Misra Ki Sabhyata Ka Itihas मिस्र की सभ्यता का इतिहास

मिस्र की सभ्यता का इतिहास

GkExams on 03-07-2022


मिस्र की सभ्यता का इतिहास (Egypt History Civilization In Hindi) : सबसे पहले तो आपको बता दे की प्राचीन मिस्र, नील नदी के निचले हिस्से के किनारे केन्द्रित पूर्व उत्तरी अफ्रीका की एक प्राचीन सभ्यता थी, जो अब आधुनिक देश मिस्र है।





बताया जाता है की यह सभ्यता (ancient egypt facts) 3150 ई. पू. के आस-पास, प्रथम फैरो के शासन के तहत ऊपरी और निचले मिस्र के राजनीतिक एकीकरण के साथ समाहित हुई और अगली तीन सदियों में विकसित होती रही। ध्यान रहे की इस सभ्यता का निर्माण इथियोपी, नूबी और नीलियम जाति के लोगों ने किया था। वैसे मिस्र की सभ्यता के इतिहास में पिरामिड़ युग, सामन्तशाही युग एवं साम्राज्यवादी युग विशेष उल्लेखनीय है।


क्योंकि मिस्र देश की सभ्यता ने कई ऐसी अनमोल धरोहर इंसानी जाति को दी जिसके लिए हमें उनका एहसान मानना चाहिए। मिस्र की सभ्यता (egypt history timeline) ने इंसानी जाति को कागज और शाही के बारे में जानकारी प्रदान की। और इसके अलावा सिंचाई के तरीके के बारे में भी जानकारी दी, इसके साथ ही साथ बांध और नहरों का निर्माण किस प्रकार से किया जाता है इसकी भी जानकारी दी।


इन सबके अलावा टैक्स रिकवरी, बड़े और विशाल मंदिरों का निर्माण, अंक चिन्हों की जानकारी, गुणा भाग करने के तरीके, केमिकल पेस्ट बनाने की जानकारी, मम्मी को कैसे सुरक्षित रखा जाए, इसकी जानकारी भी प्रदान की है।


सामाजिक जीवन :




यहाँ के शासक फराओ कहलाते थे और प्रजा पर उनकी सत्ता निरंकुश थी। लोग उसे ईश्वर का प्रतिनिधि मानते थे। यहाँ उच्च वर्ग में सामन्त व पुरोहित, मध्यवर्ग में व्यापारी, व्यवसायी तथा निम्न वर्ग में कृषक तथा दास थे।


आर्थिक जीवन :




यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। इसलिए मिस्र को प्राचीन विश्व का ‘अन्न का भण्डार’ कहा जाता था, क्योंकि वहां वर्ष में तीन बार फसलें बोयी जाती थी। इसके अलावा बकरी, गधा, कुत्ता, गाय, ऊंट, सुअर आदि पालतु पशु थे।


धार्मिक जीवन :




यहाँ के लोगों के देवता रा (सूर्य) ओसरिम (नील नदी) तथा सिन (चन्द्रमा) थे। उनके देवता प्राकृतिक शक्तियों के प्रतीक थे। ध्यान रहे की मिस्र की सभ्यता के प्रारम्भिक काल में मिस्रवासी बहुदेववादी थे।


पिरामिड :




यहाँ के लोगों को विश्वास था कि मृत्यु के बाद शव में आत्मा निवास करती है। अतः वे शव पर एक विशेष प्रकार के तेल का इस्तमोल करते थे। इससे सैकड़ों वर्षों तक शव सड़ता नही था। शवों की सुरक्षा के लिए समाधियाँ बनाई जाती थी। जिन्हें वे लोग पिरामिड कहते थे। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की पिरामिडों में रखे गये शवों को "ममी" कहा जाता था।


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