इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के प्रकार
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की डिजायन का प्रतिपादन नोल व रस्का, मार्टोन
तथा प्रेब्स व मिलर ने किया था । इसकी विच्छेदन क्षमता बहुत अधिक होती है ।
वर्तमान में इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की विच्छेदन क्षमता 3Å है ।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के निम्न भाग हैं:
(i) फिलामेंट या कैथोड (Filament or Cathode)- यह इलेक्ट्रॉन का मुख्य
स्रोत है । कैथोड से इलेक्ट्रॉन का संकरा पुंज उत्सर्जित होता है ।
(ii) कैथोड-रे-ट्यूब (Cathode Rays Tube)- इस नलिका के द्वारा इलेक्ट्रॉन गुजरकर कंडेन्सर लैंस तक पहुँचते हैं ।
(iii) केंडेन्सर लैंस (Condenser Lens)- यह लैंस मैग्नेटिक कोइल होती है, जो इलेक्ट्रॉन को ऑब्जेक्ट के तल में कंडेन्स करता है ।
(iv) ऑब्जेक्टिव लैंस (Objective Lens)- यह भी एक मैग्नेटिक कोइल होती
है, जो ऑब्जेक्ट की प्रथम आवर्धित इमेज को उत्पन्न करती है । यह इमेज इंटर
मिडीएट प्रकार की होती है ।
(v) प्रोजेक्टर लैंस (Projector Lens)- यह भी एक मैग्नेटिक कोइल होती है
। यह ऑब्जेक्टिव लैंस द्वारा उत्पन्न इमेज को आवर्धित करता है ।
(vi) फोटोग्राफिक प्लेट (Photographic Plate)- यह ऑब्जेक्ट की फाइनल
इमेज को प्राप्त करता है ऑब्जेक्ट को सदैव कंडेन्सर लैंस तथा ऑब्जेक्टिव
लैंस के मध्य रखा जाना है । इसके अलावा इलेक्ट्रॉन के पथ में निर्वात को भी
बनाये रखा जाता है क्योंकि इलेक्ट्रॉन का परिवहन केवल निर्वात में ही संभव
है ।
फिलामेंट या कैथोड के द्वारा इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है । कंडेन्सर
लैंस द्वारा इस इलेक्ट्रॉन पुंज को ऑब्जेक्ट पर आपतित किया जाता है । यह
इलेक्ट्रॉन ऑब्जेक्ट में उपस्थित अणुओं की परमाण्विक न्यूक्लियाई के साथ
टकराते हैं । अधिक अणुभार वाली एटोमिक न्यूक्लियाई इलेक्ट्रॉन बीम को
प्रकीर्णित (Scattered) करती है ।
जबकि कम अणुभार वाली एटोमिक न्यूक्लियाई इलेक्ट्रॉन बीम को प्रकीर्णित
नहीं करती है । इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप में इमेज का निर्माण इलेक्ट्रॉन के
प्रकीर्णन पर निर्भर करता है । अत: इमेज के निर्माण में उच्च परमाणु भार
वाली एटोमिक न्यूक्लियाई का अधिक योगदान होता है ।
जिन इलेक्ट्रॉन में प्रकीर्णन नहीं हो पाता है । वे ऑब्जेक्टिव तथा
प्रोजेक्टर लैंस द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा फोटोग्राफीक प्लेट
पर फोकस किये जाते हैं, जो इलेक्ट्रॉन ऑब्जेक्ट में एटोमिक न्यूक्लियाई
द्वारा प्रकीर्णित हो जाते हैं वे ऑब्जेक्टिव लैंस के छिद्र के बाहर
प्रवाहित होते हैं ।
ऑब्जेक्टिव लैंस द्वारा ऑब्जेक्ट की मध्यवर्ती इमेज का निर्माण होता है ।
प्रोजेक्टर लैंस इस इमेज को और आवर्धित कर देता है । फोटोग्राफिक प्लेट पर
ऑब्जेक्टिव की आवर्धित इमेज ऑब्जेक्ट की एटोमिक न्यूक्लियाई द्वार
प्रकीर्णित इलेक्ट्रॉन के करण होती है ।
फोटोग्राफिक प्लेट पर उत्पन्न इमेज का आवर्धन दो बातों पर निर्भर करता है:
किसी सूक्ष्मदर्शी का आवर्धन (Magnification) उसके अभिनेत्रक
(Eye-Piece) और अभिदृश्यक (Objective) लैंसों के आवर्धनों के गुणनफल के
बराबर होता है, अर्थात्-
सूक्ष्मदर्शी का आवर्धन = अभिनेत्रक का आवर्धन × अभिदृश्यक का आवर्धन
माना एक संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक का आवर्धन 10x है तथा
अभिनेत्रक का आवर्धन 5x है तो संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का सम्पूर्ण आवर्धन 10 ×
5 = 50x (50 गुना) होगा ।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी दो प्रकार के होते हैं:
1. ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (Transmission Electron Microscope, TEM),
2. स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (Scanning Electron Microscope, SEM) ।
टैम (TEM) और सैम (SEM) दोनों प्रकार के सूक्ष्मदर्शियों द्वारा बने प्रतिबिम्ब तथा उनकी कार्यविधि एक-दूसरे से पूर्णतः भिन्न है ।
1. ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की कार्यविधि (Working to Transmission Electron Microscope):
टैम सामान्यतः प्रयोग किया जाने वाला इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी है । इस
सूक्ष्मदर्शी में एक विद्युत क्षेत्र ऋण आवेशित इलेक्ट्रोड से इलेक्ट्रॉन्स
को धकेलता है । विद्युत चुम्बकों द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न किया
जाता है जो इलेक्ट्रॉन्स को अभिरंजित ऊतक पर केन्द्रित करता है ।
अनेक इलेक्ट्रॉन्स ऊतक को भेदते हुए सीधे निकल जाते हैं, किन्तु कुछ
इलेक्ट्रॉन्स धात्विक अभिरंजकों के परमाणुओं द्वारा अवशोषित कर लिये जाते
हैं या छितरा दिये जाते हैं । उन इलेक्ट्रॉन्स को, जो ऊतक को भेदकर पार
निकल जाते हैं, विद्युत चुम्बकों (Electro-Magnets) द्वारा फॉस्फोरेसेन्ट
पदार्थ (Phosphorescent Material) लगे पर्दे पर केन्द्रित किया जाता है ।
पर्दे से टकराने वाले इलेक्ट्रॉन्स फॉस्फोरेसेन्ट पदार्थ को दिखायी देने
वाले प्रकाश उत्सर्जित करने हेतु उत्तेजित करता है । इलेक्ट्रॉन्स जो ऊतक
द्वारा प्रेषित नहीं किये जाते दिखायी देने वाली प्लेट पर गहरे चिह्न छोड़
देते हैं ।
इस प्रकार टैम द्वारा निर्मित प्रतिबिम्ब में गहरे तथा चमकीले क्षेत्र
कम या अधिक इलेक्ट्रॉन घनत्व को प्रदर्शित करते हैं । इलेक्ट्रॉन्स को
फोटोग्राफिक प्लेट (Photographic Plate) पर भी केन्द्रित किया जा सकता है ।
विभेदन शक्ति (Resolving Power):
प्रारूपिक इलेक्ट्रॉन बीम (Electron Beam) की तरंगदैर्ध्य (Wavelength)
लगभग 0.005 नैनोमीटर होती है जिसे 50,000 वोल्ट विद्युत द्वारा उत्पन्न
किया जाता है । इसकी विभेदन शक्ति 0.00211 नैनोमीटर होती है ।
चुम्बकीय लैंसों (Magnetic Lenses) को बनाने तथा उनका प्रयोग करने में
आने वाली कठिनाइयों के कारण अब केलव 0.1-0.2 नैनोमीटर विभेदन शक्ति प्राप्त
होती है ।
2. स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की कार्यविधि (Working of Scanning Electron Microscope):
