प्रौढ़ शिक्षा के गुण
अमेरिका में बालक, किशोर और युवक विद्यार्थियों की अपेक्षा उन विद्यार्थियों की संख्या कहीं अधिक है, जो गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर चुके हैं, कई−कई बच्चों के माँ−बाप हैं और जिन्हें आजीविका उपार्जन में व्यस्त रहना पड़ता है; फिर भी वे नियमित रूप से क्रमबद्ध शिक्षा प्राप्त करने में संलग्न हैं।
इन प्रौढ़ शिक्षार्थियों की संख्या इन दिनों 3 करोड़ है अर्थात् उस देश के प्रत्येक चार व्यक्ति यों में से एक प्रौढ़ शिक्षा प्राप्त कर रहा है। यह प्रौढ़ शिक्षा भारत जैसी नहीं है, जिसे निरक्षरों को साक्षर बनाने के रूप में जाना जाता है। यह लोग हाई स्कूल या कालेज की सामान्य कक्षाएं तो अपने विद्यार्थी काल में ही पूरा कर चुके होते हैं। प्रौढ़ावस्था में तो वे अपनी रुचि के विषयों की उच्च शिक्षा प्राप्त करने में संलग्न रहते हैं, यह पढ़ाई यों आजीविका उपार्जन में सहायक होती है, पर उसका लक्ष्य प्रथम रूप में ज्ञान पिपासा को भी उस देश में भूख प्यास, निद्रा, विनोद जैसी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में ही गिना जाता है और उसकी पूर्ति के लिए प्रत्येक व्यक्ति प्रायः आजीवन प्रयत्नशील रहता है। यह एक शौक है—जिसमें विनोद और ज्ञान वृद्धि का दुहरा लाभ मिलता है। कुछ वर्ष पूर्व प्रौढ़ शिक्षार्थी ढाई करोड़ थे, पर अब वे 3 करोड़ हो गये हैं और आगे वह संख्या और भी अधिक बढ़ने की बात को ध्यान में रखते हुए शिक्षण संस्थाओं के विकास की योजना बनाई जा रही है, अकेले लौस एजेल्स नगर में प्रौढ़ वर्ग की रात्रि पाठशालाओं की उपस्थिति, सामान्य विद्यालयों के छात्रों की तुलना में ड्यौढ़ी थी।
शिकागो विश्व विद्यालय के निर्देशक यूजोन वैल्डन ने अपने एक प्रतिवेदन में कहा है—अमेरिकी नागरिक यह अनुभव करते हैं कि शिक्षण प्रक्रिया आजीवन चालू रहने योग्य एक प्रक्रिया है। यह कला, वाणिज्य और विज्ञान के क्षेत्र में तो इसलिए भी आवश्यक है कि नये अनुसंधानों के कारण पुराने तथ्य पिछड़ जाते हैं और नवीन शोधों से लाभ उठाने के लिए नये निष्कर्ष आवश्यक होते हैं। खेल, नृत्य, पर्यटन, संगीत, सामान्य ज्ञान के सम्बन्ध में भी सर्व साधारण को गहरी रुचि है। स्त्रियाँ दाम्पत्य जीवन के हास−विलास, वेश विन्यास, शिशु पालन, आदि विषयों के ऊंचे, अधिक ऊँचे कोर्स पूरे करती रहती हैं।
न्यू आलिर्यन्स (लुईजियैना) के अवकाश प्राप्त नाविक 81 वर्षीय लोकस टकरे ने दर्शन शास्त्र की आरम्भिक कक्षा में अपना नाम लिखाया है और अब वे छटी कक्षा में पढ़ रहे हैं। इस प्रकार के कदम उठाना भारत में आश्चर्य जनक माना जाता है क्योंकि यहाँ बड़ी उम्र में स्कूली शिक्षा प्राप्त करने का प्रचलन नहीं है, पर अमेरिका में ऐसी बात नहीं है। वहाँ यह एक बिलकुल सामान्य बात है। छोटी उम्र के लड़के भी खेल−कूद पसन्द करते हैं और बड़ी उम्र वालों को भी इसमें रुचि रखने पर कोई रोक नहीं है। ठीक उसी प्रकार क्या बड़ी उम्र क्या छोटी उम्र इसमें नियमित रूप से विद्या पढ़ने में कोई अन्तर नहीं आता।
