ग्रामीण विकास (Rural development) क्या है : ग्रामीण विकास शब्द (rural development definition) का मतलब है गाँव के लोगों का आर्थिक सुधार और बड़ा समाजिक बदलाव लाना। और ये सब गाँव की पंचायत के मुखिया सरपंच के पास होते है।
आपको बता दे की ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में लोगों का बढ़ी हुई भागीदारी, योजनाओं का विकेन्द्रीकरण, भूमि सुधारों को बेहतर तरीके से लागू करना और ऋण की आसान उपलब्धि करवाकर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का लक्ष्य होता है।
भारत में ग्रामीण विकास (Rural development in india) :
हमारे देश के विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का उद्देश्य गरीबी दूर करना है। इसके लिए कोष को अधिक से अधिक बढ़ाना ही पर्याप्त नहीं है। बेहतर परिणामों के लिए बुनियादी स्तर पर कुछ परिवर्तन लाना आवश्यक है। इस पूरी प्रक्रिया में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है उन लोगों की पहचान करना जिन्हें इन कार्यक्रमों से लाभ पहुँचाया जाना है।
जैसा की हम सब जानते है भारत एक ग्राम-प्रधान देश है और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के बिना राष्ट्रीय विकास सम्भव नहीं है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पूर्व भी हमारे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक नेताओं की यही मान्यता थी।
वास्तव में स्वतन्त्रता संग्राम का एक आधार यह भी था कि ब्रिटिश राज के दौरान ग्रामीण भारत की अनदेखी की जा रही थी। महात्मा गाँधी ने तो ‘ग्राम-स्वराज’ को ही स्वतन्त्र भारत के आर्थिक विकास के केन्द्र-बिन्दु के रूप में देखा।
ऐसा नहीं है कि विकास कार्यक्रमों में कोई प्रगति नहीं हुई है लेकिन उनकी गति और उपलब्धियाँ वाँछित स्तर की नहीं है। ग्रामीण विकास को हमेशा कृषि विकास के साथ जोड़ा गया और यह मान लिया गया कि कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि आ जाएगी।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के एक दशक बाद वैचारिक परिवर्तन हुआ। ‘अधिक अन्न उपजाओ’ जाँच समिति ने केवल कृषि या कृषि से जुड़ी अन्य गतिविधियों जैसे पशुपालन आदि को ही नहीं अपितु इसके साथ-साथ ग्रामीणों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक-आर्थिक जरूरतों के समन्वित कार्यक्रम को भी बढ़ावा दिया।
ग्रामीण विकास योजनाओं में बैंकों की भूमिका :
ग्रामीण क्षत्रों के विकास के लिए NABARD एक ऐसा बैंक है जो प्राथमिक तौर पर देश के ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान देता है। NABARD यानि National Bank for Agriculture and Rural Development की स्थापना 12 जुलाई 1982 को हुई थी। इसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है। यह एक शीर्ष संस्था है जिसके पास ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए ऋण देने के साथ साथ नीति से संबंधित सभी मामलों से निपटने की योजना बना करने की शक्ति है, जो एक शीर्ष संस्था है।
नाबार्ड छोटे उद्योगों, कुटीर उद्योगों और इस तरह के किसी भी अन्य गांव या ग्रामीण परियोजनाओं के विकास के लिए जिम्मेदार है। इस प्रकार हम समझ सकते है की NABARD ग्रामीण आबादी को ऐसे अवसर प्रदान करके धन के विकास में मदद करता है।
ग्रामीण विकास की आवश्यकता :
भारत आज भी अनेक समस्याओं से जूझ रहा है देश की एक तिहाई से अधिक आबादी गरीबी रेखा
(rural development administration) के नीचे जीवन यापन करती है। वर्तमान मे देश में करोड शिक्षित बेरोजगार है। योजना गत विकास में राष्ट्रीय आय तो बड़ी है लेकिन इस वृद्धि का लाभ लोगों को समान रूप से प्राप्त नहीं हुआ है। इसलिए नई आर्थिक नीतियों पर अमल के बाद उन वस्तुओं का ही उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है जो धनी लोगों के काम आती है।
दरअसल हमारी अर्थव्यवस्था ऐसी है जो मूलतः कृषि पर ही निर्भर है। इसलिए यह कहना अनुचित नहीं होगा कि निरंतर ग्रामीण विकास के बिना हमारा राष्ट्रीय विकास अधूरा एवं निरर्थक ही साबित होगा। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि ग्रामीण उत्थान राष्ट्र के जीवन का मूल आधार है।
ग्रामीण विकास कार्यक्रम (rural development project) :
यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको ग्रामीण विकास कार्यक्रमों
(rural development projects list) से अवगत कराने वाले है, जिन्हें हमारे देशभर में ग्रामीण लोगों के हित के लिए चलाया जा रहा है...
रोज़गार देने के लिए महात्मा गाँधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (मनरेगा) स्व रोज़गार और कौशल विकास के लिए नेशनल रूरल लाइवलीहूडस मिशन (एनआरएलएम) गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों को आवास देने के लिए इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) अच्छी सड़कें बनाने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) सामाजिक पेंशन के लिए नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम (एनएसएपी) आदर्श ग्रामों के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई)