खनिज पदार्थ की उपयोगिता
आज पृथ्वी पर लगभग दो हजार प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। पर इनमें सबसे ज्यादा महत्व अगर किसी को मिला है, तो वह है हीरा। इसके पीछे कारण यही है कि यह अब तक ज्ञात समस्त खनिजों में सबसे अधिक कठोर होता है। इसपर किसी अन्य पदार्थ से खरोंच नहीं पैदा की जा सकती है तथा तथा यह सभी प्रकार के अम्लों और क्षरों से सुरक्षित रहता है। हीरे के इन्हीं गुणों के कारण प्राचीन यूनानी इसे ‘अडम्स’ अर्थात अजेय कहते थे। हीरे के अलावा रत्न के रूप में उपयोग में लाये जाने वाले अन्य खनिज पदार्थ हैं: मोती, मूँगा, पन्ना (एमराल्ड), पुखराज (प्रेसस टौपेज), नीलम (सफायर), माणिक्य (रूबी), गोमेद (जिरकन), वैदूर्य (क्राइसोबेरिल), जमुनिया (एमिथिस्ट), पोलकी (ओपल)।
धरती पर पाये जाने वाले सभी प्रकार के रत्न प्राचीन काल से लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहे हैं। लेकिन इनके सम्बंध में पर्याप्त जानकारी न होने के कारण मानव समाज में इनसे जुड़े हुए तरह-तरह के अंधविश्वास भी प्रचलित रहे हैं। जैसे हीरे के बारे में हमारे समाज में यह धारणा रही है कि उसके चाट लेने से आदमी की मृत्यु हो जाती है। इसी प्रकार मोती के बारे में कहा जाता रहा है कि जब स्वाति नक्षत्र की पहली बूँद सीप के मुँह में गिरती है, तो मोती की उत्पत्ति होती है। इसी प्रकार पन्ना के बारे में लोगों की यह धारणा थी कि इसके पहनने से मिरगी तथा पेचिश जैसे रोग ठीक होते हैं तथा भूत-प्रेत नहीं पकड़ते हैं। प्राचीन काल में यूनानियों को विश्वास था कि जमुनिया धारण करने से नशे का प्रभाव नहीं होता। इसी कारण यूनान आदि के राजा शराब पीने के लिए जमुनिया से निर्मित प्यालों का उपयोग करते थे। यही नहीं आजकल के पढ़े-लिखे लोग भी इनसे जुड़े हुए अंधविश्वास के शिकार पाए जाते हैं और ज्योतिषियों की सलाह पर विभिन्न ग्रहों के ‘कुप्राभावों’ से बचने के लिए तरह-तरह के रत्न अंगूठी के रूप में धारण करते हैं।
जिन खनिज पदार्थों ने सम्पूर्ण मानवता के इतिहास को बदलने में अपनी भूमिका निभाई है, उनमें कोयला और प्राकृतिल तेल महत्वपूर्ण हैं। ये खनिज पदार्थ लाखों वर्षों की प्राकृतिक क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न हुए हैं और सम्पूर्ण विश्व में फैले हुए हैं। इन तमाम खनिज पदार्थों के बारे में अक्सर यह सवाल हमारे दिमाग में कौंधता है कि इनका निर्माण कैसे हुआ होगा? अगर आपके मन में भी इस तरह के सवाल कौंधते हैं और धरती पर पाए जाने वालें खनिजों के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो डॉ0 विजय कुमार उपाध्याय द्वारा लिखित पुस्तक ‘खनिज और मानव’ आपके लिए काफी मददगार सबित हो सकती है।
डॉ0 विजय कुमार उपाध्याय इंजीनियरिंग कॉलेज, भागलपुर सहित अनेक कालेजों में भू विज्ञान के अध्यापन से जुड़े रहे हैं और लोकप्रिय विज्ञान लेखक के रूप में भी जाने जाते हैं। भू विज्ञान पर लिखे हुए उनके अनेक शोध पत्र विभिन्न जर्नलों में प्रकाशित हुए हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनके लगभग 500 आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ0 उपाध्याय विज्ञान परिषद, प्रयाग द्वारा ‘विज्ञान वाचस्पति’ की उपाधि से विभूषित हैं तथा उनकी अब तक ‘कहानी पृथ्वी की’, ‘जीवन की उत्पत्ति और विकास’, ‘पृथ्वी उद्भव और विकास’ तथा ‘कहानी खनिजों की खोज की’ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
डॉ0 उपाध्याय द्वारा रचित यह पुस्तक आईसेक्ट द्वारा मध्य प्रदेश विज्ञान एवं तकनीकी परिषद की अनुसृजन परियोजना के अन्तर्गत प्रकाशित हुई है, जिसमें 7 अध्यायों (खनिजों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, खनिज तेल की कहानी, खनिज कोयले की कहानी, विचित्र खनिजों का परिचय, रत्नों से परिचय, विभिन्न प्रकार के उपयोगी खनिज एवं प्रमुख नाभिकीय खनिज) के अन्तर्गत खनिजों के बारे में विस्तृत जानकारी परोसी गयी है।
अपनी रोचक विषय वस्तु एवं प्रवाहमयी प्रस्तुति के कारण यह एक पठनीय एवं संग्रहणीय पुस्तक बन पड़ है। सिर्फ विद्यार्थियों ही नहीं, बल्कि सामान्य पाठकों के लिए भी यह एक काम की किताब है। हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक पाठकों द्वारा सराही जाएगी और विज्ञान संचार के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।
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