अमेरिका में प्रौढ़ शिक्षा नाम नहीं दिया गया है वरन् उसके लिए ‘निरन्तर चालू रहने वाली शिक्षा’ कहकर पुकारा जाता है। सरकारी योजनाओं में उसका उल्लेख इसी नाम से रहता है। शिक्षा विभाग का यह एक बहुत बड़ा कार्य है। कम से कम 300 कालेजों और विश्व विद्यालयों में प्रौढ़ शिक्षा की व्यवस्था है। इसके अंतर्गत छोटे−बड़े अनेक पाठ्य क्रम निर्धारित है। सेन्ट लुई विश्व विद्यालय द्वारा 80 पाठ्य क्रम चलाये जाते हैं, जिनमें एक ‘आज की दुनिया में मनुष्य और ईश्वर का ताल मेल’ जैसा विषय भी सम्मिलित है। वाशिंगटन विश्व विद्यालय, सेन्ट लुई—मिसूरी में उन लोगों की शिक्षा व्यवस्था भी है जो रोज कुआँ खोदते, रोज पानी पीते हैं। जिनकी आजीविका निश्चित नहीं अथवा क्रम है। वे अपनी प्रौढ़ शिक्षा के साथ−साथ मजदूरी भी प्राप्त कर लेते हैं और शिक्षा काल को स्वावलम्बी बन कर पूरा कर लेते हैं। फ्लोरिडा विश्व विद्यालय ने ऐसे पाठ्यक्रम अधिक अपनाये हैं जिनके सहारे मनुष्य अधिक विनोदी बन सके और हँतता−हँसाता रह सके। इनमें एक जादूगरी, संगीत, नृत्य, अभिनय, एवं विदूषक के पाठ्यक्रम भी सम्मिलित हैं।
कैलोग, मिशिगन, जोर्जिया, ओक्ला, हीमा, नेब्रास्का, न्यू हैम्पशर, इलिनीया, इण्डियाना विश्व विद्यालयों ने प्रौढ़ शिक्षा प्राप्त करने के लिए दूर−दूर से आने वालों के लिए छात्रावास भी बनाये हैं। इस कार्यक्रम के अंतर्गत जनता की बढ़ती हुई माँग पूरा करने के प्रति प्रायः प्रति वर्ष नये कम्यूनिटी कालेजों की स्थापना होते चलने का सिलसिला बँध गया है। सम्भवतः यह संख्या अगले दिनों और भी तेज करनी पड़ेगी।
वाल्टीमूर, मेरीलेण्ड के कम्यूनिटी कालेज ने अधिक आयु के लोगों को अधिक प्रोत्साहन देने की दृष्टि से यह नियम बनाया है कि 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को प्राथमिकता दी जायगी और उन्हें शिक्षा शुल्क न देना पड़ेगा। कुछ ऐसे भी स्कूल हैं जो केवल छुट्टियों के दिनों में ही खुलते हैं ताकि अधिक व्यस्त रहने वाले लोग उन्हीं सुविधा के दिनों में कुछ न कुछ सीख सकें। सरकार और व्यापारिक संस्थानों द्वारा यह परामर्श दिया जाता रहता है कि किस उद्योग में मन्दी आने से श्रमिकों की छटनी करनी पड़ेगी और किस धन्धे का विकास होने से उनमें नई भर्ती की जरूरत पड़ेगी। शिक्षित उद्योगों के श्रमिक समय से पूर्व शिक्षा प्राप्त करके नये उद्योगों के लिए उपयुक्त बन सकें और उनका स्थानान्तरण करके ही सुविधाजनक पग उठा लिये जायं इसके लिए उन क्षेत्रों में नये−नये पाठ्यक्रम चालू कर दिये जाते हैं। इससे छटनी और भर्ती का सहज संतुलन बन जाता है और किसी प्रकार की उखाड़−पखाड़ नहीं करनी पड़ती।
