पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी फॉर प्रॉपर्टी इन हिंदी
Power of attorney in hindi ? अटॉर्नी की एक शक्ति (POA) या अटॉर्नी का पत्र निजी मामलों व्यवसाय या किसी दुसरे कानूनी मामले में किसी अन्य की ओर से प्रतिनिधित्व या कार्य करने के लिए एक लिखित अनुमति है.जिस व्यक्ति को प्रतिनिधित्व घोषित किया जाता है. उसको एजेंट कहा जाता है और जो व्यक्ति घोषित करेगा उसको प्रिंसिपल कहा जाता है. यह एक पावर ऑफ़ अटॉर्नी एक कानूनी दस्तावेज है.
एजेंट प्रिंसिपल के बदले उनके सभी कानूनी वित्तीय लेनदेन दूसरे कार्यों के लिए फैसले ले सकता है. वह प्रिंसिपल के बदले कोई काम भी कर सकता है. और यह सभी फैसले कानूनी रूप से मान्य होते हैं. और एजेंट का पेशे से वकील होना ही जरूरी नहीं है. लेकिन एजेंट पावर ऑफ अटॉर्नी के दायरे से बाहर नहीं जा सकता है. अगर उसके फैसले से प्रिंसिपल को कोई नुकसान होता है. तो एजेंट को उसका नुकसान भरना पड़ेगा पावर ऑफ अटॉर्नी किसी अचल संपत्ति के मालिकाना हक को ट्रांसफर करने के लिए तैयार की जाती है. रजिस्ट्री के के समय पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल आमतौर पर उस स्थिति में किया जाता है. जब प्रॉपर्टी का मालिक बीमारी या किसी दूसरी वजह से कोर्ट मैं नहीं जा सकता हो जब वह अपने अहम फैसले लेने में सक्षम हो लेकिन वह मानसिक रुप से सेहतमंद होना बहुत जरूरी है.
पावर ऑफ अटॉर्नी कितने प्रकार की होती है
पावर ऑफ अटॉर्नी काम के उद्देश्य से दो तरह की होती हैं. जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी और स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी
यदि किसी आदमी को खास काम के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी दी जाती है. तो उसे (SPA) स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी कहा जाता है. इसमें जैसे किसी डील को फाइनल करना.जबकि जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए एजेंट कई मामलों में फैसले ले सकता है. जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी में प्रॉपर्टी बेचना या किसी दूसरी चीज को बेचना या खरीदना कॉन्ट्रैक्ट सेटलमेंट जैसे काम कर सकता है. सबसे पहले हमें यह जानना जरूरी है. की रजिस्ट्री और स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी क्या है. स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी किसी भी काम के लिए दिया जा सकता है. जिसे हिंदी में मुख्तारनामा कहा जाता है स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए अपने पैसे और संपत्ति के बारे में फैसले लेने की शक्ति देता है. जिसमें प्रबंध बैंक या बिल्डिंग सोसाइटी अकाउंट्स, बिलों का भुगतान, पेंशन या लाभ एकत्रित करना और यदि आवश्यक हो तो अपने घर बेचते हैं.
एक बार सार्वजनिक अभिभावक के कार्यालय के साथ पंजीकृत होने के बाद, इसका तुरंत इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी कभी भी रद्द किया जा सकता है. कभी भी उसको खत्म किया जा सकता है.और ऐसे खत्म करने के बाद जिसके नाम से जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी बनाया गया है उसको एक नोटिस दिया जाता है और साथ में पेपर के जरिए लोगों को यह भी बताया जाता है कि जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी को रद्द कर दिया गया है कुछ जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी ऐसे भी होते हैं जिनको रद्द नहीं किया जा सकता है लेकिन स्पेशल केस में स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी को भी रद्द किया जाता है और स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी इसी तरह से होता है. जिसे किसी खास काम के लिए बनाया जाता है. उसे भी रद्द किया जा सकता है जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी का दायरा स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी का दायरा से बड़ा होता है.
