Bhutaapiy Urja Kya Hoti Hai भूतापीय ऊर्जा क्या होती है

भूतापीय ऊर्जा क्या होती है

GkExams on 06-02-2019

भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी के अंदर से प्राप्त होती है, इसलिए इसे भूतापीय ऊर्जा कहा जाता है। इस ऊर्जा की उत्पत्ति मुख्यत: पृथ्वी में सर्वत्र समाये यूरेनियम, थोरियम व पोटेशियम आइसोटोप के विकिरण और पृथ्वी की कोर में भरे उच्च ताप युक्त तरल पदार्थ मेग्मा की उपस्थिति से होता है। यह भूगर्भीय उष्मा पृथ्वी के भीतर गतिशील जल द्वारा भू-सतह तक पहुंचती है। जिस स्थान पर ताप स्त्रोत भू-सतह के निकट होता है, वहां का भू जल गर्म होकर 'तप्त जल भंडार का रूप ले लेता है। इसका तापमान 30 डिग्री से 375 डिग्री सेल्सियस तक होता है। पृथ्वी के अंदर 3 किमी गहराई तक मिलने वाले ये तप्त जल भंडार गरम पानी व वाष्प उत्पन्न करते हैं, जिसे व्यापारिक स्तर पर अप्रत्यक्ष ऊर्जा उत्पादन के लिये उपयोग में लाया जा सकता है।


पृथ्वी की भू-सतह का तापमान कुछ गहराई तक सौर ऊर्जा व स्थानीय जलवायु द्वारा प्रभावित होता है। इस प्रभाव की मात्रा स्थान विशेष की भूवैज्ञानिक संरचना के अनुरूप भिन्नता लिये होती है। गहराई के साथ पृथ्वी के बढ़ते तापमान को भूतापीय प्रवणता कहते हैं। भूतापीय प्रवणता व तापमान पृथ्वी पर सभी स्थानों पर एक समान नहीं पाये जाते हैं। भूतापीय ऊर्जा तंत्र विश्व के कई भागों में पाये जाते हैं, इनका उपयोग निरंतर बढ़ रहा है। विश्व के 15 देशों में इसके माध्यम से 6300 मेगावाट बिजली का उत्पादन 1997 तक किया गया था, जो आज अपने दोगुने स्तर पर पहुंच गया है। इन स्त्रोतो का लाभ उठाने के लिये अपनाई गई विधियां काफी सुगम एवं विश्वसनीय हैं। इनके निर्माण में समय भी बहुत कम खर्च होता है। 6 महीने के भीतर 0.5 से 10 मेगावाट और दो वर्षो में 250 मेगावाट सामूहिक क्षमता के संयंत्र स्थापित किये जा सकते हैं। इन ऊर्जा तंत्रों से ऊर्जा उत्पादन की तकनीके भी परिष्कृत की जा चुकी हैं। पृथ्वी के अंदर समाये इन तप्त तरल पदार्थों को छिद्रों द्वारा निकालने के पश्चात् गैस टरबाईन व जनरेटर चलाया जाता है।


भूतापीय ऊर्जा तंत्र कई प्रकार के होते हैं। शुष्क वाष्प तंत्र में उच्च ताप व उच्च दाब वाले लगभग 250डिग्री सेल्सियस के शुष्क वाष्प द्वारा बिजली उत्पादित की जाती र्है। इसी प्रकार वेट स्टीम सिस्टम द्वारा भी टरबाईन संचालित करके बिजली प्राप्त की जाती है। इसके अलावा गरम पानी तंत्र व तप्त शैल तंत्र द्वारा भी विद्युत उत्पादित की जा सकती है। इन सभी तंत्रों से ऊर्जा उत्पादन की क्रिया के दौरान गर्म पानी व वाष्प को काम में लाने के पश्चात् इंजेक्सन पंपों द्वारा पुन: पृथ्वी के अंदर भेज दिया जाता है, ताकि तंत्र में सही दबाव बना रहे और गर्म वाष्प् लगातार प्राप्त होती रहे। विश्व में सबसे बड़ा शुष्क वाष्प् तंत्र 'गीजर' नामक स्थान पर है जो सेन फ्रांसिस्को (अमेरिका) के उत्तर में 145 कि.मी. दूरी पर है। इस विशिष्ट स्त्रोत के नाम पर पानी गर्म करने की विद्युत टंकी को गीजर कहा जाता है।


जापान, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, इटली, मेक्सिको, फिलीपींस, चीन, रूस, टर्की के भूतापीय ऊर्जा का उपयोग बड़ी कुशलता से बिजली उत्पादन के लिये कई वर्र्षों से उपयोग किया जा रहा है। इन देशों के साथ-साथ फ्रांस और हंगरी में भूतापीय ऊर्जा का उपयोग गैर बिजली क्षेत्रों में किया जाता है। पिछले कई दशकों से भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग भूतापीय ऊर्जा के अध्ययन व विकास कार्य में लगा हुआ है, जिसने भारत में 340 तापीय झरनों की पहचान की जा चुकी है। भारत के ऐंसे कई अछूते क्षेत्र हैं, जहां अभी तक खोज कार्य नहीं किया जा सका है, इसलिये कई अन्य भूतापीय ऊर्जा की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। 1990 के दशक में भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग और म.प्र. ऊर्जा विकास निगम ने मिलकर तातापानी मध्यप्रदेश में एक 100 किलोवाट क्षमता का भूतापीय बिजली संयंत्र निर्माण करने के लिये बेधान कार्य आरंभ किया है। इस भूतापीय प्रदेश में 100 डिग्री सेल्सियस तापमान तक के तरल की खोज हुई है। बेधान कार्य के दौरान वाष्प विस्फोट हुए हैं। वर्तमान में सभी आंकड़ों की व्याख्या का कार्य किया जा रहा है, ताकि व्यापारिक स्तर पर बिजली उत्पादन की योजना बनाई जा सके।


ऐसा नहीं है कि भारत में पहचाने गए निम्न व मध्यम भूतापीय ऊर्जा प्रदेशों को व्यवहार में नहीं लाया जा सकता है। एक अनुमान के अनुसार भारत में अब तक पहचाने गये 113 तंत्रों के संकेत मिले हैं। निम्न व माध्यम पूण उष्मा तरलों की भूतापीय ऊर्जा के माध्यम से लगभग 10000 मेगावाट बिजली उत्पादन संभव हैं। विश्व भर में भूतापीय ऊर्जा के दोहन के लिये साधारणत: 3 से.मी. गहराई तक बेधान छिद्र निर्माण कार्य कर जांच परख कर की जाती है। इसलिये भारत में भूतापीय ऊर्जा स्त्रोतों का समुचित ज्ञान व पूरा लाभ उठाने के लियें 3 कि.मी. गहराई तक बेधान छिदगो का निर्माण कर विशिष्ट जांच करनी होगी। भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग जानते हुये भी संसाधानों की कमी के कारण ऐंसा नहीं कर पाया है। विशेषत: उसके पास इतनी गहराई तक कह क्षमता वाली बेधान मशीनों का नप होना है। वास्तव में ऐंसी मशीनों का निर्माण भारत में होता ही नहीं है, अत: इन्हे आयात करना होंगा, ताकि हम अपने ऊर्जा रूत्रोतों का लाभ उठा सकें।


अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को भी इस स्त्रोत के दोहन के लिये आमंत्रित किया जाना चाहिये। इस प्रकार की परियोजनाओं को कार्यरूप देने के लिये यूनाइटेड नेशन्स के ग्रीन फंड से आर्थिक सहायता भी प्राप्त की जा सकती है, क्योंकि यह नवीनीकृत होने के अलावा पर्यावरण संगत है और दुर्गम स्थानों पर भी इसे स्वतंत्र रूप में स्थापित कर लाभ उठाया जा सकता है।

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Comments suraj kumar on 08-10-2023

bhu tapiya urja kya hai

Abha keshri on 05-03-2023

Bhu tapiya urja kya hai or iske upyug

Kamini on 01-03-2023

Example if bhutapiya energy

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Ananya yadav on 07-12-2022

Jeevasham indhan ki kya haniya hoti hain

Savitri sati Savitri sati on 22-10-2022

What is solar

Gautam Verma on 19-03-2021

Geothermal pover panlt kya hai


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