एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम irdp पीडीएफ
भारत सरकार ने देश के समग्र विकास के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं का शुभारंभ किया। कुछ इस प्रकार हैं जैसे अंत्योदय अन्न योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आवास मिशन (पूर्व में इंदिरा आवास योजना), भारत निर्माण, आदि हैं, इन सभी योजनाओं को गरीबी कम करने तथा रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिए शुरू किया गया जिससे इस प्रतियोगी दुनिया में अर्थव्यवस्था तेज़ी से विकसित हो सके |
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा किये गए एक सामान्य सर्वेक्षण के अनुसार, हमारे देश के कुल रोजगार का 58% ग्रामीण क्षेत्र में मौजूद हैं और शहरी क्षेत्र में केवल 38%। रंगराजन पेनल के आकलन के अनुसार गरीबी रेखा से नीचे की संख्या 2009-10 में 29.8% से 2011-12 में आबादी के 21.9% के स्तर पर आ गई | 2011-12 में सुरेश तेंदुलकर समिति की सिफारिशों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन 27 रुपया खर्च करने वाले और शहरी क्षेत्रों में 33 रुपया प्रतिदिन खर्च करने वाले को गरीबी रेखा के ऊपर माना गया है और इस आधार पर देश में गरीबी का स्तर कुल जनसंख्या का 21.9% रह गया है
भारत सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं नीचे दी गई हैं:
वाल्मीकि अम्बेडकर आवास योजना (VAMBAY): दिसंबर 2001 में शुरू की गई वाल्मीकि अम्बेडकर आवास योजना झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के लिए निर्माण तथा आवास इकाइयों के उन्नयन की सुविधा प्रदान करता है और निर्मल भारत अभियान योजना के एक घटक के तहत सामुदायिक शौचालयों के माध्यम से एक स्वस्थ और सक्रिय शहरी वातावरण प्रदान करता है। केन्द्र सरकार 50 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान करती है, शेष 50 प्रतिशत की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की जाती है |
स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (SJSRY): शहरी स्वरोजगार योजना और शहरी मजदूरी रोजगार योजना, SJSRY के दो विशेष घटक हैं, जिसे दिसंबर 1997 में, शहरी गरीबी उन्मूलन के लिए विभिन्न मौजूदा योजनाओं के विकल्प के तौर पर लागू किया गया | SJSRY को केंद्र और राज्यों के बीच 75:25 के आधार पर वित्त प्रदान किया जाता है।
अंत्योदय अन्न योजना (AAY): दिसम्बर 2000 में शुरू की गई अंत्योदय अन्न योजना में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत गरीब परिवारों को अत्यधिक रियायती दरों पर चावल के लिए 3.00 रूपए प्रति किलो तथा गेहूं के लिए 2.00 रूपए प्रति किलो की दर से खाद्यान्न प्रदान करना है। इस मुद्दे के पैमाने पर, जो शुरू में 25 किलो प्रति माह प्रति परिवार था, को 1 अप्रैल 2002 से 35 किलो प्रति परिवार प्रति माह तक बढ़ा दिया गया | एक करोड़ परिवार के लिए शुरू की गई इस योजना का जून 2003 में और 50 लाख बीपीएल परिवारों को जोड़कर विस्तार किया गया |
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY): 100 प्रतिशत केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में, दिसम्बर 2000 में शुरू की गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, का उद्देश्य दसवीं योजना की अवधि के अंत तक ग्रामीण क्षेत्रों में 500 या अधिक व्यक्तियों की आबादी के साथ असंबद्ध बस्तियों को सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करना है| इस योजना के लिए फण्ड की व्यवस्था मुख्य रूप से केन्द्रीय सड़क निधि में डीजल उपकर को लगाकर प्राप्त किया जाता है।
प्रधानमंत्री रोजगार योजना (PMRY):
प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत लोन दिए जाने की इस योजना का उद्देश्य युवाओं को रोजगारोन्मुख बनाना है। इस योजना से युवाओं को मोटी ब्याज दर से मुक्ति ओर बैंकों की मार्फत सस्ते ब्याज दर पर लोन अथवा ऋण उपलब्ध करवाना है। इस एक उद्देश्य यह भी है कि युवा नौकरीयों पर निर्भर न रह कर स्वरोजगार के लिए कार्य करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रोजगार योजना के क्रियान्वन के लिए 2015 में स्टार्टअप कंपनीयों को सरकारी सहायता दी और अब अनेक शिक्षित बेरोजगार तकनीकी कार्य कर इस स्वावलंबी बनें है।
रोजगार योजना का लाभ किसे?
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत तकनीकी ज्ञान अर्जित कर प्रमाण पत्र प्राप्त कर चुके उम्मीदवार प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत रोजगार चलाने के लिए लोन के लिए आवेदन कर सकतें है। इस योजना का लाभ 18 से 35 साल के उम्मीदवारों को लोन दिया जाता है। आवेदकों की वार्षिक आय 40000 रूपये से कम हो तथा मैट्रिक पास हो।
प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (PMGY): वर्ष 2000-01 में शुरू की गई PMGY राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को चयनित बुनियादी सेवायें जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण आवास, ग्रामीण पेयजल, पोषण और ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता (ACA) आवंटित करने की परिकल्पना करता है |
इंदिरा आवास योजना (IAY):
वर्ष 1999-2000 से परिचालित इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति, मुक्त कराए गए बंधुआ मजदूरों और गैर-अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति श्रेणियों को आवास के निर्माण एवं मौजूदा बेकार कच्चे मकानों के उन्नयन के लिए पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता प्रदान की जाती है। मोदी सरकार ने इस योजना के लिए आवंटन की राशी 75000 से बढाकर 125000 कर दी है | इस योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री आवास योजना कर दिया गया है |
संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (SGRY):
संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई) 25 सितंबर, 2001 को प्रारंभ की गई। यह कार्यक्रम पहले से जारी रोजगार आश्वासन योजना और जवाहर ग्राम समृद्धि योजना को मिलाकर बनाया गया था। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ दिहाड़ी रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए स्थायी सामुदायिक परिसंपत्तियों का निर्माण करना है। कार्यक्रम का लक्ष्य समाज के कमजोर वर्गों, विशेषकर महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और जोखिमपूर्ण व्यवसायों से हटाए गए बच्चों के अभिभावकों पर विशेष ध्यान देना है। हालांकि इस योजना के तहत रोजगार देने में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों को वरीयता दी जाती है लेकिन गरीबी की रेखा से ऊपर के लोगों को भी रोजगार मुहैया कराया जा सकता है, जहां एनआरईजीए प्रारंभ हो चुका है।
इस योजना का स्वीकृत वार्षिक परिव्यय 10,000 करोड़ रुपए है, जिसमें 50 लाख टन अनाज शामिल है। योजना में खर्च की जाने वाली धनराशि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 75:25 के अनुपात में वहन की जाती है। इस योजना के अधीन काम में लगे मजदूरों को दिहाड़ी के रूप में न्यूनतम 5 किलोग्राम अनाज और कम से कम 25 प्रतिशत मजदूरी नकद दी जाती है।
स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY): अप्रैल 1999 में आरम्भ किया गया SGSY का मुख्य मकसद बैंक में किये गए जमा धन राशि तथा सरकार की सब्सिडी के मिश्रण के माध्यम से गरीबी रेखा से ऊपर वाले सहायता प्राप्त गरीब परिवारों को स्वयं सहायता समूह (SHGs) द्वारा संगठित कर आगे लाना है |
जवाहर रोजगार योजना (JRY): JRY को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (NREP) और ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी योजना (RLEGP) के विलय के द्वारा 1 अप्रैल 1989 को केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण आर्थिक बुनियादी ढांचे, ग्रामीण गरीबों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से सामुदायिक तथा सामाजिक परिसंपत्तियों के सृजन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगार तथा अर्धबेरोज़गार लोगों के लिए अतिरिक्त लाभकारी रोज़गार उत्त्पन्न करना था |
एकीकृत ग्रामीण विकास योजना : एकीकृत ग्रामीण विकास योजना (IRDP) देश के सभी ब्लॉकों में 1980-81 में शुरू की गई थी और फिर 1 अप्रैल, 1999 तक एक प्रमुख स्व-रोजगार योजना के रूप में जारी रही | इसे स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार के रूप में पुनर्गठित किया गया था जो ग्रामीण गरीबों के स्व-रोज़गार के लिए बनी थी |इसके उद्देश्य को उत्पादक परिसंपत्तियों या उचित कौशल के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है जो निरंतर आधार पर एक अतिरिक्त आय उत्पन्न कर गरीबी रेखा को पार करने के लिए उन्हें सक्षम बनाती है |
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना:
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) या ग्रामीण विद्युत मूलसंरचना एवं गृह विद्युतीकरण योजना की शुरुआत 2005 में की गई थी जिसका उद्देश्य सभी ग्रामीण आवासों को बिजली उपलब्ध कराना है। योजना के लिए 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार द्वारा एवं 10 प्रतिशत राशि ग्रामीण विद्युतीकरण निगम द्वारा दी गई है। यह योजना गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले सभी ग्रामीण परिवारों के लिए है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना:
इस योजना के अंतर्गत एक वर्ष में 05 व्यक्तियों तक के परिवार को 30 रुपए में 30 हजार तक की सीमा में चिकित्सा लाभ, अस्पताल में भर्ती होने पर दिया जाता है। केन्द्र सरकार द्वारा यही योजना वर्ष 2008 में गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के श्रमिकों के लिए प्रारम्भ की गई थी जिसे वर्ष 2011-12 में नरेगा श्रमिक (वर्ष में 15 दिन कार्य करने वाले), निर्माण श्रमिक वर्ष 2011-12 तक 455 पंजीकृत थे तथा वर्तमान में आज दिनांक तक जिले में उक्त पंजीकृत श्रमिक 1117 है। जिनमें से वर्ष 2011-12 में 144 श्रमिकों के कार्ड तैयार हुए हैं। योजना के लिए आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग में जिला स्तरीय प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
आईआरडीपी योजना का मुख्य उद्देश्य क्या था एवं उसकी पात्रता संबंधी क्या नियम से अगर किसी व्यक्ति ने अपने आपको 5 एकड़ से कम होने का कष्ट होता काश्तकार बता कर रख दिया है तो क्या उस पर मिल सकता था या 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले व्यक्ति को ब्लड मिल सकता था मां पंप के लिए सही बताने का कष्ट करें
एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम का अर्थ क्या है?
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