पावर ऑफ अटॉर्नी कब मान्य होती है और यह कब अमान्य हो जाती है
पावर ऑफ अटॉर्नी कब मान्य होती है. और यह कब अमान्य हो जाती है. पावर ऑफ अटॉर्नी प्रिंसिपल या एजेंट की मौत के बाद वैद्य नहीं रहती है. यह अमान्य हो जाती है. यदि किसी दुर्घटना के कारण प्रिंसिपल साइन करने योग्य नहीं रहता तो पहले की गई हुई पावर ऑफ अटॉर्नी की सीमा खत्म हो जाती है. वह इनवैलिड कर दिया जाता है. इसके अलावा प्रिंसिपल पहले की गई पावर ऑफ अटॉर्नी को कैंसिल भी कर सकता है. और काम पूरा होने के बाद स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी को खत्म कर दिया जाता है. दोनों पक्षों की सहमति से खत्म किया जा सकता है.
Durable Power Of Attorney क्या होता है
Durable पावर ऑफ अटॉर्नी मतलब उस पावर ऑफ अटॉर्नी से होता है. जिसमें प्रिंसिपल ने पावर ऑफ अटॉर्नी को बनाते समय साफ तौर पर लिखा हो उसके अक्षम हो जाने पर या उसके डिसेबल हो जाने पर पावर ऑफ अटॉर्नी जारी रहेगी. हालांकि प्रिंसिपल की मौत होने के बाद यह पावर ऑफ अटॉर्नी रद्द हो जाती है. कुछ जगहों पर Durable पावर ऑफ अटॉर्नी को हेल्थ केयर पावर ऑफ अटॉर्नी भी कहा जाता है. इसके तहत एजेंट प्रिंसिपल की चिकित्सा से जुड़े हुए अहम फैसले लेने का अधिकार होता है.
पावर ऑफ अटॉर्नी का रजिस्ट्रेशन
जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी का रजिस्ट्रेशन कराना है.वैसे तो जरूरी नहीं होता है. और वैसे अगर आप इसका रजिस्ट्रेशन करवा लेते हैं. तो इसका ज्यादा महत्व हो जाता है. खास तौर पर यदि मामला किसी अचल संपत्ति से जुड़ा है. वहां पर पावर ऑफ अटॉर्नी का रजिस्ट्रेशन करा लेना चाहिए. जिन जगहों पर रजिस्ट्रेशन अधिनियम 98 लागू होता है इसको सब रजिस्ट्रार के पास के पास जाकर रजिस्ट्रेशन करवा लेना चाहिए. बाकी जगह पर आप नौटरी के पास जाकर या किसी प्रशासनिक अधिकारिय के पास जाकर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. इसके रजिस्ट्रेशन को करवाते समय आपके पास दो या दो से अधिक सबूतों का होना बहुत जरूरी है. रजिस्ट्रेशन होने के बाद प्रिंसिपल को Executant और इसे पाने वाले को GPA या SBI होल्डर कहा जाता है.
भारत से बाहर पावर ऑफ अटॉर्नी कैसे बनाई जाती है
यदि कोई आदमी भारत से बाहर दूसरे देश में रहता है. और हमारे देश में उसकी कोई जमीन या जायदाद है. तो वह पावर ऑफ अटॉर्नी कैसे बना सकता है. भारत में किसी भी प्रॉपर्टी को डील करने के लिए विदेशों में भी पावर ऑफ अटॉर्नी को तैयार करके उसे रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है. यदि पावर ऑफ अटॉर्नी का रजिस्ट्रेशन भारत से बाहर कराया गया है. तो उन कागजात को भारत में आने के 3 महीने के अंदर उन कागज को जिला अधिकारी से मान्यता दिलाने जरूरी है.
मान लीजिए अमेरिका में रहने वाला कोई आदमी अपनी पुरानी जमीन को बेचना चाहता है. लेकिन इसके लिए वह भारत नहीं आना चाहता है. इसके लिए वह अमेरिका में ही अपनी पावर ऑफ अटॉर्नी को तैयार करके उसको Notarize करा सकता है. विदेशों में पावर ऑफ अटॉर्नी स्टांप पेपर पर नहीं बल्कि सिंपल कागज पर तैयार करवाई जाती है. लेकिन इसको Notarize कराना बहुत जरूरी होता है. भारत में इसको स्टांप पेपर पर ही तैयार किया जा सकता है. विदेशों में पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार करने के लिए नोटरी या केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के पास जाना होता है.
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