Ibn बतूता ne Apni Yatra Ka Vivarann Likha Tha इब्न बतूता ने अपनी यात्रा का विवरण लिखा था

इब्न बतूता ने अपनी यात्रा का विवरण लिखा था

Pradeep Chawla on 23-09-2018

इब्नबतूता का रिह्‌ला




इब्नबतूता

द्वारा अरबी भाषा में लिखा गया उसका यात्रा वृत्तांत जिसे रिह्‌ला कहा जाता

है चौदहवीं शताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप के सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन

के विषय में बहुत ही प्रचुर तथा रोचक जानकारियाँ देता है। मोरक्को के इस

यात्री का जन्म तैंजियर के सबसे सम्मानित तथा शिक्षित परिवारों में से एक

जो इस्लामी कानून अथवा शरियत पर अपनी विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध था में

हुआ था। अपने परिवार की परंपरा के अनुसार इब्नबतूता ने कम उम्र में ही

साहित्यिक तथा शास्त्ररूढ़ शिक्षा हासिल की। अपनी श्रेणी के अन्य सदस्यों के

विपरीत इब्नबतूता पुस्तकों के स्थान पर यात्राओं से अर्जित अनुभव को ज्ञान

का अधिक महत्वपूर्ण स्रोत मानता था। उसे यात्राएँ करने का बहुत शौक था और

वह नए-नए देशों और लोगों के विषय में जानने के लिए दूर-दूर के क्षेत्रों तक

गया। 1332-33 में भारत के लिए प्रस्थान करने से पहले वह मक्का की तीर्थ

यात्राएँ और सीरिया इराक फारस यमन ओमान तथा पूर्वी आफ्रीका के कई तटीय

व्यापारिक बंदरगाहों की यात्राएँ कर चुका था। मध्य एशिया के रास्ते होकर

इब्नबतूता सन्‌ 1333 में स्थलमार्ग से सिधं पहुचँा। उसने दिल्ली के सुल्तान

महुम्मद बिन तुगलक केे बारे में सुना था और कला और साहित्य के एक दयाशील

संरक्षक के रूप में उसकी ख्याति से आकर्षित हो बतूता ने मुल्तान और उच्छ के

रास्ते होकर दिल्ली की ओर प्रस्थान किया।



सुल्तान उसकी

विद्वता से प्रभावित हुआ आरै उसे दिल्ली का फाजी या न्यायाधीश नियुक्त

किया। वह इस पद पर कई वर्षों तक रहा पर फिर उसने विश्वास खो दिया और उसे

कारागार में केद कर दिया गया। बाद में सुल्तान और उसके बीच की गलतफहमी दूर

होने के बाद उसे राजकीय सेवा में पुनर्स्थापित किया गया और 1342 ई- में

मंगोल शासक के पास सुल्तान के दूत के रूप में चीन जाने का आदेश दिया गया।

अपनी नयी नियुक्ति के साथ इब्न बतूता मध्य भारत के रास्ते मालाबार तट की ओर

बढ़ा। मालाबार से वह मालद्वीप गया जहाँ वह अठारह महीनों तक व्फ़ााजी के पद

पर रहा पर अंतत: उसने श्रीलंका जाने का निश्चय किया। बाद में एक बार फिर वह

मालाबार तट तथा मालद्वीप गया और चीन जाने के अपने कार्य को दोबारा शुरू

करने से पहले वह बंगाल तथा असम भी गया। वह जहाज से सुमात्रा गया और

सुमात्रा से एक अन्य जहाज से चीनी बंदरगाह नगर जायतुन ;जो आज क्वानझू के

नाम से जाना जाता है गया। उसने व्यापक रूप से चीन में यात्रा की और वह

बीजिंग तक गया लेकिन वहाँ लंबे समय तक नहीं ठहरा। 1347 में उसने वापस अपने

घर जाने का निश्चय किया। चीन के विषय में उसके वृत्तांत की तुलना

मार्कोपोलो जिसने तेरहवीं शताब्दी के अंत में वेनिस से चलकर चीन ;और भारत

की भी की यात्रा की थी के वृत्तांत से की जाती है।





इब्न बतूता ने नवीन संस्कृतियों लोगों

आस्थाओं मान्यताओं आदि के विषय में अपने अभिमत को सावधानी तथा कुशलतापूर्वक

दर्ज किया। हमें यह ध्यान में रखना होगा कि यह विश्व-यात्री चौदहवीं

शताब्दी में यात्राएँ कर रहा था जब आज की तुलना में यात्रा करना अधिक कठिन

तथा जोखिम भरा कार्य था। इब्न बतूता के अनुसार उसे मुल्तान से दिल्ली की

यात्रा में चालीस और सिंध से दिल्ली की यात्रा में लगभग पचास दिन का समय

लगा था। दौलताबाद से दिल्ली की दूरी चालीस जबकि ग्वालियर से दिल्ली की दूरी

दस दिन में तय की जा सकती थी। यात्रा करना अधिक असुरक्षित भी था इब्न

बतूता ने कई बार डाकुओं के समूहों द्वारा किए गए आक्रमण झेले थे। यहाँ तक

कि वह अपने साथियों के साथ कारवाँ में चलना पसंद करता था पर इससे भी

राजमार्गों के लुटेरों को रोका नहीं जा सका। मुल्तान से दिल्ली की यात्रा

के दौरान उसके कारवाँ पर आक्रमण हुआ और उसके कई साथी यात्रियों को अपनी जान

से हाथ धोना पड़ा: जो जीवित बचे जिनमें इब्नबतूता भी शामिल था बुरी तरह से

घायल हो गए थे।



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Comments Md Ajmat on 18-09-2023

Ibn battuta ne apni yantri vivran likha tha

इबन बतूता ने अपनी यात्रा का विवरण लिखा था on 21-05-2023

इबन बतूता ने अपनी यात्रा का विवरण लिखा था

Sushil keer on 01-01-2023

chin ke vishay mein ibnbattuta ke yatra varnan ki tulna kiske vrittant se ki jaati hai question ans

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मनिष on 11-05-2022

इब्न बतूता ने अपनी यात्रा का विवरण लिखा था

Sanni kumar on 10-03-2022

Shrimad Bhagwat Geeta ke mahatva per Kisne vichar vimarsh kiye

Sanni kumar on 21-02-2022

Ibnbatota ne apni yatra ka vivaran likha tha

Aisha on 27-12-2021

Ibn battut kb chine mi doot bana ker bhja gya

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Dungar oad on 18-11-2021

इब्नबतूता ने किन-किन देशों की यात्रा की

Sanjana on 19-10-2021

ibanbatuta ने लंबी yatrao की किस परेशानी का वर्णन kiya hai

Puche on 10-03-2021

Bharat ke un do nagro ke name bataiye jha ibanbatuta nedora kiya

RK raftar on 21-11-2020

Morocco Wapas jaane ke bad Apna Yatra vrutant ke bare mein Kisko bataya tha even batota

Vikash Yadav on 06-05-2020

भगवत गीता का यात्रा वितरण को लिखिए

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