सैम द्वारा थ्री-डाइमेन्शनल प्रतिबिम्ब उपलब्ध होती है तथा इसका उपयोग
प्रतिरूपों (Specimens) की सतह का परीक्षण करने में किया जाता है । इसके
द्वारा प्रतिबिम्ब वस्तु की सतह से प्रतिकर्षित होने वाले इलेक्ट्रॉन्स
द्वारा बनता है । वस्तु भारी धातु की पतली फिल्म से ढंका रहता है ।
इलेक्ट्रॉन्स की बहुत पतली धार (लगभग 20 नैनोमीटर व्यास की) वस्तु के
ऊपर डाली जाती है तथा सतह के ऊपर से स्कैनिंग (Scanning) की जाती है । कुछ
इलेक्ट्रॉन्स सतह से प्रतिकर्षित होते हैं या प्रतिरूप की सतह पर उस स्थान
से जहाँ बीम स्कैनिंग कर रही है ।
द्वितीयक इलेक्ट्रॉन्स (Secondary Electrons) उत्सर्जित (Emission) होने
को उत्तेजित करते हैं । ये द्वितीयक इलेक्ट्रॉन्स धन आवेशित ग्रिड (Grid)
द्वारा एकत्र कर लिये जाते हैं । ग्रिड से प्रकाश की चमक निकलती है । निकले
हुए प्रकाश को फोटोमल्टीप्लायर (Photomultiplier) या है ।
ग्रिड से प्राप्त संकेत को टेलीविजन ट्यूब को स्थानान्तरित कर दिया जाता
है जो स्कैन करती है तथा पर्दे पर प्रतिबिम्ब बनाती है । इसकी विभेदन
शक्ति (Resolving Power) टैम (Tem) से कुछ कम होती है ।
इस 100KV वाले त्वरित वोल्टेज से 0.04nm वाली तरंगदैर्ध्य Wavelength
प्राप्त लेती है जो दिखाई देने वाले प्रकाश से 10,000 X कम होती है । इसके
फलस्वरूप रिजोल्विंग पावर (Resolving Power) बढ़ जाती है । अत: अधिक उपयोगी
आवर्धन (Magnification) प्राप्त होता है ।
संरचना (Structure):
फिलामेंट या कैथोड (Filament or Cathode):
यह इलेक्ट्रॉन का मुख्य स्रोत है । कैथोड का आविष्कार नील एवं रस्का ने
किया था । इसमें इलेक्ट्रॉन के बहुत पतले पुंज का उपयोग किया जाता है । यह
इलेक्ट्रॉन पुज ऑब्जेक्ट से टकराकर प्रकीर्णित हो जाता है ।
इस प्रकीर्णित किरणों को चुंबकीय कंडेंसर के माध्यम से फोटोग्राफिक
प्लेट पर डाला जाता है तथा ऑब्जेक्ट का प्रतिबिम्ब प्राप्त किया जाता है ।
इस माइक्रोस्कोप से अभिरंजित तथा बिना अभिरंजित कोशिकाओं को देख सकते हैं ।
2. SEM (Scanning Electron Microscope):
इस माइक्रोस्कोप का निर्माण नोल ने किया था । इसमें ऑब्जेक्ट की
त्रिविमी रचना का प्रतिबिम्ब प्राप्त होता है । जब इलेक्ट्रॉन पुंज,
ऑब्जेक्ट पर आपतित होता है, तो ऑब्जेक्ट से टकराने के पश्चात् द्वितीयक
इलेक्ट्रॉन (Secondary Electron) उत्पन्न होते हैं । ये द्वितीयक
इलेक्ट्रॉन, फोटोग्राफिक प्लेट पर ऑब्जेक्ट की त्रिविमीय इमेज बनाते हैं ।
(i) इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा 20000 से 100000 गुणा तक आवर्धन
संभव है । अत: कोशिकीय अंग का आण्विक स्तर पर अध्ययन किया जा सकता है ।
(ii) इस सूक्ष्मदर्शी द्वारा विभिन्न जीवाणु एवं वाइरस का विस्तृत अध्ययन किया जा सकता है ।
(iii) कोशिका में उपस्थित एंजाइमों के वितरण का अध्ययन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से किया जा सकता है ।
(iv) कोशिका की वृहत आण्विक स्तर की रचनाओं का अध्ययन किया जा सकता है ।
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