अंतरराष्ट्रीय संगठन का अर्थ
एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन एक ऐसा संगठन होता है जिसकी एक अंतर्राष्ट्रीय सदस्यता, एक क्षेत्र (Scope) एवं एक उपस्थिति होती है। अंतर्राष्ट्रीय संगठन मूलतः दो प्रकार के होते हैं-
अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन (INGOs) ऐसे संगठन होते हैं जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गैर सरकारी संगठनों के रूप में कार्यरत् होते हैं। ऐसे संगठन या तो अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन होते हैं। जैसे- अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति, स्काउट मूवमेंट का विश्व संगठन, इंटरनेशनल कमिटी ऑफ द रेड क्रास और मेडिसिन्स सैन्स फ्रंटियर्स। या फिर ये अंतर्राष्ट्रीय निगमों (जिन्हें बहुराष्ट्रीय निगमों के रूप में स्पष्ट किया जाता है) जैसे- कोका-कोला कंपनी, सोनी, निनटेन्डो, मैकडोनाल्ड्स और टोयोटा आदि के रूप में कार्यरत् होते हैं।
अंर्तसरकारी संगठन (Intergovernmental Organizations) जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय सरकारी संगठन (IGOs) के रूप में भी जाना जाता है, इस प्रकार के संगठन होते है जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय संगठन शब्दावली के साथ संबंधित माना जाता है। ये ऐसे संगठन होते हैं जो मुख्यतया संप्रभु राज्यों (सदस्य राज्यों के रूप में निरूपित) से मिलकर बने होते हैं। इसके प्रमुख उदाहरण है, संयुक्त राष्ट्र संघ, ऑर्गनाइजेशन फार सिक्योरिटी एण्ड को-आपरेशन इन यूरोप, काउन्सिल ऑफ यूरोप, यूरोपियन यूनियन, यूरोपियन पेटेन्ट आरगनाइजेशन और विश्व व्यापार संगठन। ध्यातव्य है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतर्राष्ट्रीय संगठन के बजाय अंर्तसरकारी संगठन शब्द प्रयुक्त किया है।
इसके अतिरिक्त, ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी नेटवर्कस अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की तीसरी श्रेणी के रूप में देखी जा सकती है। इनके कई स्वरूप हैं और ये राज्य और गैर-राज्य अभिकर्ताओं से मिलकर बनते हैं। ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी नेटवर्कस में शामिल होने वाले गैर-राज्य अभिकर्ताओं में प्रमुख हैं- अंर्तसरकारी संगठन, राज्य, राज्य अभिकरण, क्षेत्रीय अथवा नगरपालकीय सरकारें (Municipal Governments) जो गैर सरकारी संगठनों के साथ सहभागिता रखते हैं और निजी कंपनिया आदि।
अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन
विश्व बैंक गैर-सरकारी संगठन को एक ऐसे निजी संगठन के रूप में परिभाषित करता है जो समस्याओं के समाधान (to relieve suffering), निर्धनों के हितों का संवर्धन, पर्यावरण के संरक्षण, बुनियादी सामाजिक सेवाओं को उपलब्ध कराने और समुदाय विकास (Community Development) की जिम्मेदारी लेता है। एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन का भी गैर-सरकारी संगठनों की ही भाँति मिशन होता है लेकिन अंतर सिर्फ इतना है कि यह अपने आकार, प्रकृति, उद्देश्य में अंतर्राष्ट्रीय होता है और कई देशों में विशिष्ट मुद्दों से जुड़ने के लिए तत्पर्य होता है।
गैर-सरकारी संगठन (NGO) और अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन (INGO) को अंर्तसरकारी संगठनों (IGOs) से भिन्न रूप में देखा जा सकता है। अंर्तसरकारी संगठन को कुछ समूहों जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के रूप में वर्णित किया जाता है। एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन को किसी निजी परोपकारी संगठन (Private Philanthrophy) जैसे कारनेगी, राकफेलर, गेट्स एण्ड फोर्ड फाउंडेशन अथवा कुछ दृष्टियों से कैथोलिक या लूथेरियन चर्चों के द्वारा स्थापित किया जा सकता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों की स्थापना को प्रोत्साहन मिला जो कालांतर में काफी वृहद आई.एन.जी.ओ. के रूप में विकसित हुए जैसे- आक्सफैम, कैथोलिक रिलीफ सर्विसेज, केयर इंटरनेशनल और लूथेरियन वर्ल्ड रिलीफ आदि।
अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों को उनके प्राथमिक उद्देश्यों के आधार पर परिभाषित किया जा सकता है। कुछ अंतर्राष्ट्रीय गैर- सरकारी संगठन समुदाय आधारित संगठनों को विभिन्न परियोजनाओं और आपरेशन के द्वारा विभिन्न देशों में द्रुत गति से विकसित करने का प्रयास करते हैं, जबकि कुछ अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों का प्राथमिक उद्देश्य विभिन्न देशों में कुछ निश्चित मुद्दों पर सरकारों एवं जनता को जागरूक करने हेतु नीति-निर्माण को प्रभावित करने में अग्रसर होते हैं।
यूनाइटेड नेशन्स डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंफारमेशन से संबद्ध होने के लिए किसी अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन को निम्नांकित मापदंडों पर खरा उतरना आवश्यक है-
उस गैर-सरकारी संगठन को संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर का समर्थन और उसके सिद्धांतों में सम्मान प्रकट करने वाला होना चाहिए।
राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों (National or International Standing) के रूप में पहचान प्राप्त होना चाहिए।
गैर लाभकारी आधार एवं कर-छूट स्थिति (Tax-exempt Status) के आधार पर प्रचालनीय होना चाहिए।
प्रभावशाली सूचना कार्यक्रमों का आयोजन कराने हेतु प्रतिबद्धता होनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र सूचना केन्द्रों के साथ सहबद्धता (Collaboration) का एक संतोषजनक अभिलेख होना चाहिए।
अमरीकी मुद्रा में एक वार्षिक वित्तीय वक्तव्य (Annual Financial Statement) का लेखा उपलब्ध कराना।
निर्णयों को लेने वाली एक पारदर्शी प्रक्रिया आफिसरों का चयन और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्यों के चयन की सुसम्बद्ध कार्यप्रणाली।
कुछ प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन हैं- कर्न्सन वर्ल्डवाइड, मर्सी कार्प्स, वर्ल्ड विजन इंटरनेशनल, डाक्टर्स विदाउट बार्डर्स, हेल्थ राइट इंटरनेशनल, चैरिटी वाटर, कंपैसन इंटरनेशनल, प्लान, इंटरनेशनल सेव द चिल्ड्रेन अलायन्स, एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज, एक्शन एंड, एमनेस्टी इंटरनेशनल, सरवाइवल इंटरनेशनल, आईयूसीएन, ग्रीनपीस आदि। अंतर्राष्ट्रीय संगठन ऐसी इकाईयाँ होती हैं जिनकी स्थापना उनके सदस्यों के बीच औपचारिक राजनीतिक सहमतियों के आधार पर होती है और इन राजनीतिक सहमतियों (Political Agreements) की प्रास्थिति अंतर्राष्ट्रीय संधियों की होती है। इनका अस्तित्व इनके सदस्य राष्ट्रों के द्वारा विधि द्वारा मान्यता प्राप्त होता है और ये देशों के निवासीय संस्थात्मक इकाइयों (Resident Institutional Units) के रूप में नहीं माने जाते, जिनमें वे अवस्थित होते हैं।
(International organization are entities established by formal political agreements between their members that have the status of international treaties; their existence is recognised by law in their member countries; they are not treated as resident institutional units of the countries in which they are located).
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को वैश्विक जनादेश (Global Mandates) प्राप्त होता है, इन्हें राष्ट्रीय सरकारों के द्वारा ही सामान्यतया अनुदान प्रदान किया जाता है। ऐसे संगठनों में प्रमुख हैं- इंटरनेशनल कमिटी ऑफ द रेड क्रॉस, इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन, द इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर स्टैंडरडाइजेशन आदि। स्पष्ट है कि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय विधि के अनुसार की जाती है। इसका तात्पर्य है कि सामान्यतया इनके क्रियाकलाप अंतर्राष्ट्रीय विधि के सामान्यतः मान्य सिद्धांतों तथा नियमों के अंतर्गत सीमित होते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की एक विशेषता यह है कि ये अंतर्राष्ट्रीय अधिकारों तथा कर्त्तव्यों (International Rights and Duties) को धारण करने में समर्थ होने के चलते अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व धारण करते हैं और कभी-कभी ये अपने व्यक्तित्व की घोषणा अपने संविधानों में करते हैं और कम से कम स्वायत्त कार्यवाही के लिए विधितः अपने सामर्थ्य की घोषणा निश्चयपूर्वक करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को अंतर्राष्ट्रीय विधि का विषय इसीलिए माना जाता है क्योंकि क्षतिपूर्ति के मामले में (In Reparation Case) यह स्पष्ट किया गया है कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन अपने सदस्यों के अधिकारों तथा कर्त्तव्यों से भिन्न अधिकार तथा कर्त्तव्य धारण करता है। अतः यह एक अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व धारण कर लेता है।
ध्यातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय संगठन कुछ विशेष उद्देश्यों के लिए स्थापित किये जाते हैं जो उनके संघटक दस्तावेजों में वर्णित किये जाते हैं। सशस्त्र संघर्ष में राज्य द्वारा परमाणु शस्त्रों के प्रयोग की वैधता से संबंधित मामले में भी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने अपनी परामर्शकारी राय में इंगित किया है कि अंतर्राष्ट्रीय संगठन अंतर्राष्ट्रीय विधि के विषय हैं, फिर भी वे राज्यों की तरह सामान्य क्षमता धारण नहीं करते। अंतर्राष्ट्रीय संगठन ‘विशेषता का सिद्धांत’ (Principle of Speciality) से शासित होते हैं, अर्थात उन्हें उन राज्यों द्वारा अधिकार प्रदान किये जाते हैं जो उन्हें सृजित करते हैं। इन अधिकारों का प्रयोग राज्यों के सामान्य हित में अभिवृद्धि के लिए किया जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय संगठन के उद्देश्य इसकी वैधता को स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण होते हैं। कोई भी संगठन बिना किसी उद्देश्य के नहीं हो सकता।
अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना राज्यों द्वारा संधि के माध्यम से की जाती है, जो अंतर्राष्ट्रीय संगठन का संघटक लिखत (Constituent Instrument) होता है। कभी-कभी संगठनों की स्थापना संधियों के आधार पर न हो कर अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अंगों के संकल्पों के आधार पर की जाती है। उदाहरण के लिए, संयुक्त राष्ट्र व्यापार तथा विकास सम्मेलन (UNCTAD) तथा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) संयुक्त राष्ट्र की संरचना के अधीन महासभा के संकल्पों द्वारा स्थापित किये गये हैं। ये इस अर्थ में अंतर्राष्ट्रीय संगठन की प्रकृति को धारण करते हैं क्योंकि ये अपना कार्य उसी तरह करते हैं। जैसे कि संकल्पों में वर्णित रहता हैSanyukt rashtra sangh ka sanghatan evam karyo ki samiksha kijie
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