महत्वपूर्ण कार्यों में संलग्न लोगों को नवीनतम ज्ञान से लाभान्वित करने के लिए कुछ पाठ्यक्रम यथा क्रम चलाये जाते हैं। जैसे अमेरिकन ला इंस्टीट्यूट ने वकीलों को कानूनी दावपेचों सम्बन्धी उच्च न्यायालयों द्वारा दी गई टिप्पणियों और राज्य सरकारों द्वारा किये गये परिवर्तनों का सम्पूर्ण विवरण जल्दी से जल्दी पहुँचा दिया जाता है और किसी वकील को उसकी तलाश के लिए अलग से माथापच्ची नहीं करनी पड़ती। इसी प्रकार उस देश की मेडिकल एसोसिएशन ने अपने 1,40,000 सदस्यों को नवीन तथ्य शोध निष्कर्षों से अवगत करते रहने के लिए 67 क्षेत्रीय केन्द्र संस्थानों की स्थापना की है। कुछ विद्यालयों ने अपने पाठ्यक्रमों की फिल्में बना ली हैं और वे शिक्षार्थियों की बस्तियों में ले जाकर उन्हें दिखाते हैं ताकि छात्रों को विद्यालयों तक आने−जाने में समय और पैसा खर्च न करना पड़े।
सरकारी शिक्षा तंत्र, लोक सेवी संस्थाएं तथा व्यापारिक आधार पर चलाये गये प्रतिष्ठान, इन तीनों के सम्मिलित प्रयासों में ऐसा तालमेल रहता है कि हर क्षेत्र और हर वर्ग की आवश्यकता पूरी होती रहे और उनमें अनावश्यक प्रतिद्वंद्विता पैदा न होने पाये। 70 वर्षीय स्लिम ब्रण्डेज ने प्रौढ़ शिक्षा को अर्थ उपार्जन का माध्यम बनाया है और वे उसमें पूरी तरह सफल हुए हैं, इनके पाँच दर्जन पाठ्यक्रमों में वक्तृत्व कला से लेकर यौन शिक्षा तक की लोक रुचि की जानकारियाँ सम्मिलित हैं।
अपने निरक्षर, निर्धन और छोटी देहात में बिखरे हुए देश को यदि साक्षर और शिक्षित बनाना हो तो बालक विद्यालयों को ही पर्याप्त न मानकर इसी प्रकार से प्रौढ़ शिक्षा आन्दोलन के लिए नये साहस और उत्साह के साथ कटिबद्ध होना होगा। इसके लिए कहा तो सरकार से भी जाना चाहिए पर, जिनका सरकारी स्तर पर हो सके उनके अतिरिक्त हो, जनता स्तर पर भी इसे आरम्भ किया जा सकता है और लोक समर्थन जगाकर उसे बहुत हद तक सफल बनाया जा सकता है।
आप यहाँ पर gk, question answers, general knowledge, सामान्य ज्ञान, questions in hindi, notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं।
नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें
Culture
Current affairs
International Relations
Security and Defence
Social Issues
English Antonyms
English Language
English Related Words
English Vocabulary
Ethics and Values
Geography
Geography - india
Geography -physical
Geography-world
River
Gk
GK in Hindi (Samanya Gyan)
Hindi language
History
History - ancient
History - medieval
History - modern
History-world
Age
Aptitude- Ratio
Aptitude-hindi
Aptitude-Number System
Aptitude-speed and distance
Aptitude-Time and works
Area
Art and Culture
Average
Decimal
Geometry
Interest
L.C.M.and H.C.F
Mixture
Number systems
Partnership
Percentage
Pipe and Tanki
Profit and loss
Ratio
Series
Simplification
Time and distance
Train
Trigonometry
Volume
Work and time
Biology
Chemistry
Science
Science and Technology
Chattishgarh
Delhi
Gujarat
Haryana
Jharkhand
Jharkhand GK
Madhya Pradesh
Maharashtra
Rajasthan
States
Uttar Pradesh
Uttarakhand
Bihar
Computer Knowledge
Economy
Indian culture
Physics
Polity
इस टॉपिक पर कोई भी जवाब प्राप्त नहीं हुए हैं क्योंकि यह हाल ही में जोड़ा गया है। आप इस पर कमेन्ट कर चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं।