गन्ने के लिए gibberellic एसिड
शुगर बाउल क्षेत्र के किसानों के लिए यह खबर अच्छी है। हारमोन के माध्यम से गन्ना का उत्पादन बढ़ाया जाएगा। इसके लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में शोध किया जा रहा है। शोध में जो परिणाम आए है, उससे उत्पादन में वृद्धि हुई है, इससे किसानों को काफी लाभ मिलेगा।
विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी कॉलेज के विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक डा आर एस सेंगर के निर्देशन में यह शोध कार्य किया गया है। उन्होंने बताया कि जिबरेलिक एसिड (वृद्धि हारमोन) है। इसके प्रयोग से देखा गया है कि गन्ने की बंपर फसल ली जा सकती है। गन्ने के टुकड़ों को रातभर इस एसिड में डुबोकर बोने से जल्दी और अधिक जमाव होता है। कल्लों की संख्या भी बढ़ जाती है। गन्ने में जिबरेलिक एसिड 35 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) का तीन बार अगस्त, सितंबर और अक्ूतबर में छिड़काव करने से गन्ने की भरपूर पैदावार होती है। डा. सेंगर ने बताया कि अधिक तापमान के कारण गन्ने की फसल का अंकुरण, जमाव, कल्लों की संख्या, गन्ने की लंबाई, गन्ने का भार और गन्नों की संख्या और प्रति हेक्टयर पैदावार भी घट जाती है।
आम तौर पर गन्ने की फसल को करीब आठ माह का समय मिलना चाहिए। इन महीनों में गन्ने को मई और जून के अधिक तापमान और नवंबर, दिसंबर और जनवरी के कम तापमान के प्रभाव से गुजरना पड़ता है। जिससे इसकी पैदावार और भी घट जाती है।
डॉक्टर सेंगर ने बताया कि जिबरेलिक एसिड ऐसा वृद्धि हारमोन है जिससे गन्ने की लंबाई, गन्ने की मोटाई, पत्तियों की लंबाई और चौड़ाई बढ़ जाती है। इसका असर गन्ने पर बहुत प्रभावी होता है। इसके प्रयोग से एक गन्ने का वजन 814 ग्राम हो जाता है। जबकि अन्य का वजन 542 ग्राम रह जाता है। साथ ही गन्ने की लंबाई 293 सेमी. हो जाती है, जबकि अन्य की केवल 180 सेमी. रह जाती है। गन्ने की मोटाई 2.5 सेमी तक पहुंच जाती है, जबकि अन्य में 1.4 सेमी. रह जाती है। इस एसिड का प्रभाव हर प्रजाति पर अलग-अलग होता है।
विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी कॉलेज के विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक डा आर एस सेंगर के निर्देशन में यह शोध कार्य किया गया है। उन्होंने बताया कि जिबरेलिक एसिड (वृद्धि हारमोन) है। इसके प्रयोग से देखा गया है कि गन्ने की बंपर फसल ली जा सकती है। गन्ने के टुकड़ों को रातभर इस एसिड में डुबोकर बोने से जल्दी और अधिक जमाव होता है। कल्लों की संख्या भी बढ़ जाती है। गन्ने में जिबरेलिक एसिड 35 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) का तीन बार अगस्त, सितंबर और अक्ूतबर में छिड़काव करने से गन्ने की भरपूर पैदावार होती है। डा. सेंगर ने बताया कि अधिक तापमान के कारण गन्ने की फसल का अंकुरण, जमाव, कल्लों की संख्या, गन्ने की लंबाई, गन्ने का भार और गन्नों की संख्या और प्रति हेक्टयर पैदावार भी घट जाती है।
आम तौर पर गन्ने की फसल को करीब आठ माह का समय मिलना चाहिए। इन महीनों में गन्ने को मई और जून के अधिक तापमान और नवंबर, दिसंबर और जनवरी के कम तापमान के प्रभाव से गुजरना पड़ता है। जिससे इसकी पैदावार और भी घट जाती है।
डॉक्टर सेंगर ने बताया कि जिबरेलिक एसिड ऐसा वृद्धि हारमोन है जिससे गन्ने की लंबाई, गन्ने की मोटाई, पत्तियों की लंबाई और चौड़ाई बढ़ जाती है। इसका असर गन्ने पर बहुत प्रभावी होता है। इसके प्रयोग से एक गन्ने का वजन 814 ग्राम हो जाता है। जबकि अन्य का वजन 542 ग्राम रह जाता है। साथ ही गन्ने की लंबाई 293 सेमी. हो जाती है, जबकि अन्य की केवल 180 सेमी. रह जाती है। गन्ने की मोटाई 2.5 सेमी तक पहुंच जाती है, जबकि अन्य में 1.4 सेमी. रह जाती है। इस एसिड का प्रभाव हर प्रजाति पर अलग-अलग होता है।
Jibrely acid ganno Mein Kab Dena chahie
Zibrelic acid ganne me kitni matra me lagana chahiye
Ganne mein kitni bar prayog kar sakte hain aur kitni Matra mein jubileric acid ko
Yah kis naam se market me milta hai
variety 13235
गन्ना क्यों सूख रहा है बताओ
गन्ना सूख रहा है कोई उपाय बताओ
Jibralic acid 1 ekad mai kitna lgana chahiye aur kab lgana chahiye
Gibberellic acid ke prayog se Prati hectare Kitna utpadan mil sakta hai
गन्ने मे जिब्रेलिक एसिड उपयोग मात्रा/ऐकड़
Jebril asid akar me kitani pandegi
Ganne me konsa acid paya jata h or kitni matra me
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