ति जितनी उर्जा अपने मित्र को देगा मित्र का गाल उतना ही कार्य करेगा। न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार हर क्रिया के बराबर प्रक्रिया होती है। व्यक्ति द्वारा मित्र के गाल पर कार्य करके व्यर्थ किया गया ऊर्जा मित्र के गाल द्वारा भी कार्य करके उतनी ही ऊर्जा व्यक्ति के हाथ पर निरूपित कर देगा। अतः मित्र के गाल पर ऊर्जा की मात्रा शून्य होगा। तो मित्र का गाल विस्थापित क्यों हुआ ? जबकि कुछ भी बिना उर्जा लगाए विस्थापित नहीं हो सकता।
आप यहाँ पर gk, question answers, general knowledge, सामान्य ज्ञान, questions in hindi, notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं।
नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें
Culture
Current affairs
International Relations
Security and Defence
Social Issues
English Antonyms
English Language
English Related Words
English Vocabulary
Ethics and Values
Geography
Geography - india
Geography -physical
Geography-world
River
Gk
GK in Hindi (Samanya Gyan)
Hindi language
History
History - ancient
History - medieval
History - modern
History-world
Age
Aptitude- Ratio
Aptitude-hindi
Aptitude-Number System
Aptitude-speed and distance
Aptitude-Time and works
Area
Art and Culture
Average
Decimal
Geometry
Interest
L.C.M.and H.C.F
Mixture
Number systems
Partnership
Percentage
Pipe and Tanki
Profit and loss
Ratio
Series
Simplification
Time and distance
Train
Trigonometry
Volume
Work and time
Biology
Chemistry
Science
Science and Technology
Chattishgarh
Delhi
Gujarat
Haryana
Jharkhand
Jharkhand GK
Madhya Pradesh
Maharashtra
Rajasthan
States
Uttar Pradesh
Uttarakhand
Bihar
Computer Knowledge
Economy
Indian culture
Physics
Polity
इस टॉपिक पर कोई भी जवाब प्राप्त नहीं हुए हैं क्योंकि यह हाल ही में जोड़ा गया है। आप इस पर कमेन्ट कर चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं।