Geet Farosh Kavita Saransh गीत फरोश कविता सारांश

गीत फरोश कविता सारांश

Pradeep Chawla on 14-09-2018


जी हाँ हुजूर, मैं गीत बेचता हूँ,

मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूँ,

मैं किसिम-किसिम के गीत बेचता हूँ



जी, माल देखिए, दाम बताऊँगा,

बेकाम नहीं है, काम बताऊँगा,

कुछ गीत लिखे हैं मस्ती में मैंने,

कुछ गीत लिखे हैं पस्ती में मैंने,

यह गीत, सख्त सरदर्द भुलाएगा,

यह गीत पिया को पास बुलाएगा



जी, पहले कुछ दिन शर्म लगी मुझको

पर बाद-बाद में अक्ल जगी मुझको,

जी, लोगों ने तो बेच दिये ईमान,

जी, आप न हों सुन कर ज्यादा हैरान -

मैं सोच-समझकर आखिर

अपने गीत बेचता हूँ,

जी हाँ हुजूर, मैं गीत बेचता हूँ,

मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूँ,

मैं किसिम-किसिम के गीत बेचता हूँ



यह गीत सुबह का है, गाकर देखें,

यह गीत गजब का है, ढाकर देखे,

यह गीत जरा सूने में लिक्खा था,

यह गीत वहाँ पूने में लिक्खा था,

यह गीत पहाड़ी पर चढ़ जाता है,

यह गीत बढ़ाए से बढ़ जाता है



यह गीत भूख और प्यास भगाता है,

जी, यह मसान में भूख जगाता है,

यह गीत भुवाली की है हवा हुजूर,

यह गीत तपेदिक की है दवा हुजूर,

जी, और गीत भी हैं, दिखलाता हूँ,

जी, सुनना चाहें आप तो गाता हूँ



जी, छंद और बे-छंद पसंद करें,

जी, अमर गीत और ये जो तुरत मरें

ना, बुरा मानने की इसमें क्या बात,

मैं पास रखे हूँ कलम और दावात

इनमें से भाएँ नहीं, नए लिख दूँ,

मैं नए पुराने सभी तरह के

गीत बेचता हूँ,

जी हाँ, हुजूर, मैं गीत बेचता हूँ,

मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूँ,

मैं किसिम-किसिम के गीत बेचता हूँ



जी गीत जनम का लिखूँ, मरण का लिखूँ,

जी, गीत जीत का लिखूँ, शरण का लिखूँ,

यह गीत रेशमी है, यह खादी का,

यह गीत पित्त का है, यह बादी का

कुछ और डिजायन भी हैं, यह इल्मी,

यह लीजे चलती चीज नई, फिल्मी,

यह सोच-सोच कर मर जाने का गीत

यह दुकान से घर जाने का गीत

जी नहीं दिल्लगी की इस में क्या बात,

मैं लिखता ही तो रहता हूँ दिन-रात,

तो तरह-तरह के बन जाते हैं गीत,

जी रूठ-रुठ कर मन जाते है गीत,

जी बहुत ढेर लग गया हटाता हूँ,

गाहक की मर्जी, अच्छा, जाता हूँ,

मैं बिलकुल अंतिम और दिखाता हूँ,

या भीतर जा कर पूछ आइए, आप,

है गीत बेचना वैसे बिलकुल पाप

क्या करूँ मगर लाचार हार कर

गीत बेचता हूँ।

जी हाँ हुजूर, मैं गीत बेचता हूँ,

मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूँ,

मैं किसिम-किसिम के गीत बेचता हूँ

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Comments Swati on 11-09-2024

Geet kavita ka sarans

Phad sadhana chhabu on 20-05-2024

गीतफरोश कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए

Sagat maya on 18-11-2022

Geetfarosh Kavita ka saravansh

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nidhi on 26-03-2022

giit farosh kavita per aalochnaatmak nibandh

Rajesh kumar on 26-12-2021

गीत फरोश कविता सारांश ?


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