इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का नियम
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखने से पहले Atom (एटम) के बारे में कुछ मूल जानकारियों का पता होना आवश्यक है।
एक atom में इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन होता है।
Atom (परमाणु का आकार): Atom (परमाणु) का आकार गोलाकार होता है।
न्यूक्लियस (Nucleus): परमाणु के केन्द्रीय भाग को Nucleus (केन्द्रक) कहा जाता है। परमाणु के केन्द्रक में प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन रहता है, तथा इलेक्ट्रॉन केन्द्रक के चारों ओर कक्षाओं में घूमते रहते हैं।
कक्षा (Orbit or Shell): परमाणु में न्यूक्लियस के चारों ओर कक्षाएं होती हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉन घूमते हैं। परमाणु के इन कक्षाओं को अंग्रेजी के अक्षर K, L, M, N, . . . . द्वारा दर्शाया जाता है।
K = Ist कक्षा (Orbit or shell) (n = 1)
L = 2nd कक्षा (Orbit or shell) (n=2)
M = 3rd कक्षा (Orbit or shell) (n=3)
N =4 th कक्षा (Orbit or shell) (n=4)
O =5 th कक्षा (Orbit or shell) (n=5)
तथा आगे इसी प्रकार
कक्षा संख्या को अंग्रेजी के अक्षर n द्वारा दर्शाया जाता है।
उप कक्षा (Orbital or Sub-shell):परमाणु की कक्षाएं उपकक्षाओं में विभाजित रहती हैं। उप कक्षाओं को आर्बाइटल या सब सेल कहा जाता है।
उपकक्षाएं (Orbital or Sub-shell) चार प्रकार की होती हैं।
ये उपकक्षाएं (Orbital or Sub-shell) हैं s, p, d, और f
1st (K) कक्षा में मात्र एक उपकक्षा होती है। i.e. s-orbital
2nd (L) कक्षा (Orbit) में दो उपकक्षाएं (Orbital or Sub-shell) होती हैं। i.e. s- orbital और s−orbital और p-orbital
3rd (M) कक्षा (Orbit) में तीन उपकक्षाएं (Orbital or Sub-shell) होती हैं। i.e. s-orbital, p-orbital और d-orbital
4th (N) कक्षा (Orbit) में चार उपकक्षाएं (Orbital or Sub-shell) होती हैं। i.e. s-orbital, p-orbital, d-orbital और f-orbital
परमाणु के किसी कक्षा में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्या की गणना सूत्र 2n2
जहाँ n कक्षा संख्या है, से की जाती है।
यहाँ कक्षा (orbit) संख्या n=1 है
अत: इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां = 2n2=2 (1)2=2×1=2
अत:, 1st कक्षा (orbit) में अधिकतम (दो) electron हो सकते हैं।
यहाँ, n = 2
अत: 2nd कक्षा (orbit) में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्या =2n2=2× (2)2=2×4=8
अत:, 2nd कक्षा (orbit) में अधिकतम electrons हो सकते हैं।
यहाँ कक्षा संख्या = 3, i.e. n = 3
अत: किसी कक्षा में अधिकतम इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात करने वाले सूत्र 2n2 का प्रयोग करने पर
=2 (3)2=2×9=18
अत:, 3rd कक्षा (orbit) में अधिकतम 18 electrons हो सकते हैं।
यहाँ कक्षा संख्यां (n) = 4.
अत: किसी कक्षा में अधिकतम इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात करने वाले सूत्र 2n2 का प्रयोग करने पर
=2 (4)2=2×16=32
अत:, 4th कक्षा (orbit) में अधिकतम 32 electrons हो सकते हैं।
अत: किसी कक्षा में अधिकतम इलेक्ट्रॉन की संख्या सूत्र 2n2 का प्रयोग करके ज्ञात की जा सकती है
कक्षा संख्या (n) | अंग्रेजी का अक्षर जो कक्षा को निरुपित करता है। | सूत्र (2n2) का प्रयोग | इलेक्ट्रान की अधिकतम संख्या |
1 | K | 2n2=2(1)2=2 x = 2 | 2 |
2 | L | 2n2=2(2)2=2 x = 8 | 8 |
3 | M | 2n2=2(3)2=2 x = 18 | 18 |
4 | N | 2n2=2(4)2=2 x 16 = 32 | 32 |
5 | O | 2n2=2(5)2=2 x 25 = 50 | 50 |
1st कक्षा अर्थात K कक्षा में मात्र एक ऑर्बाइटल होता है, जो s-ऑरबाइटल में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां हो सकती है।
अत: s-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां = 2
2nd कक्ष (orbit) में दो उपकक्षाएं (orbitals), i.e. s-orbital और p-orbital होती हैं।
चूँकि 2nd कक्षा (orbit) इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां = 8
तथा s-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां = 2
अत: p-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां
= 2nd कक्षा (orbit) में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां – s-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां
=8−2=6
अतः p-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां = 6
3rd कक्षा (orbit) में तीन orbitals (ऑर्बाइटल), i.e. s-orbital, p-orbital तथा d-orbital होते हैं।
चूँकि 3rd कक्षा (orbit) में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां = 18
और, s-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां = 2
और, p-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां = 6
अत: d-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां
= 2nd कक्षा (orbit) में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां – s-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां – p-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां
=18−2−6=18−8=10
अतः d-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां =10
3rd कक्षा (orbit ) में तीन orbitals, i.e. s-orbital, p-orbital, d-orbital और f-orbital हैं।
चूँकि 4nd कक्षा (orbit) में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां = 32
तथा, s-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां = 2
और, p-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां = 6
और, d-orbital में maximum number of electrons in = 10
अत: f-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां
= 4th कक्षा (orbit) में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां – s-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां – p-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां – d-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां
=32(−2−6−10)=32−18=14 f-orbital में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां =14
ऑरबाइटल का नाम | इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्यां |
---|---|
s-orbital | 2 |
p-orbital | 6 |
d-orbital | 10 |
f-orbital | 14 |
परमाणु की कक्षाओं में घूमने वाले इलेक्ट्रॉन सर्वप्रथम निम्न उर्जा वाले उपकक्षाओं में जाते हैं या भरते हैं, तत्पश्चात ही उससे अधिक उर्जा वाले उपकक्षाओं में जाते हैं।
दूसरे शब्दों में किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन उपकक्षाओं को निम्नतम उर्जा वाले उपकक्षा से क्रमश: बढ़ते हुए क्रम में उच्च उर्जा वाली उपकक्षाओं को भरते हैं।
कक्षाओं के अनुसार उपकक्षाओं की उर्जा स्तर निचे दिये गये डायग्राम (आरेख) के द्वारा आसानी से ज्ञात किया जा सकता है।
सबसे पहले कक्षावार उपकक्षाओं को निम्नांकित तरीके से लिखें
फिर प्रत्येक उपकक्षा को निम्नांकित तरीके से तीर के निशान द्वारा काटें।
तीर के निशान द्वारा उपकक्षाओं को काटने का क्रम आरोही क्रम में उपकक्षाओं के उर्जा स्तर को दर्शाता है।
अत: कक्षावार उपकक्षाओं का उर्जा स्तर निम्नांकित है।
1s < 2s < 2p < 3s < 3p < 4s < 3d < 4p < 5s < 4d < 5p < 6s तथा आगे इसी प्रकार
अर्थात 1s का उर्जा स्तर निम्नतम है तथा 2s उपकक्षा का उर्जा स्तर 1s से अधिक है।
और, 2p का उर्जा स्तर 3s के उर्जा स्तर से कम है।
और, 4s का उर्जा स्तर 3d के उर्जा स्तर से कम है।
तथा आगे इसी प्रकार
किसी भी ऑर्बाइटल के उप ऑर्बाइटल में इलेक्ट्रॉन पहली एक एक कर भरते हैं, ततपश्चात ही उसका जोड़ा बनना प्रारंभ होता है।
पूर्ण रूप से आधा भरा हुआ या पूरा भरा हुआ ऑर्बाइटल पूर्ण रूप से आधे भरे हुए या पूरा भरे हुए ऑर्बाइटल से अधिक स्थाई होता है।
हुंड का नियम क्रोमियम (Cr) तथा कॉपर (Cu) आदि के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को सही सही लिखने तथा उसे समझने के काम में मदद करता है।
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